अलवर. यह जिला डार्क जोन में आता है. यहां भूमिगत पानी का स्तर तेजी से कम हो रहा है और सताई पानी की भी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में जलदाय विभाग केवल ट्यूबवेल के भरोसे है. लेकिन भीषण गर्मी के दौरान ट्यूबवेल भी फेल होने लगते हैं. इसलिए अलवर के लोगों को पानी के लिए दर-दर की ठोकर खानी पड़ती है. पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. इसी तरह के हालात रहे तो आने वाले समय में परेशानी और बढ़ सकती है. लेकिन प्रशासन और जलदाय विभाग के अधिकारियों का इस तरफ तनिक भी ध्यान नहीं है. ऐसे में आम आदमी परेशान हो रहा है. अलवर के 30 से 40 मोहल्ले और कच्ची बस्तियों में पानी की भारी किल्लत है.
अकेले अलवर शहर में 147 करोड़ रुपए की लागत से एनसीआर योजना के तहत नई पानी की पाइप लाइन डाली गई. नई टंकियां बनाने का काम हुआ है तो वहीं बीते 6 माह के दौरान जलदाय विभाग ने 100 से अधिक ट्यूबवेल खोदे हैं. अलवर के अलावा भिवाड़ी, नीमराणा, बहरोड़, खैरथल, किशनगढ़ बास, राजगढ़ और रामगढ़ सहित जिले के सभी 11 तहसीलों में करोड़ों रुपए की लागत से नई पाइप लाइन डाली गई. पानी की टंकी बनाई गई और नए पंप हाउस खोले गए. लेकिन उसके बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ.
एनसीआर योजना का जब काम शुरू हुआ था. तो जलदाय विभाग के अधिकारियों ने दावा किया था कि काम पूरा होने के बाद सभी को समान पानी मिलेगा. पानी की कमी अलवर में दूर होगी. लेकिन वो सभी दावे झूठे साबित हुए. ऐसे में एनसीआर योजना पर खर्च हुए करोड़ों रुपए भी बेकार हो गए. आम गरीब जनता का पैसा सरकार के कुछ चुनिंदा अधिकारियों और नेताओं ने खुद का निजी फायदा पहुंचाने के लिए खर्च कर दिए.
जलदाय विभाग के अधिकारी जनता को अब झूठा आश्वासन देने में लगे हैं. लेकिन हालात अब भी बद से बदतर हैं. जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता आदित्य शर्मा ने बताया कि पहले के मुकाबले पुराने मोहल्लों और कच्ची बस्तियों में काफी सुधार आया है. कुछ जगहों पर नई पाइप लाइन शुरू कर दी गई है. तो वहीं कुछ जगहों पर पुरानी पाइप लाइन से अभी पानी सप्लाई किया जा रहा है.
दरअसल पानी सप्लाई करना अति आवश्यक है. सभी को पानी मिलना चाहिए. इसलिए जलदाय विभाग की तरफ से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन अलवर पूरी तरीके से ट्यूबवेल के भरोसे है. वहीं भीषण गर्मी के दौरान ट्यूबवेल का स्तर तेजी से गिर रहा है. ऐसे में पानी की डिमांड पूरी करने में थोड़ी परेशानी आती है.