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Honey Production in Alwar : इटली की मधुमक्खी से शहद तैयार करना बन रहा घाटे का सौदा, खर्च निकालना भी मुश्किल - Rajasthan Hindi News

अलवर में इटली की मधुमक्खियों से शहद तैयार किया जाता है. दूसरे राज्यों से (Honey From Italian Honeybees in Alwar) यहां आकर किसान मधुमक्खी पालन करते हैं. इसमें पहले काफी मुनाफा हो रहा था, लेकिन इन दिनों बाजार में नकली शहद मिलने के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

Farmers preparing Honey from Italian Honeybees
इटालियन मधुमक्खियों से शहद तैयार करते किसान
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Published : Feb 6, 2023, 7:51 PM IST

Updated : Feb 6, 2023, 8:43 PM IST

शहद तैयार करने वाले किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा

अलवर. प्याज व सरसों के लिए देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखने वाले अलवर में शहद की पैदावार भी काफी अच्छी होती है. अलवर का शहद विदेशों में भी सप्लाई होता है. उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान इटली की मधुमक्खी से शहद तैयार करते हैं. यह मधुमक्खी अन्य मधुमक्खियों की तुलना में ज्यादा शहद बनाती हैं. इसे गुणवत्ता में भी अच्छा माना जाता है. बीते कुछ सालों से बाजार में मिलने वाले नकली शहद के कारण इस व्यापार से जुड़े लोगों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है.

अलवर के किसान सरसों की फसल के साथ-साथ मधुमक्खी पालन भी करने लगे हैं. नवंबर से लेकर मार्च माह तक मधुमक्खी पालन का सीजन रहता है. इसमें किसान मधुमक्खी पालन करते हैं. इस काम के लिए उत्तर प्रदेश व बिहार से श्रमिक आते हैं. मधुमक्खी पालन में खास तौर पर इटली की जातियों की मधुमक्खी काम में ली जाती हैं. इन मधुमक्खियों का भोजन भी सामान्य मधुमक्खियों की तुलना में अलग होता है, साथ ही इनकी देखरेख भी की जाती है.

पढ़ें. Special : जीएम सीड से 'मिठास' में घुल सकती है 'कड़वाहट'...शहद उत्पादन को लग सकती है 1000 करोड़ की चपत

उत्तर प्रदेश से आए किसान सुनील ने बताया कि उन्होंने मधुमक्खी पालन के लिए अलवर के गांव में लोगों से किराए पर जमीन ली है. इससे किसानों को दोगुना फायदा मिल रहा है. उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन के लिए वो दूसरे प्रदेशों में भी जाते हैं. बंजर भूमि होने के कारण किसान अपनी भूमि को किराए पर दे देते हैं. कुछ किसान सरसों की खड़ी फसल में भी मधुमक्खी पालन के लिए जमीन किराए पर देकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं.

सरसों की फसल मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल : उन्होंने बताया कि अलवर जिले में अक्टूबर माह से मार्च माह के बीच सरसों की खेती होती है. इसलिए इस दौरान अलवर में मधुमक्खी पालन होता है. सरसों की फसल मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल है. इन दिनों में अच्छा शहद इकट्ठा होता है. मात्र 1 से 2 महीने में ही कई बार शहद निकाल लिया जाता है. इसके बाद शहद को किसानों से खरीद लिया जाता है.

पढ़ें. World Bee Day: फूलों से शहद बनाने वाली मधुमक्खियों को बचाने की जरूरत, पेड़ पौधों के परागण में सबसे अहम है इनका किरदार

मुरादाबाद से अलवर जिले में मधुमक्खी पालन के लिए आए किसान ने बताया कि बीते साल उन्हें शहद के 140 किलो रेट मिले थे, लेकिन इस बार अभी तक रेट नहीं खुले हैं. इस बार लग रहा है कि किसान अपना खर्चा भी नहीं निकाल पाएगा. 10 दिन बाद फिर से मधुमक्खियों को लेकर अपने गांव मुरादाबाद लौट जाएंगे और वहीं जाकर शहद इकट्ठा करेंगे.

कितना आता है खर्च : किसान ने बताया कि मधुमक्खी के एक बॉक्स लगाने में करीब 3 हजार रुपये का खर्च आता है. उन्होंने अभी 100 बॉक्स लगाए हुए हैं. उनकी जमीन का किराया करीब 3000 रुपए है. इसके अलावा कमरे का किराया करीब 2 हजार है. इसके साथ ही कई अन्य तरह के खर्चे भी मधुमक्खी पालन के दौरान किसान को खेलने पड़ते हैं.

