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SPECIAL : अलवर के पांच लाख लोगों को मिली राहत, पहली ही बारिश में जयसमंद बांध में आया पानी

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Published : Jul 9, 2023, 11:36 AM IST

Updated : Jul 9, 2023, 11:57 AM IST

अलवर का लाइफलाइन कहा जाने वाल जयसमंद बाध में मानसून की पहली बारिश का पानी पहुंचने लगा है. बता दें कि इस बांध का पानी ही ट्यूबवेलों के जरिए शहर में सप्लाई किया जाता है किसानों को भी इससे खेती के लिए पानी मिलता है. इसलिए बांध में पानी का बढ़ता स्तर देख सभी खुश हैं.

पहली ही बारिश में जयसमंद बांध में आया पानी
पहली ही बारिश में जयसमंद बांध में आया पानी
पहली ही बारिश में जयसमंद बांध में आया पानी

अलवर. जयसमंद बांध को अलवर की लाइफलाइन कहा जाता है. साल 2000 में जयसमंद बांध आखिरी बार भरा था. उसके बाद हर बार होने वाली बारिश के दौरान थोड़ा बहुत पानी जयसमंद बांध में आता है. जो कि कुछ दिनों बाद ही सूख जाता है. जयसमंद के निचले हिस्सों में 50 से ज्यादा बोरिंग लगे हैं. जिनके जरिए पानी शहर में सप्लाई किया जाता है. इस बार बारिश से पहले नटनी का बारा से जयसमंद बांध की तरफ आने वाली नहर की सफाई करवाई गई थी. जिसका असर अब नजर आने लगा है. अलवर में हुई पहली बारिश के दौरान ही जयसमंद बांध में पानी पहुंचा है. बांध में पानी का स्तर बढ़ता देख किसान खुश हैं. वहीं अलवर शहर के लोगों ने भी राहत की सांस ली है.

मानसून ने अभी जिले में पूरी तरह दस्तक से नहीं दी है, लेकिन पहली बारिश से नटनी का बारां में एक फीट पानी बढ़ गया. यह पानी 12.70 किलोमीटर की दूरी तय कर नहर से जयसमंद बांध तक पहुंच गया. नटनी का बारा से जयसमंद बांध तक सिंचाई विभाग की तरफ से नहर की सफाई करवाई गई. इस कार्य में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हुए थे. नहर की सफाई का असर अब साफ नजर आने लगा है. जयसमंद बांध में पानी आने से एक तरफ आसपास के ग्रामीण खुश हैं, तो वहीं शहर के पांच लाख लोगों ने भी राहत की सांस ली है. जयसमंद के आसपास जलदाय विभाग ने करीब 50 ट्यूबवेल लगाए हैं. इन्हीं ट्यूबवेलों से ही शहर को पानी सप्लाई किया जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि साल 2000 में आखिरी बार जयसमंद बांध लबालब हुआ था. इसके बाद बांध पूरी तरह से कभी नहीं भरा है. जयसमंद बांध के भरने से आसपास के 30 से ज्यादा गांव का भूजल स्तर बेहतर होता है व ग्रामीणों को राहत मिलती है. उन्होंने कहा कि जयसमंद बांध अलवर शहर की लाइफ लाइन है. क्योंकि आधे से ज्यादा शहर को जयसमंद बांध के क्षेत्र में खुदे हुए ट्यूबवेल से पानी सप्लाई किया जाता है. जयसमंद बांध के नहीं भरने के कारण ट्यूबवेल सूखने लगे हैं. कई ट्यूबवेल खराब हो चुके हैं. जिससे ग्रामीण काफी परेशान रहते हैं. गांव में लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा व खेती के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें अलवर का जयसमंद बांध सूखा...सिलीसेढ़ में आया 21.1 फीट पानी

जिले के अन्य बांधों की हालत : थानागाजी के मंगलसर बांध में साढ़े छह फीट पानी की आवक हुई. सिलीसेढ़ में भी एक इंच पानी की आवक हुई. सिलीसेढ़ का गेज 21 फीट 6 इंच से बढ़कर 21 फीट 7 इंच पहुंच गया. सिंचाई विभाग के पास 20 से ज्यादा बड़े बांध हैं. सभी में पानी आना शुरू हो गया है.

भरतपुर क्षेत्र में ज्यादा है पानी : अलवर के रियासत काल में हुए समझौते के अनुसार बारा बियर से भरतपुर और अलवर के लिए पानी के मार्ग बनाए गए थे. अलवर को जाने वाले पानी के 5 गेट में से 3 गेटों में जलकुंभी छाई हुई है. जो जयसमंद मे जाने वाले पानी में बड़ी रुकावट पैदा कर रही है. जयसमंद में केवल बारा बियर से अभी केवल 2 गेटों से ही पानी पहुंच रहा है.

