अलवर. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे शुरू होने वाला है. अभी तक एक्सप्रेस-वे से जुड़ी हुई सभी जानकारियां ईटीवी भारत के माध्यम से आप लोगों तक पहुंचाई गईं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल उठता है कि दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे और दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस-वे में क्या अंतर है ? दोनों में कितने किलोमीटर का फर्क पड़ेगा, सड़क के हालात क्या हैं, हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर चलने वाले लोगों को क्या सुविधाएं मिलती हैं ? साथ ही टोल से संबंधित जानकारियों के लिए पढ़ें यह खास रिपोर्ट...
अगर किलोमीटर का हिसाब से देखें तो एक्सप्रेस-वे व एनएच 48 में ज्यादा फर्क नहीं है. एनएच के रास्ते दिल्ली से जयपुर की दूरी करीब 273 किलोमीटर पड़ती है तो एक्सप्रेस-वे से दिल्ली-जयपुर की दूरी 268 किलोमीटर पड़ेगी. लेकिन एनएच 48 के मुकाबले एक्सप्रेस-वे पर सफर करने में आधा समय बचेगा. अभी जयपुर से शाहपुरा, बहरोड़, नीमराना, भिवाड़ी होते हुए दिल्ली पहुंचने में साढ़े पांच से 6 घंटे का समय लगता है.
एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद दिल्ली से जयपुर पहुंचने में करीब 3 से 4 घंटे का समय लगेगा. क्योंकि एक्सप्रेस-वे वाहनों को दौसा-आगरा हाईवे पर उतारेगा. यहां भण्डारेज से आगरा हाईवे के रास्ते जयपुर जाना होगा. लेकिन एनएच की तरफ से दौसा से जयपुर तक एक नया एक्सप्रेस-वे एलिवेटेड रोड भी बनाया जाएगा. जल्द उसका काम शुरू होगा. जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने वाली है. उसके बाद जयपुर पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे का समय लगेगा.
दिल्ली-जयपुर हाईवे चार से छह लेन का हाईवे है. जगह-जगह रास्ता टूटा हुआ है. कहीं पर निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है तो कहीं निर्माण कार्य जारी है. ऐसे में कुछ जगहों पर तो फोरलेन तो कुछ जगह छह लेन रोड की सुविधा है. इसके चलते दिल्ली-जयपुर हाईवे पर 24 घंटे जाम के हालात रहते हैं. हाईवे पर प्रवेश-एग्जिट के लिए अलग से सड़क नहीं बनी है. सभी कस्बों व शहरों के कट बने हुए हैं, जिनसे दिनभर वाहन आते-जाते हैं. इसके चलते जाम लगता है व हाईवे पर आवारा पशु व लोगों द्वारा सड़क क्रॉस करने की परेशानी भी रहती है. इसलिए गाड़ियों की रफ्तार 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं रहती है.
जबकि-दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से सफर करने में यात्रियों को फायदा मिलेगा. 8 दिन के इस हाईवे पर वाहन फर्राटा भर सकेंगे. इस पर अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रखी गई है. एक्सप्रेस-वे आम जमीन से ऊंचाई पर है, इसलिए आवारा जानवर और आम लोगों के चढ़ने-उतरने की कोई सुविधा नहीं है. एक्सप्रेस-वे पर कहीं भी रुकने की कोई जगह नहीं है. इसलिए वाहनों की रफ्तार ज्यादा रहेगी. एक्सप्रेस-वे 8 लेन का है, इसलिए जाम की समस्या भी नहीं होगी. इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो एक्सप्रेस-वे पर जगह-जगह क्लोज सर्किट कैमरे लगाए गए हैं. कोई भी हादसा नहीं हो सकेगा. एक्सप्रेस-वे पर लोगों को जाम और मौसम खराब होने से संबंधित सभी जानकारियां मिलेंगी. साथ ही लोगों को इलाज के लिए बेहतर सुविधा, रेस्टोरेंट, होटल, पेट्रोल पंप सहित सभी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. जबकि नेशनल हाईवे पर इन चीजों के लिए वाहन चालकों को हाईवे से उतरना पड़ता है. इस प्रक्रिया में भी समय लगता है. आईसीयू और हॉस्पिटल जैसी कोई सुविधा नहीं है. जाम, मौसम व अन्य किसी भी तरह की जानकारी देने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है.
आगे क्या मिलेगी सुविधा ? : यात्री चार घंटे में धौला कुआं से सेंट्रल जयपुर पहुंच पाएंगे. सोहना से दौसा के बीच 180 किलोमीटर लंबे हिस्से को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की तरफ से फिनिशिंग टच देना शुरू किया है. 1,386 किलोमीटर लंबा नया एक्सप्रेस-वे का जो 247KM हिस्सा पूरा हो चुका है, वो राजस्थान में बोनली तक जाता है. जयपुर जाने वालों को 180KM पर एग्जिट लेना पड़ेगा जो उन्हें दौसा में आगरा-जयपुर हाईवे से जोड़ेगा. मार्च तक सवाई माधोपुर तक एक्सप्रेस-वे का कंस्ट्रक्शन पूरा हो जाएगा. उसके बाद वहां से रणथंभौर और टोंक के लिए एग्जिट ले सकेंगे.
