अलवर. सरिस्का के जंगल में अब भालू भी नजर आएंगे. लंबे समय के इंतजार और एनटीसीए व प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद जल्द ही भालू का जोड़ा चिह्नित कर उनको शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी. जर्मनी से रेडियो कॉलर मिलते ही भालू के एक जोड़े को सरिस्का के जंगल में शिफ्ट किया जाएगा.
सरिस्का के सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत ने बताया कि माउंट आबू, सिरोही व पाली क्षेत्र के जंगलों से भालू सरिस्का में शिफ्ट किए जाएंगे. मेल व फीमेल भालू के चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जंगल में भालू का जोड़ा शिफ्ट करने से पहले उनके गले में रेडियो कॉलर लगाया जाएगा. इससे उनकी मॉनिटरिंग की जा सकेगी. रेडियो कॉलर जर्मनी से आते हैं. इसकी उपलब्धता नहीं होने के कारण फिलहाल भालू को शिफ्ट करने में समय लग रहा है. जैसे ही रेडियो कॉलर मिलेंगे, भालू के जोड़े को सरिस्का के जंगल में शिफ्ट कर दिया जाएगा.
सरिस्का बाघों के लिए अपनी विशेष पहचान रखता है. सरिस्का में अभी 25 बाघ हैं. इनमें 13 बाघिन, 8 बाघ एवं चार शावक हैं. इसके अलावा 400 से ज्यादा पैंथर हैं. सरिस्का में बाघ, पैंथर के अलावा नीलगाय, हिरण, चीतल, बारहसिंघा सहित कई प्रजातियों के वन्यजीव मौजूद हैं. लेकिन अब सरिस्का के जंगल में पर्यटकों को भालू की साइटिंग भी हो सकेगी. लंबे समय से जंगल में भालू का कुनबा बसाने के प्रयास किए जा रहे थे. अब जाकर एनटीसीए और प्रदेश सरकार की अनुमति मिली है.
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को भालू की साइटिंग होती है. सरिस्का में पूर्व में एक भालू लाया गया था. यह भालू कुछ साल सरिस्का के जंगल में रहा, लेकिन बाद में अचानक लापता हो गया. इसका अब तक पता नहीं चल सका है. कई बार उसकी तलाश की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. सरिस्का में दो मेल व दो फीमेल भालुओं का पुनर्वास कराने की योजना है. इसमें से एक भालू के जोड़े को शिफ्ट करने की अनुमति मिल चुकी है.