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पंजाब और हरियाणा की मुर्गियां खा रहीं अलवर का बाजरा! - अलवर का बाजरा

पंजाब और हरियाणा की मुर्गियों को अलवर का बाजरा रास आ गया (Millet Of Alwar). वहां के पोल्ट्री फार्म में जबरदस्त डिमांड है अलवर के Millet की. किसान खुश है. उसके लिए ये किसी नेमत से कम नहीं. क्या है इसकी वजह, क्यों किसान इतना प्रसन्न है? आइए जानते हैं.

Alwar Millet in Punjab haryana Poultry Farm
अलवर का बाजरा!
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Published : Nov 23, 2022, 2:12 PM IST

Updated : Nov 23, 2022, 10:36 PM IST

अलवर. पंजाब और हरियाणा की मुर्गियां अलवर का बाजरा खा रही हैं. यहां का किसान वहां की मुर्गियों को बाजरा खिलाने में Interest भी दिखा रहे हैं (Millet Of Alwar). वजह है नुकसान के बावजूद बेहतर कमाई! असल में बारिश ज्यादा होने से फसल खराब हो गई थी. बाजरा काला पड़ गया. किसान को मौसम की ये मार परेशान करने लगी. नुकसान को नफे में बदलने की कोई जुगत नहीं भिड़ा पाया. इसी दौरान मुर्गियों ने इन्हें बचा लिया.

बाजरे की बम्पर पैदावार और कहानी में ट्विस्ट : अलवर में सरसों, बाजरे और गेहूं की बेहतर पैदावार होती है. किसानों ने इस बरस बाजरे पर दांव लगाया. 2 लाख 85 हजार हैक्टेयर में बाजरा की बुवाई की. मेहनत रंग लाई और बाजरे की बम्पर पैदावार हुई. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था. अन्नदाता की उम्मीदें परवान चढ़ रही थीं. लेकिन फिर कहानी में एक ट्विस्ट आया. दशहरे के आसपास मूसलाधार बारिश हुई और बाजरे की फसल लगभग चौपट हो गई. बाजरा काला पड़ गया.

अलवर का बाजरा

क्या करे क्या न का सवाल खड़ा हुआ: मौसम की मार से किसान परेशान हुआ क्योंकि ब्याज पर पैसे लेकर किसान फसल की बुवाई करता है. किसान बेहाल हो गया. उसे फसल की बुवाई का खर्चा न निकल पाने का डर सताने लगा. ऐसे संकट में ही उसे मुर्गियों ने उबार दिया. किसान ने राहत की सांस ली. पंजाब और हरियाणा के खरीदारों ने गहरी रुचि दिखाई. नतीजा ये हुआ कि कुछ दिनों पहले तक अलवर मंडी में प्रतिदिन 5000 कट्टे बाजरे के बिकने के लिए आ रहे थे उनमें अब बदलाव आ गया है. इस समय 2 से ढाई हजार कट्टे बाजरे की आवक हो रही है.

ये भी पढ़ें-Special: अलवर की अंजू ने दिखाई राह...कैंटीन शुरू कर खुद के साथ अन्य महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

पंजाब व हरियाणा में डिमांड: अलवर से प्रतिदिन बड़ी संख्या में पंजाब व हरियाणा बाजरे की सप्लाई होती है. पंजाब और हरियाणा में मुर्गी के दाने के लिए बाजरे को काम में लिया जाता है. जबकि गुजरात में खाने के काम में बाजरा आता है. अलवर से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में बाजरा गुजरात सफाई के लिए भी जाता है.

फायदे में अन्नदाता: किसानों ने कहा कि बाजरे के बेहतर दाम मिल रही है. 1900 से 2300 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजरा बिक रहा है. जो फसल बेकार और मिट्टी के मोल थी अब वो सोना उगल रही है. किसान ने राहत की सांस ली है. बेहतर दाम मिलने से किसानों को नुकसान की भरपाई हो जाने की पूरी उम्मीद है. लंबे समय बाद बाजरे के किसान को बेहतर दाम मिल रहे हैं क्योंकि अलवर से बाजरा प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों व शहरों में भी सप्लाई होता है.

