अलवर. देशभर में कोरोना का संक्रमण बेकाबू हो चुका है. ऐसे में अब वैक्सीन ही एकमात्र सहारा दिख रही है लेकिन देश में अभी एक वर्ग ऐसा है. जो इस वैक्सीन की पहुंच से दूर है. हम बात कर रहे हैं प्रसूता और बच्चे को दूध पिलाने वाली माताओं की. सरकार की तरफ से इनको वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है. ऐसे में एक मां और उसके साथ पलने वाले बच्चे की जान खतरे में है. आए दिन प्रसूता पॉजिटिव हो रही है. बिगड़ते हालात को देखते ईटीवी भारत ने महिला रोग विशेषज्ञ से बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह से एक प्रसूता अपने साथ अपने बच्चे को बचा सकती है. साथ ही कोरोना से भी मुकाबला कर सकती है.
देश में 18 साल से लेकर और 90 साल तक के लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई जा रही है. भारत में बनी वैक्सीन कोरोना का मुकाबला करने में सक्षम है लेकिन स्वास्थ्य विभाग व सरकार की तरफ से प्रसूता व बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है. ऐसे में महिलाएं खासी परेशान है. इसी को लेकर महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. स्नेह लता यादव ने कहा कि WHO और डॉक्टरों की एसोसिएशन प्रस्ताव को भी वैक्सीन लगाने की मांग कर रही है. उनके अनुसार हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैक्सीन प्रसूताओं और माताओं के लिए बेहतर है. इस वैक्सीन से बच्चे को कोई नुकसान नहीं होगा.
स्तनपान कराते समय बच्चे पर पतला कपड़ा डालें
डॉक्टर कहती हैं कि जब तक वैक्सीन नहीं लगती है, महिलाएं घर में रहकर अपने बच्चे और खुद को कोरोना के संक्रमण से बचा सकती हैं. इसके लिए मुंह पर मास्क लगाएं, बार-बार हाथ साबुन से धोएं, बच्चे को स्तनपान कराते समय बच्चे पर पतला कपड़ा डालें. खुश रहे पौष्टिक भोजन करें क्योंकि प्रसूताओं से बच्चे को प्रोटीन भोजन मिलता है. माताएं अपना दूध पिलाएं बच्चों को बाहर का दूध ना पिलाएं, इम्यूनिटी बूस्टर और विटामिन कैल्शियम की गोली आने समय-समय पर अपनी जांच कराएं.
पॉजिटिव प्रसुता ऐसे रखें अपना और अपने नवजात का ख्याल
उन्होंने कहा कि जो प्रसूता प्रसव के समय पॉजिटिव हो गई है. वो लोग तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. कुछ दिन तक घर रहे और नेगेटिव होने के बाद महिला रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें. गर्भ में पल रहे अपने बच्चे की सभी जांच कराएं और धड़कन चेक करें. इसके अलावा कई अन्य जरूरी जांच भी कराई जाती है. अगर किसी प्रस्तुता के 8 माह में 9 माह पूरे हो चुके हैं. इस दौरान उनको कोरोना का संक्रमण लगा है. वो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इस दौरान ऑपरेशन करके बच्चे को सुरक्षित किया जा सकता है. साथ ही प्रसूता अपने आसपास तनावपूर्ण माहौल ना रखें. खुश रहे घर और पौष्टिक भोजन ले. फल हरी सब्जी प्रोटीन का उपयोग ज्यादा करें. जिससे प्रसूता के साथ बच्चा भी बेहतर रहे.
प्रसूताओं के हालात पर एक नजर
अकेले अलवर जिले की बात करें तो अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में प्रतिदिन 50 से अधिक प्रसव होते हैं. एक महीने में 1700 से अधिक प्रसव अस्पताल में होते हैं. इनमें से 250 से 300 ऑपरेशन से होते हैं. जबकि अन्य सामान्य होते हैं.
कोरोना के चलते प्रसूताओं का अभाव कम है. आम दिनों में प्रसूताओं का दबाव ज्यादा रहता है. इसके अलावा जिले में करीब 300 प्राइवेट नर्सिंग होम है इनमें प्रतिदिन 30 से अधिक प्रसव होते हैं. अलवर में हरियाणा, उत्तर प्रदेश व आसपास के जिलों का भी दबाव रहता है. ऐसे में साफ है कि पूरे प्रदेश प्रदेश में प्रसूता बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं की संख्या काफी ज्यादा है.
दो जिंदगी को रहता है खतरा
प्रसूता व माताओं के साथ दो जिंदगी से जुड़ी होती हैं. माता अपने बच्चे को प्रतिदिन दूध पिलाती है. ऐसे में अगर मां कोरोना के संक्रमण में आती है. तो बच्चों में भी संक्रमण फैलने का खतरा रहता है. इसलिए प्रस्ताव व माताओं को खास ध्यान रखने की आवश्यकता है. बच्चों को बाहर कर दूध नहीं पिलाना चाहिए. बच्चे को भीड़-भाड़ से दूर रखना चाहिए. बेहतर भोजन करना चाहिए. विटामिन और प्रोटीन दवाई लेनी चाहिए क्योंकि मां के भोजन से बच्चे को भोजन मिलता है. इसलिए माता को अपने भोजन पर विशेष ध्यान रखना चाहिए.