अलवर. विशिष्ट न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम ने मंगलवार को दस साल पुराने रिश्वत मामले (bribery case in Alwar) में लक्ष्मणगढ़ के तत्कालीन डीएसपी मन्नोराम मीणा, रीडर राजेंद्र प्रसाद तिवारी और वकील रामजीलाल शर्मा को 5-5 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही इन लोगों पर जुर्माना भी लगाया गया है. बता दें, साल 2012 में एसीबी ने रिश्वत लेते हुए वकील को गिरफ्तार किया था.
जानकारी के अनुसार डिप्टी एसपी के नाम पर 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए 29 अगस्त 2012 को एसीबी ने वकील रामजी लाल शर्मा निवासी कठूमर को गिरफ्तार किया था. उसके बाद रीडर राजेंद्र प्रसाद को पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किया गया. जबकि डिप्टी एसपी मन्नोराम मीणा इस मामले में फरार चल रहा था. न्यायालय ने डिप्टी एसपी को भगोड़ा घोषित करते हुए उसकी संपत्ति कुर्की करने के वारंट जारी किए, जिसके बाद डिप्टी एसपी ने 17 जनवरी 2013 को एसीबी (Alwar ACB Action) के सामने सरेंडर किया.
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इसके बाद से लगातार न्यायालय में मामले की सुनवाई चल रही थी. आरोपी और बचाव पक्ष की तरफ से अपनी दलील रखी गई. इस पर फैसला सुनाते हुए तीनों को 5-5 वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया गया. साथ ही डीएसपी और रीडर पर 75 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. जबकि वकील पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. इस फैसले के बाद एक बार फिर से पुलिस की कार्य व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं.
अलवर की 60 फुट रोड स्थित राम नगर कॉलोनी निवासी गोकुल राम शर्मा और उनके भाई कुंदन लाल ने 20 अगस्त 2012 को अलवर एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी. उसका संपत्ति विवाद कठूमर थाने में दर्ज है. इसकी जांच लक्ष्मणगढ़ डिप्टी एसपी मन्नोराम मीणा कर रहे हैं. इस मामले में लीडर राजेंद्र प्रसाद गिरफ्तार करने की धमकी देकर डीएसपी के नाम पर एक लाख की रिश्वत मांग रहा है. रीडर 42 हजार रुपए एडवांस में ले चुका है. रीडर ने कहा कि उसके मामले में एफआर लगाकर दूसरे पक्ष के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें बंद कर देंगे. इस पर एसीबी ने मामले का सत्यापन करवाया. मामला सही पाया गया और एसीबी ने ट्रैप की कार्रवाई को अंजाम दिया.