अलवर. जिले की मंडी में प्याज की आवक शुरू हो चुकी है. प्रतिदिन 5000 कट्टे प्याज बिकने के लिए मंडी (Onion supply in Alwar Mandi) में आ रहे हैं. प्याज खरीदने के लिए प्रदेश के बाहर से भी व्यापारी अलवर पहुंचने लगे हैं. इस साल महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बारिश ज्यादा होने के कारण प्याज की फसल खराब हो गई थी. इसलिए अलवर के प्याज की डिमांड बढ़ गई है. हालांकि अलवर में इस साल भी प्याज में जलेबी रोग लगने की शिकायत हुई है. इसके बाद भी प्याज की डिमांड ज्यादा होने के कारण किसानों को इसके बेहतर दाम मिल रहे हैं. इस साल देश के अलावा पड़ोसी देशों में भी प्याज की सप्लाई होने की संभावना है.
प्याज की खरीद फरोख्त के मामले में अलवर देश में दूसरी सबसे बड़ी (Alwar Onion Mandi) मंडी है. जिले से कई प्रदेशों में प्याज की सप्लाई होती है. इसके अलावा अफगानिस्तान नेपाल भूटान पाकिस्तान सहित आसपास के देशों में भी प्याज सप्लाई किया जाता है. इस साल 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की फसल की बुवाई हुई है. विशेषज्ञों की मानें तो इस साल तीन लाख 55 हजार टन से ज्यादा प्याज का उत्पादन जिले में हुआ है. बीते कुछ सालों से किसानों को प्याज के बेहतर दाम (Farmers expect big profits from onion sell) मिल रहे हैं. इसलिए जिले में ज्यादातर किसान प्याज की खेती करने लगे हैं.
पढ़ें. Onion Special Train: अलवर से चली प्याज स्पेशल ट्रेन, देशभर में हो रही सप्लाई
जिले में दो तरह के प्याज की फसल होती है. कुछ किसान सीजन के शुरू में प्याज की फसल की बुवाई करते हैं और उनकी फसल को अगेती फसल कहते हैं तो वहीं कुछ किसान सीजन के अंत में प्याज की फसल की बुवाई करते हैं. इन दिनों किसानों को 15 से लेकर 25 रुपए किलो तक प्याज के दाम मिल रहे हैं. प्याज की आवक जिले में अभी शुरू हुई है. सीजन के दौरान अलवर मंडी में प्रतिदिन 50 हजार कट्टों तक की आवक होती है जिससे प्याज का खरीद फरोख्त बड़ी मात्रा में होती है.
देश भर में सप्लाई होते हैं प्याज
देश में प्याज की सबसे बड़ी मंडी नासिक है. नासिक के बाद दूसरी सबसे बड़ी प्याज मंडी अलवर है. अलवर से प्याज पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड सहित पूरे देश में सप्लाई होती है. प्याज की फसल से किसान को अधिक फायदा होता है. इसलिए अलवर में ज्यादातर किसान प्याज की फसल की पैदावार करने लगे हैं. साल 2019 में 1 लाख 70 हजार टन प्याज की पैदावार हुई, तो साल 2020 में दो लाख टन से ज्यादा प्याज की पैदावार जिले में हुई. इसके साथ ही साल 2021 में ढाई लाख टन व साल 2022 में 3.5 लाख टन प्याज की फसल की पैदावार हुई है. इस साल प्याज की फसल से किसानों को खासी उम्मीद है तो वहीं व्यापारियों का रुझान भी बेहतर देखने को मिल रहा है.
पढ़ें. अलवर में प्याज ने किसानों को बनाया कर्जदार, 2500 हेक्टेयर कम हुई प्याज की बुआई
अलवर के प्याज होते हैं तीखे
स्वाद में अलवर के प्याज तीखे होती है. मांसाहारी लोग यहां के प्याज को ज्यादा पसंद करते हैं. लाल प्याज के नाम से यह देश-विदेश में अपनी पहचान रखते हैं. अलवर के प्याज में नमी होती है. इसलिए इस प्याज को लंबे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता है.
शेखावाटी में रिकॉर्ड प्याज की खेती
सीकर, चूरू, झुंझुनू व आसपास के शेखावटी क्षेत्र में प्याज की रिकॉर्ड खेती हुई है. प्याज के भाव ज्यादा होने के कारण अधिकतर किसान इसकी खेती करने लगे हैं. इसके चलते बीते सालों की तुलना में प्याज का रकबा बढ़ा है. शेखावटी के प्याज में नमी नहीं होती है. इसलिए इस प्याज को स्टोर भी किया जा सकता है.
पढ़ें. अलवर : अधिक वर्षा के कारण प्याज में लगा एंथ्रेक्नोज रोग, 4500 हेक्टेयर में प्याज की फसल खराब
अलवर से चलती है प्याज स्पेशल ट्रेन
अलवर के प्याज देशभर में सप्लाई हो सकें इसके लिए यहां से स्पेशल ट्रेन चलाई गई है. बीते साल पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित विभिन्न राज्यों के लिए ट्रेन चलाई गई है. अलवर के प्याज देश के विभिन्न राज्यों में पहुंच रहे हैं. यहां से कम समय में प्याज लोगों तक पहुंच रहे हैं जिससे व्यापारी और किसान दोनों को लाभ हुआ है.
जलेबी रोग का प्रकोप
बीते साल अलवर के प्याज में नमी ज्यादा होने के कारण जलेबी रोग लग गया था जिससे किसानों को खासा नुकसान हुआ था. इस साल भी शुरुआत की फसल में जलेबी रोग लगने की शिकायतें आई थीं और कुछ क्षेत्र में प्याज खराब भी हुई, लेकिन उसके बाद भी किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे हैं. इसलिए किसान काफी खुश हैं और इस बार वे अच्छे मुनाफे की उम्मीद कर रहे हैं.