मंत्री का था दावा पहले भी हुई थी सफाई : राजस्थान सरकार में मंत्री टीकाराम जूली ने हाल ही में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी जयसमंद बांध की नहर की सफाई करवाई गई थी. उसके बाद भी जयसमंद बांध में पानी नहीं पहुंच पाया.

पहली ही बारिश में जयसमंद बांध में आया पानी

अलवर. जयसमंद बांध को अलवर की लाइफलाइन कहा जाता है. साल 2000 में जयसमंद बांध आखिरी बार भरा था. उसके बाद हर बार होने वाली बारिश के दौरान थोड़ा बहुत पानी जयसमंद बांध में आता है. जो कि कुछ दिनों बाद ही सूख जाता है. जयसमंद के निचले हिस्सों में 50 से ज्यादा बोरिंग लगे हैं. जिनके जरिए पानी शहर में सप्लाई किया जाता है. इस बार बारिश से पहले नटनी का बारा से जयसमंद बांध की तरफ आने वाली नहर की सफाई करवाई गई थी. जिसका असर अब नजर आने लगा है. अलवर में हुई पहली बारिश के दौरान ही जयसमंद बांध में पानी पहुंचा है. बांध में पानी का स्तर बढ़ता देख किसान खुश हैं. वहीं अलवर शहर के लोगों ने भी राहत की सांस ली है.

मानसून ने अभी जिले में पूरी तरह दस्तक से नहीं दी है, लेकिन पहली बारिश से नटनी का बारां में एक फीट पानी बढ़ गया. यह पानी 12.70 किलोमीटर की दूरी तय कर नहर से जयसमंद बांध तक पहुंच गया. नटनी का बारा से जयसमंद बांध तक सिंचाई विभाग की तरफ से नहर की सफाई करवाई गई. इस कार्य में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हुए थे. नहर की सफाई का असर अब साफ नजर आने लगा है. जयसमंद बांध में पानी आने से एक तरफ आसपास के ग्रामीण खुश हैं, तो वहीं शहर के पांच लाख लोगों ने भी राहत की सांस ली है. जयसमंद के आसपास जलदाय विभाग ने करीब 50 ट्यूबवेल लगाए हैं. इन्हीं ट्यूबवेलों से ही शहर को पानी सप्लाई किया जाता है.

ग्रामीणों ने बताया कि साल 2000 में आखिरी बार जयसमंद बांध लबालब हुआ था. इसके बाद बांध पूरी तरह से कभी नहीं भरा है. जयसमंद बांध के भरने से आसपास के 30 से ज्यादा गांव का भूजल स्तर बेहतर होता है व ग्रामीणों को राहत मिलती है. उन्होंने कहा कि जयसमंद बांध अलवर शहर की लाइफ लाइन है. क्योंकि आधे से ज्यादा शहर को जयसमंद बांध के क्षेत्र में खुदे हुए ट्यूबवेल से पानी सप्लाई किया जाता है. जयसमंद बांध के नहीं भरने के कारण ट्यूबवेल सूखने लगे हैं. कई ट्यूबवेल खराब हो चुके हैं. जिससे ग्रामीण काफी परेशान रहते हैं. गांव में लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा व खेती के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.

पढ़ें अलवर का जयसमंद बांध सूखा...सिलीसेढ़ में आया 21.1 फीट पानी

जिले के अन्य बांधों की हालत : थानागाजी के मंगलसर बांध में साढ़े छह फीट पानी की आवक हुई. सिलीसेढ़ में भी एक इंच पानी की आवक हुई. सिलीसेढ़ का गेज 21 फीट 6 इंच से बढ़कर 21 फीट 7 इंच पहुंच गया. सिंचाई विभाग के पास 20 से ज्यादा बड़े बांध हैं. सभी में पानी आना शुरू हो गया है.

भरतपुर क्षेत्र में ज्यादा है पानी : अलवर के रियासत काल में हुए समझौते के अनुसार बारा बियर से भरतपुर और अलवर के लिए पानी के मार्ग बनाए गए थे. अलवर को जाने वाले पानी के 5 गेट में से 3 गेटों में जलकुंभी छाई हुई है. जो जयसमंद मे जाने वाले पानी में बड़ी रुकावट पैदा कर रही है. जयसमंद में केवल बारा बियर से अभी केवल 2 गेटों से ही पानी पहुंच रहा है.

मंत्री का था दावा पहले भी हुई थी सफाई : राजस्थान सरकार में मंत्री टीकाराम जूली ने हाल ही में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान भी जयसमंद बांध की नहर की सफाई करवाई गई थी. उसके बाद भी जयसमंद बांध में पानी नहीं पहुंच पाया.

Last Updated : Jul 9, 2023, 11:57 AM IST
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