अलवर. राजस्थान में अलवर के जिला परिषद सभागार में गुरुवार को जिला कलेक्टर ने जिला स्तरीय जनसुनवाई की. इस दौरान जिले भर से लोग अपनी शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे तो 250 लोगों के बाद प्रशासन ने भीड़ ज्यादा होने पर रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया. घंटों अपनी बारी का इंतजार करने के बाद कुछ लोग प्रशासन की व्यवस्था से खुश दिखाई दिए तो कुछ अपनी समस्या बताते हुए, रोते हुए बीच में छोड़कर चले गए. जिला कलेक्टर जनसुनवाई के दौरान लोगों को समझाते हुए दिखे. कुछ समस्याओं का मौके पर ही निस्तारण किया गया.
दरअसल, जिला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने गुरुवार को जनसुनवाई के दौरान लोगों की समस्याएं सुनीं व उनका समाधान (Public Hearing in Alwa) करने का आश्वासन दिया. इस मौके पर जिला प्रमुख बलवीर छील्लर, एडीएम प्रथम, एडीएम द्वितीय और प्रशासनिक अधिकारी सहित पुलिस विभाग के अधिकारी मौजूद थे. जनसुनवाई में बड़ी संख्या में परिवादी अपनी अपनी समस्या लेकर पहुंचे. इस दौरान पुलिस, यूआईटी और नगर परिषद सहित अन्य विभागों से आई समस्याओं के संबंध में कलेक्टर ने लोगों की समस्या का निस्तारण करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया.
पिछले 6 सालों से पंचायत सहायकों की अटकी हुई नियुक्ति का निपटारा करते हुए 10 पंचायत सहायकों को पोस्टिंग दी गई. जनसुनवाई के दौरान (Alwar Collector Public Hearing) जिला कलेक्टर के मोबाइल पर एक आर्मी से जुड़े जवान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी समस्या रखी. इस पर जिला कलेक्टर ने जवान की बात को गंभीरता से सुना और संबंधित अधिकारियों को उनकी समस्या का निस्तारण करने के दिशा निर्देश दिए.
वहीं, इस दौरान सरकारी विभागों के चक्कर लगाते-लगाते थक चुकी एक महिला कलेक्टर को अपनी व्यथा बताते हुए रोने लगी. उसने कहा कि कुछ समय पहले उसके भाई की हत्या करके सागर में उसका शव फेंक दिया गया था. अब घर में दो लोग बचे हैं. घर में कोई कमाने वाला नहीं है. ऐसे में जीवन-यापन करने में खासी दिक्कत आ रही है. इस पर जिला कलेक्टर ने महिला को नगर परिषद में अस्थाई तौर पर खाना बनाने के लिए रखने के आदेश दिए, लेकिन सरकारी व्यवस्थाओं से हार चुकी महिला रोते हुए जनसुनवाई को बीच में छोड़कर चली गई.
इस पर जनसुनवाई में मौजूद पुलिस व अन्य अधिकारी भी उसके साथ बाहर तक गए, उसको समझाया व वापस जनसुनवाई में लाया गया. वहीं, एक सरपंच ने दूसरे सरपंच पर विकास कार्य के लिए पैसे नहीं देने का आरोप लगाया तो कुछ लोग प्रशासन की व्यवस्थाओं से परेशान दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि लंबे समय से वो जनसुनवाई व सरकारी विभागों में चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ. हर बार उनको झूठा आश्वासन मिलता है. अधिकारी केवल एक दूसरे पर डालने में लगे रहते हैं.