अलवर. बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेल प्रशासन की तरफ से एक नवाचार किया जा रहा है. अलवर के केंद्रीय कारागार में बंद बंदियों को अब एलईडी बल्ब और लाइट बनाने की ट्रेनिंग दी गई है. 50 बंदियों को ट्रेनिंग देने का काम पूरा हो चुका है. कुछ ही दिनों में केंद्रीय कारागार में बंदी बल्ब और लाइट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. इसके साथ ही बंदियों को गार्डनिंग भी सिखाई जाएगी.
जेल प्रशासन के अनुसार इससे बंदी तनाव मुक्त रहेंगे. सजा पूरी होने के बाद जेल से बाहर निकल कर बंदी समाज के साथ मिलकर काम करके जीवन यापन कर सकेंगे. जेल अधीक्षक ने बताया कि शुरुआत में दो महीनों तक बंदियों की ओर से बनाए जाने वाले एलईडी बल्ब और लाइट्स अलवर जेल में ही इस्तेमाल किए जाएंगे. इसके बाद प्रदेश की अन्य जेलों में एलईडी बल्ब और लाइट्स भेजी जाएगी.
प्रदेश के सभी जेलों में डिमांड पूरी होने के बाद एलईडी बल्ब और लाइट्स बाजार में भी बेचे जाएंगे. इससे पहले केंद्रीय कारागार के बंदी मसाले, फिनाइल और सैनिटाइजर सहित कई सामान बना चुके हैं. सैनिटाइजर, फिनाइल और मास्क को लोगों ने खासा पसंद किया था. जेल प्रशासन की तरफ से जेल परिसर के बाहर दुकान लगाकर सामान को बेचा गया था. ऐसे में एलईडी बल्ब और लाइट से भी जेल प्रशासन को फायदा होगा. साथ ही बंदियों को काम करने का वेतन भी मिलेगा. शुरुआत में 10 और 20 वाट के एलईडी बल्ब और 50 और 100 वाट की एलईडी लाइट्स बनाए जाएंगे. लाइट बनाने का कच्चा सामान केंद्रीय कारागार पहुंच चुका है.
गार्डनिंग से होंगे कई फायदे : जेल प्रशासन ने बताया कि अलवर के केंद्रीय कारागार में बंदियों को गार्डनिंग सहित कई अन्य काम भी सिखाए जाएंगे. इससे बंदियों को फायदा होगा. बंदी तनाव से दूर रहेंगे. साथ ही उनको काम करने का वेतन भी मिलेगा. सजा पूरी होने के बाद जब बंदी बाहर आएंगे तो काम करके अपना और अपने परिवार का भी पेट भर सकेंगे. जेल में बंद बंदी भी इस काम में रुचि दिखा रहे हैं. एलईडी बल्ब और लाइट बनाने के लिए कई बंदी आगे आए हैं.