भिवाड़ी (अलवर). आलमपुर गांव में एक बिजली के पोल पर चिड़िया के घोंसले से उसका एक नवजात चूजा जमीन पर आ गिरा. वहां खेल रही अदिती दायमा और साक्षी ने चूजे को देख लिया. दोनों ने पास में खेल रहे दूसरे बच्चों को भी बुला लिया. उस चूजे के प्रति बच्चों के दिल में एक सहानुभूति और प्रेम की लहर दौड़ पड़ी. बच्चे उस चिड़िया के चूजे को उठाकर घर ले आए.
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चूजे को एक रात घर पर ही रखा...
बच्चों ने रात भर चूजे को घर पर ही रखा. दाना-पानी भी दिया. सुबह बच्चों ने अपने पिता पूर्व पार्षद महिपाल से कहा कि इस चूजे की मां अपने बच्चे के बिना नहीं रह पाएगी. वह परेशान हो रही होगी. चूजे को उसकी मां तक पहुंचाना है. यह बात सुनकर बच्चों के माता-पिता के दिल में भी उस चूजे के प्रति सहानुभूति उमड़ पड़ी.
बिजली बंद कराया, जेसीबी भी बुलाई गई
पिता ने विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता राजेंद्र सैनी को फोन कर तुरंत ही विद्युत सप्लाई को बंद करवाया. उन्होंने फोन कर जेसीबी को बुलवाया. जेसीबी के जरिए उस चूजे को खंभे पर स्थित घोंसले तक पहुंचाने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली.
जेसीबी काम न आई, क्रेन मंगाई गई
जब जेसीबी काम नहीं आई तो बच्चों के पिता ने फोन कर क्रेन का इंतजाम किया. काफी मशक्कत के बाद क्रेन के जरिए चिड़िया के चूजे को उसके घोंसले तक सही सलामत पहुंचाया गया. इस दौरान आसपास के लोगों की भीड़ लग गई.
बच्चों के चेहरे खिले
घोंसले पर अपने बच्चे को देखकर चिड़िया चहचहाने लगी. इधर चूजे को अपनी मां के पास देख कर बच्चों के चेहरे भी खिल उठे.
पक्षी प्रेम की अनूठी मिसाल
सभी लोगों ने बच्चों की इस भावना को काफी सराहा. इस पूरे घटनाक्रम में विद्युत विभाग के अधिकारियों और आमजन ने सहयोग कर मानवता की मिसाल पेश की है.