अलवर. अलवर और धौलपुर में 422 पंचायत समिति और 72 जिला परिषद सदस्यों के लिए मतदान हो चुका है. अब 29 अक्टूबर को नतीजे सामने आएंगे. क्रॉस वोटिंग न हो इसके लिए कांग्रेस ने दोनों जिलों के सभी प्रत्याशियों को प्रशिक्षण के नाम पर आज से बाडाबंदी में ले लिया है. सदस्यों को 31 अक्टूबर तक बाड़ाबंदी में रखा जाएगा क्योंकि जीते हुए सदस्य 30 अक्टूबर को प्रधान और जिला प्रमुख और 31 अक्टूबर को उप प्रधान और उप जिला प्रमुख का चुनाव करेंगे.
हारने वाले सदस्यों को 29 अक्टूबर को मतदान के नतीजों के बाद घर भेज दिया जाएगा. पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों को पार्टी ने अलग-अलग जगह रखा है. प्रत्याशियों को अलवर और धौलपुर के अलग-अलग रिसोर्ट, होटल और फार्म हाउस में ठहराया गया है.
बागी नेताओं पर नहीं की गई कारवाई, जीतने वालों को पार्टी लगाएगी गले
पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के तौर पर टिकट नहीं मिलने पर जिन नेताओं ने बागी होकर चुनाव लड़ा है, उन नेताओं पर कांग्रेस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसके पीछे कारण साफ है कि अगर कोई बागी चुनाव में जीत दर्ज कर लेता है तो उसे वापस पार्टी समर्थन ले सकती है. यह परंपरा कांग्रेस में अब तक हुए 27 जिलों के जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव से चली आ रही है. अलवर और धौलपुर में भी यही परंपरा निभाई जा सकती है. इतना ही नहीं अगर कोई निर्दलीय भी कांग्रेस को जीतने के बाद समर्थन देता है, तो पार्टी उन्हें भी गले लगाएगी. इसके लिए स्थानीय नेता निर्दलीयों के संपर्क में हैं.
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क्रॉस वोटिंग हुई तो जिम्मेदारी टिकट दिलाने वाले नेता की
अलवर में बाड़ाबंदी की कमान श्रम मंत्री टीकाराम जूली, कांग्रेस विधायक शकुंतला रावत, बाबूलाल बैरवा, जौहरी लाल मीणा, दीपचंद खेरिया, सफिया जुबेर, निर्दलीय विधायक कांति मीणा और संगठन के जिला प्रभारी जसवंत गुर्जर ने संभाली हुई है. वहीं धौलपुर में कांग्रेस विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, गिर्राज मलिंगा और रोहित बोहरा ने बाड़ाबंदी की कमान संभाली हुई है. भले ही विधायकों को बाड़ाबंदी की कमान सौंपी गई हो, लेकिन इस बार अगर क्रॉस वोटिंग होती है, तो टिकट दिलवाने वाले उन नेताओं की भी जिम्मेदारी तय कर दी गई है जिनके कहने पर पार्टी ने जिला परिषद या पंचायत समिति सदस्य को टिकट दिया था.