अलवर. कोरोना वायरस की संदिग्ध मरीज में पॉजिटिव मरीजों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है. ऐसे में सरकार की तरफ से सभी तरह के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन यह दावे केवल शहरी क्षेत्र में नजर आ रहे हैं. शहर से बाहर निकलते ही हालात खराब हैं. लोगों को सरकार की कोई मदद नहीं मिल रही है. ईटीवी भारत की टीम ने हालात का जायजा लिया.
अलवर से दिल्ली जाने वाले सड़क मार्ग पर शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर गाजूकी पुलिया के पास एक खाली प्लॉट में रहने वाले 8 से 10 परिवारों के 40 लोगों ने कहा कि वो प्रतिदिन प्लास्टिक की पन्नी, प्लास्टिक की बोतल व अन्य सामान इकट्ठा करके बेचते हैं. जिससे उनका जीवन यापन होता है. लॉक डाउन के दौरान वो अपनी झुग्गी झोपड़ी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में उनके सामने रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है. थोड़ा बहुत सामान कभी-कभी आसपास क्षेत्र के लोग देते हैं, लेकिन लोगों की संख्या के हिसाब से वो कम रहता है.
इतना ही नहीं इन लोगों को न तो कोरोना वायरस के बारे में कोई जानकारी है और न ही उसके बचाव के बारे में कुछ पता है. ऐसे में ये लोग एक साथ एक ही जगह पर रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की तरफ से अभी तक इनके पास कोई भी कर्मचारी अधिकारी नहीं पहुंचा है. न तो इनको राशन मिला है, न ही इनको कभी जागरूक किया गया है. ऐसे में साफ है कि अगर किसी तरह से यह लोग संक्रमित होते हैं तो संक्रमण क्षेत्र के सभी लोगों में फैल सकता है. ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में अलवर में प्रशासन के दावे गलत साबित हुए.
ईटीवी भारत की टीम ने लोगों को किया जागरूक
इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए लोगों को जागरूक किया. उनको कोरोना वायरस के बारे में बताया और कोरोनावायरस से बचाव के लिए जागरूकता संबंधी जानकारी दी. इस दौरान सभी को मुंह पर कपड़ा बांधने, हाथ साबुन से साफ करने और एक दूसरे से दूर रहने सहित कई जानकारियां दी गईं. इस दौरान बस्ती के लोगों ने ईटीवी भारत की टीम से कुछ सवाल भी किए, जिनके जवाब भी दिए गए.