अलवर. जिले के डेहरा शाहपुर स्थित चुहड़ सिद्ध मंदिर के समीप बने लव कुश वाटिका का मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और मंत्री टीकाराम जूली ने उद्घाटन किया. जिसके बाद इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया. वहीं, इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि जिस काम को वो पूरा नहीं कर पाए, उसे मंत्री टीकाराम जूली ने पूरा किया है. उन्होंने कहा कि जब वो अलवर से विधायक थे तो ये इलाका उनके क्षेत्र में ही था, लेकिन विधानसभा का सीमांकन होने के बाद ये इलाका टीकाराम जूली के विधानसभा क्षेत्र में चला गया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने की जूली की तारीफ - उन्होंने कहा कि उनका सपना था कि इस पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित किया जाए. लेकिन उनका सपना तब साकार नहीं हो सका था. लेकिन आज मंत्री टीकाराम जूली ने यह सपना साकार कर दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यहां सबसे बड़ी बात यह है कि अंदर जो पहाड़ी है, वहां 60 फीट के ऊपर भी पानी पहुंच गया है और यह सारा काम जल संरक्षण के कारण हुआ है. आगे उन्होंने कहा कि जिले के समतल इलाकों में हजार फीट पर भी पानी नहीं है तो यह सिद्ध करता है कि जल संरक्षण बहुत जरूरी है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.
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वहीं, मंत्री टीकाराम जूली ने कहा कि ये भंवर जितेंद्र सिंह के पुराने विधानसभा क्षेत्र का इलाका है. वो चाहते थे कि इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए और हमने उनकी सोच को साकार करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राजस्थान सरकार पर्यटन पर पूरा फोकस बनाए हुए हैं. अलवर में सरिस्का में 25 टाइगर हो गए हैं तो अब यहां भालू भी आ गए हैं. इसके अलावा पहले से ही सरिस्का में भारी संख्या में पैंथर मौजूद हैं. ऐसे में अब पर्यटक अलवर के प्रति अधिक आकर्षित होंगे. मंत्री जूली ने कहा कि भर्तृहरि के लिए 5 करोड़ और देवनारायण मंदिर के लिए 8 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं. इसके अलावा अनेक धार्मिक स्थलों के लिए सड़क व अन्य सुविधाओं पर राशि स्वीकृत की गई है.
वाटिका में क्या है खास - 70 हेक्टेयर में फैली इस पहाड़ी को लव कुश वाटिका के रूप में डेवलप किया गया है. इस वाटिका में लोग अपने परिवार के साथ सैर सपाटा कर सकेंगे. इसमें युवाओं के घूमने के लिए भी अलग ट्रैक है. साथ ही बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क तैयार किया गया है. इस पूरे क्षेत्र में फल और फूलों के पौधे लगाए गए हैं. साथ ही यहां ईको ट्रैक तैयार किया गया है और मार्गों पर पत्थर बिछाए गए हैं. ताकि लोग इस ट्रैक पर घूम सकें. इतना ही नहीं पहाड़ी क्षेत्र में पेड़-पौधे लगाकर इसे घने जंगल का स्वरुप दिया गया है. इसके अलावा जगह-जगह साइन बोर्ड लगाए गए हैं. इतना ही नहीं यहां वॉच टावर भी बनाए गए हैं. साथ ही लोगों के बैठने के लिए रेस्ट एरिया भी है.