कहां कितना लगता है समय ? दिल्ली के धौला कुआं से लेकर सोहना में एलिवेटेड रोड पर चढ़ने तक में लोगों को घंटा भर लग सकता है. गूगल मैप्स के हिसाब से दौसा के एग्जिट से सेंट्रल जयपुर तक पहुंचने में 75-80 मिनट और लगता है. यानी दिल्ली से जयपुर पहुंचने में करीब 4 घंटे का वक्त लग जाता. गूगल मैप के अनुसार, अभी NH-48 के जरिए दिल्ली से जयपुर जाने में लगभग 5 घंटे से छह घंटे लगते हैं.
एक्सप्रेस-वे पर क्या मिलेंगी सुविधाएं ? सोहना-दौसा एक्सप्रेस-वे पर लोगों को खाने-पीने की जगहों से लेकर, बच्चों के लिए प्ले एरिया, मोटल्स के लिए जगह, लॉरी ड्राइवर्स के लिए रेस्ट एरिया, बैंक्वेट हॉल्स, फ्यूल स्टेशंस, यहां तक कि ऑपरेशन थियेटर्स और ICU बेड्स से लैस अस्पताल भी तैयार हैं. ट्रैफिक स्टार्ट होने के साथ ही ये सब शुरू हो जाएंगे. ज्यादातर सुविधाएं इंडियन ऑयल, द फ्यूल रिटेलर जैसी एजेंसियों के जिम्मे हैं.
एक्सप्रेस-वे पर इन वाहनों को नहीं मिलेगा प्रवेश : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर टू व्हीलर, थ्री-व्हीलर और ट्रैक्टर्स नहीं जा सकेंगे. हर एंट्री पॉइंट पर इन्हें रोकने के लिए गार्ड तैनात होंगे. चूंकि एक्सप्रेस-वे एक्सेस-कंट्रोल्ड है, ऐसे में गाड़ियां केवल तय जगहों से ही एंटर कर पाएंगीं.
कैमरे की रहेगी नजर : एक्सप्रेस-वे पर सीसीटीवी सर्विलांस है, जिसके जरिए ट्रैफिक उल्लंघन से लेकर किसी तरह के हादसे व क्राइम पर नजर रखी जा सकेगी. हर 50 किलोमीटर पर NHAI स्पीड गन भी लगा रहा है. हर 20 किलोमीटर पर ड्राइवर्स को अलर्ट करने के लिए स्पीड डिटेक्शन बोर्ड होंगे. सूत्रों के अनुसार, कंट्रोल रूम से विजुअल प्रूफ के साथ जुर्माना कटेगा और लोकल पुलिस के पास चालान काटने को भेजा जाएगा. इसके अलावा प्रस्तावित अस्पतालों और ट्रॉमा सेंटर्स की बात है. प्राइवेट प्लेयर्स को लाने में वक्त लग सकता है. एक्सप्रेस-वे के सोहना-दौसा मार्ग पर एक्सीडेंट विक्टिम को रेस्क्यू करने के लिए हेलीपैड भी बनाए गए हैं. एक्सप्रेस-वे जिस तरह से बना है, उसके अनुसार हर 30-35 किलोमीटर पर लोगों को सुविधाएं मिलेंगीं. कुछ रेस्ट एरिया 35 हेक्टेयर तक में फैली हैं.
एक्सप्रेस-वे को जयपुर से जोड़ने के लिए बनेगा नया हाईवे : जयपुर में आगरा राेड स्थित रिंग राेड तक नया लिंक रोड बनाया जाएगा. छह लेन लिंक राेड करीब 85 गांवाें में हाेकर गुजरेगा. इनमें दाैसा के 45 व जयपुर जिले 40 गांवाें में हाेकर गुजरेगा. इसके लिए जल्द सर्वे शुरू हाेगा. यह राेड बनने के बाद दिल्ली से जयपुर तक वाहन इसी मार्ग से आ-जा सकेंगे. इससे जयपुर-आगरा राेड पर वाहनाें का भार कम हाे जाएगा. यह राेड बनने के बाद तीन जगह से वाहन इस मार्ग पर चढ़-उतर सकेंगे. जयपुर में आगरा राेड स्थित रिंग राेड के सामने, नेशनल हाईवे 11ए पर खुरी खुर्द व द्वारापुरा के पास से वाहन इस मार्ग पर चढ़ व उतर सकेंगे. तीनाें जगह टाेल प्लाजा भी रहेंगे.