नकली शहद के चलते हो रहा है नुकसान : किसानों ने बताया कि बाजार में लगातार नकली शहद बिकने के लिए आ रहा हैं. इसके चलते शहद के दामों में तेजी से गिरावट हो रही है. अलवर में तैयार होने वाला शहद विदेशों में सप्लाई होता है. क्योंकि शहद की डिमांड अमेरिका, यूरोप, जापान सहित अन्य देशों में भारत की तुलना में कई गुना ज्यादा है. किसानों ने कहा कि अलवर में सरसों की खेती होती है. सरसों के फूल के कारण ज्यादा शहद तैयार होता है. इसलिए किसान सरसों की फसल के दौरान अलवर आते हैं व यहां मधुमक्खी पालन करते हैं.

शहद तैयार करने वाले किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा

अलवर. प्याज व सरसों के लिए देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखने वाले अलवर में शहद की पैदावार भी काफी अच्छी होती है. अलवर का शहद विदेशों में भी सप्लाई होता है. उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान इटली की मधुमक्खी से शहद तैयार करते हैं. यह मधुमक्खी अन्य मधुमक्खियों की तुलना में ज्यादा शहद बनाती हैं. इसे गुणवत्ता में भी अच्छा माना जाता है. बीते कुछ सालों से बाजार में मिलने वाले नकली शहद के कारण इस व्यापार से जुड़े लोगों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है.

अलवर के किसान सरसों की फसल के साथ-साथ मधुमक्खी पालन भी करने लगे हैं. नवंबर से लेकर मार्च माह तक मधुमक्खी पालन का सीजन रहता है. इसमें किसान मधुमक्खी पालन करते हैं. इस काम के लिए उत्तर प्रदेश व बिहार से श्रमिक आते हैं. मधुमक्खी पालन में खास तौर पर इटली की जातियों की मधुमक्खी काम में ली जाती हैं. इन मधुमक्खियों का भोजन भी सामान्य मधुमक्खियों की तुलना में अलग होता है, साथ ही इनकी देखरेख भी की जाती है.

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उत्तर प्रदेश से आए किसान सुनील ने बताया कि उन्होंने मधुमक्खी पालन के लिए अलवर के गांव में लोगों से किराए पर जमीन ली है. इससे किसानों को दोगुना फायदा मिल रहा है. उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन के लिए वो दूसरे प्रदेशों में भी जाते हैं. बंजर भूमि होने के कारण किसान अपनी भूमि को किराए पर दे देते हैं. कुछ किसान सरसों की खड़ी फसल में भी मधुमक्खी पालन के लिए जमीन किराए पर देकर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं.

सरसों की फसल मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल : उन्होंने बताया कि अलवर जिले में अक्टूबर माह से मार्च माह के बीच सरसों की खेती होती है. इसलिए इस दौरान अलवर में मधुमक्खी पालन होता है. सरसों की फसल मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल है. इन दिनों में अच्छा शहद इकट्ठा होता है. मात्र 1 से 2 महीने में ही कई बार शहद निकाल लिया जाता है. इसके बाद शहद को किसानों से खरीद लिया जाता है.

पढ़ें. World Bee Day: फूलों से शहद बनाने वाली मधुमक्खियों को बचाने की जरूरत, पेड़ पौधों के परागण में सबसे अहम है इनका किरदार

मुरादाबाद से अलवर जिले में मधुमक्खी पालन के लिए आए किसान ने बताया कि बीते साल उन्हें शहद के 140 किलो रेट मिले थे, लेकिन इस बार अभी तक रेट नहीं खुले हैं. इस बार लग रहा है कि किसान अपना खर्चा भी नहीं निकाल पाएगा. 10 दिन बाद फिर से मधुमक्खियों को लेकर अपने गांव मुरादाबाद लौट जाएंगे और वहीं जाकर शहद इकट्ठा करेंगे.

कितना आता है खर्च : किसान ने बताया कि मधुमक्खी के एक बॉक्स लगाने में करीब 3 हजार रुपये का खर्च आता है. उन्होंने अभी 100 बॉक्स लगाए हुए हैं. उनकी जमीन का किराया करीब 3000 रुपए है. इसके अलावा कमरे का किराया करीब 2 हजार है. इसके साथ ही कई अन्य तरह के खर्चे भी मधुमक्खी पालन के दौरान किसान को खेलने पड़ते हैं.

नकली शहद के चलते हो रहा है नुकसान : किसानों ने बताया कि बाजार में लगातार नकली शहद बिकने के लिए आ रहा हैं. इसके चलते शहद के दामों में तेजी से गिरावट हो रही है. अलवर में तैयार होने वाला शहद विदेशों में सप्लाई होता है. क्योंकि शहद की डिमांड अमेरिका, यूरोप, जापान सहित अन्य देशों में भारत की तुलना में कई गुना ज्यादा है. किसानों ने कहा कि अलवर में सरसों की खेती होती है. सरसों के फूल के कारण ज्यादा शहद तैयार होता है. इसलिए किसान सरसों की फसल के दौरान अलवर आते हैं व यहां मधुमक्खी पालन करते हैं.

Last Updated : Feb 6, 2023, 8:43 PM IST
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