अलवर. प्याज व सरसों के बाद अब कपास अलवर की नई पहचान बन रही है. किसान को कपास के बेहतर दाम मिलते हैं, इसलिए जिले में कपास का रकबा बढ़ रहा है. इस साल करीब दो लाख क्विंटल कपास अब तक मंडी में बिकने के लिए पहुंच चुकी है. अलवर से पूरे देश भर में कपास सप्लाई हो रही है, तो देश के बाहर भी एक्सपोर्ट की प्रक्रिया जारी है. बेहतर क्वालिटी की कपास होने के कारण व्यापारी व लोग इसे पसंद कर रहे हैं. किसान को भी अन्य फसलों की तुलना में कपास की फसल में बेहतर भाव मिल रहे हैं.
नासिक के बाद अलवर प्याज की दूसरी बड़ी मंडी है तो देशभर में सबसे ज्यादा सरसों की पैदावार भी अलवर में ही होती है. अलवर से सरसों का तेल पूरे देश में सप्लाई होता है, लेकिन अब कपास से भी अलवर की पहचान होने लगी है. अलवर में बेहतर क्वालिटी की कपास की पैदावार हो रही है. इसे बड़े मिल मालिक पसंद कर रहे हैं, जिसके चलते कपास की डिमांड बढ़ रही है.
बीते साल इस समय तक मंडी में करीब एक लाख 40 हजार क्विंटल कपास बिकने के लिए पहुंची थी, लेकिन इस बार एक लाख 77 हजार क्विंटल से भी ज्यादा कपास की आवक हो चुकी है. लगातार किसान कपास बेचने के लिए मंडी पहुंच रहा है. बीते साल की तुलना में किसान को बेहतर दाम मिल रहे हैं. शुरुआत में 10 हजार रुपए क्विंटल तक किसान को कपास के भाव मिले थे, तो अभी 8000 से 8500 प्रति क्विंटल के हिसाब से कपास मंडी में बिक रही है. अलवर की कपास गुणवत्ता में बेहतर है, इसलिए लगातार कपास की डिमांड बढ़ रही है.
किस क्षेत्र में होती है कपास की पैदावार : अलवर जिले में कपास की पैदावार ज्यादा होती है. अलवर के भी (Cotton Supply in Alwar Mandi) बहरोड़, मालाखेड़ा, राजगढ़, बड़ौदामेव, रामगढ़, किशनगढ़ बास व तिजारा क्षेत्र में कपास की पैदावार ज्यादा होती है. लगातार जिले में कपास की फसल का रकबा बढ़ रहा है. ज्यादा लोग कपास की खेती करने लगे हैं.
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प्रतिदिन आ रही है कई क्विंटल कपास : अलवर मंडी में प्रतिदिन 500 क्विंटल से ज्यादा कपास बिकने के लिए पहुंच रही है. अब तक मंडी में करीब दो लाख क्विंटल कपास बिकने के लिए पहुंच चुकी है. लगातार इस का सिलसिला जारी है. बीते साल 3500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कपास भी की थी, लेकिन इस बार शुरुआत में भाव 10 हजार रुपए प्रति कुंटल थे जो अब कम होकर 8500 रुपए के आसपास पहुंच चुके हैं.
क्या काम आता है कपास ? : रजाई, गद्दे, ऊन कपड़े व धागा बनाने के लिए कपास को काम में लिया जाता है. अलवर सहित आसपास क्षेत्र में कपड़े की मील है. इसलिए अलवर जिले में भी कपास की डिमांड ज्यादा रहती है, साथ ही पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में अलवर से कपास सप्लाई होता है.