बारिश में हुआ था नुकसान: अलवर में इस बार बारिश के चलते 30 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसल खराब हो गई थी. अलवर के रामगढ़, बानसूर और मुंडावर ब्लॉक में करीब 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की बुवाई हुई थी. इसमें 93 हजार हेक्टेयर में किसानों ने बाजरे की बुवाई की थी जबकि करीब 30 हजार हेक्टेयर में कपास की बुवाई हुई. इस बार 4 लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का लक्ष्य था. उससे ज्यादा एरिया में बाजरे की बुआई हुई.

अलवर. पंजाब और हरियाणा की मुर्गियां अलवर का बाजरा खा रही हैं. यहां का किसान वहां की मुर्गियों को बाजरा खिलाने में Interest भी दिखा रहे हैं (Millet Of Alwar). वजह है नुकसान के बावजूद बेहतर कमाई! असल में बारिश ज्यादा होने से फसल खराब हो गई थी. बाजरा काला पड़ गया. किसान को मौसम की ये मार परेशान करने लगी. नुकसान को नफे में बदलने की कोई जुगत नहीं भिड़ा पाया. इसी दौरान मुर्गियों ने इन्हें बचा लिया.

बाजरे की बम्पर पैदावार और कहानी में ट्विस्ट : अलवर में सरसों, बाजरे और गेहूं की बेहतर पैदावार होती है. किसानों ने इस बरस बाजरे पर दांव लगाया. 2 लाख 85 हजार हैक्टेयर में बाजरा की बुवाई की. मेहनत रंग लाई और बाजरे की बम्पर पैदावार हुई. सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था. अन्नदाता की उम्मीदें परवान चढ़ रही थीं. लेकिन फिर कहानी में एक ट्विस्ट आया. दशहरे के आसपास मूसलाधार बारिश हुई और बाजरे की फसल लगभग चौपट हो गई. बाजरा काला पड़ गया.

अलवर का बाजरा

क्या करे क्या न का सवाल खड़ा हुआ: मौसम की मार से किसान परेशान हुआ क्योंकि ब्याज पर पैसे लेकर किसान फसल की बुवाई करता है. किसान बेहाल हो गया. उसे फसल की बुवाई का खर्चा न निकल पाने का डर सताने लगा. ऐसे संकट में ही उसे मुर्गियों ने उबार दिया. किसान ने राहत की सांस ली. पंजाब और हरियाणा के खरीदारों ने गहरी रुचि दिखाई. नतीजा ये हुआ कि कुछ दिनों पहले तक अलवर मंडी में प्रतिदिन 5000 कट्टे बाजरे के बिकने के लिए आ रहे थे उनमें अब बदलाव आ गया है. इस समय 2 से ढाई हजार कट्टे बाजरे की आवक हो रही है.

ये भी पढ़ें-Special: अलवर की अंजू ने दिखाई राह...कैंटीन शुरू कर खुद के साथ अन्य महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

पंजाब व हरियाणा में डिमांड: अलवर से प्रतिदिन बड़ी संख्या में पंजाब व हरियाणा बाजरे की सप्लाई होती है. पंजाब और हरियाणा में मुर्गी के दाने के लिए बाजरे को काम में लिया जाता है. जबकि गुजरात में खाने के काम में बाजरा आता है. अलवर से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में बाजरा गुजरात सफाई के लिए भी जाता है.

फायदे में अन्नदाता: किसानों ने कहा कि बाजरे के बेहतर दाम मिल रही है. 1900 से 2300 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजरा बिक रहा है. जो फसल बेकार और मिट्टी के मोल थी अब वो सोना उगल रही है. किसान ने राहत की सांस ली है. बेहतर दाम मिलने से किसानों को नुकसान की भरपाई हो जाने की पूरी उम्मीद है. लंबे समय बाद बाजरे के किसान को बेहतर दाम मिल रहे हैं क्योंकि अलवर से बाजरा प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों व शहरों में भी सप्लाई होता है.

बारिश में हुआ था नुकसान: अलवर में इस बार बारिश के चलते 30 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसल खराब हो गई थी. अलवर के रामगढ़, बानसूर और मुंडावर ब्लॉक में करीब 1 लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की बुवाई हुई थी. इसमें 93 हजार हेक्टेयर में किसानों ने बाजरे की बुवाई की थी जबकि करीब 30 हजार हेक्टेयर में कपास की बुवाई हुई. इस बार 4 लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का लक्ष्य था. उससे ज्यादा एरिया में बाजरे की बुआई हुई.

Last Updated : Nov 23, 2022, 10:36 PM IST
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