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अलवर: इस साल रक्षाबंधन पर सूनी रह सकती है बंदियों की कलाई, जेल में बहनों को अनुमति नहीं मिलने की संभावना

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Published : Jul 23, 2020, 2:33 AM IST

अलवर सेंट्रल जेल, बहरोड़ और किशनगढ़ बास उप जेल में हर साल बंदियों को बहनें राखी बांधने आती है. लेकिन, इस साल रक्षाबंधन पर बंदियों की कलाई सूनी रह सकती है. कोरोना संक्रमण के चलते जेल प्रशासन रक्षाबंधन पर बहनों को राखी बांधने की अनुमति नहीं देने पर विचार कर रहा है.

Raksha Bandhan 2020, अलवर न्यूज़
अलवर सेंट्रल जेल में रक्षाबंधन पर अनुमति नहीं दिए जाने पर किया जा रहा विचार

अलवर. जिले के केंद्रीय कारागार में इस साल रक्षाबंधन पर बंदियों की कलाई सूनी रह सकती है. कोरोना संक्रमण के चलते जेल प्रशासन रक्षाबंधन पर बहनों को राखी बांधने की अनुमति नहीं देने पर विचार चल रहा है.

गौरतलब है कि अलवर के केंद्रीय कारागार के साथ ही बहरोड़ और किशनगढ़ बास उप जेल में हर साल रक्षाबंधन पर बड़ी संख्या में बहनें पहुंचकर अपने भाइयों को राखी बांधती है और उनको मिठाई खिलाती हैं. लेकिन, इस साल कोरोना के चलते अलवर सहित प्रदेश के सभी जिलों में बंदियों से मुलाकात बंद की गई है. ऐसे में बाहरी लोग जेल में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. बंदियों से उनके परिजनों की वीडियो कॉल के माध्यम से मुलाकात कराई जा रही है.

पढ़ें: Special : गुलाबी नगरी के 'लहरिया' के बिना फीका है सावन का 'तीज'

कोरोना संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या को देखते हुए जेल प्रशासन इस बार रक्षाबंधन पर जेल में बंदियों को राखी बांधने पर रोक लगा सकता है. वहीं, जेल में महिला बंदियों की ओर से राखी बनाने का काम भी लंबे समय से बंद है.

साथ ही बता दें कि अलवर सेंट्रल जेल और 2 उप जेलों में फिलहाल 1100 विचाराधीन और सजायाफ्ता बंदी हैं. बहरोड़ जेल में निर्माण कार्य चल रहा है. इसलिए वहां के बंदियों को अलवर जेल में ही शिफ्ट किया गया है. वहीं, अलवर के केंद्रीय कारागार तक कोरोना पहुंच चुका है. संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जेल में नए बंदियों के प्रवेश पर भी रोक लगी हुई है.

पढ़ें: चित्तौड़गढ़ में भतीजे ने अपने ही चाचा की कर दी निर्मम हत्या

इन दिनों पुलिस द्वारा पकड़े जाने वाले बंदियों को पहले एक अस्थाई जेल में रखा जाता है. वहां उनकी कोरोना जांच होती है. उसके बाद नेगेटिव आने पर ही उनको जेल में शिफ्ट किया जाता है. अगर बंदी पॉजिटिव है तो उसे तुरंत इलाज के लिए भेज दिया जाता है. उसके बाद भी कारागार तक कोरोना की दस्तक हो चुकी है. ऐसे में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए इस बार जेल में रक्षाबंधन पर रोक लग सकती है.

अलवर. जिले के केंद्रीय कारागार में इस साल रक्षाबंधन पर बंदियों की कलाई सूनी रह सकती है. कोरोना संक्रमण के चलते जेल प्रशासन रक्षाबंधन पर बहनों को राखी बांधने की अनुमति नहीं देने पर विचार चल रहा है.

गौरतलब है कि अलवर के केंद्रीय कारागार के साथ ही बहरोड़ और किशनगढ़ बास उप जेल में हर साल रक्षाबंधन पर बड़ी संख्या में बहनें पहुंचकर अपने भाइयों को राखी बांधती है और उनको मिठाई खिलाती हैं. लेकिन, इस साल कोरोना के चलते अलवर सहित प्रदेश के सभी जिलों में बंदियों से मुलाकात बंद की गई है. ऐसे में बाहरी लोग जेल में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. बंदियों से उनके परिजनों की वीडियो कॉल के माध्यम से मुलाकात कराई जा रही है.

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कोरोना संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या को देखते हुए जेल प्रशासन इस बार रक्षाबंधन पर जेल में बंदियों को राखी बांधने पर रोक लगा सकता है. वहीं, जेल में महिला बंदियों की ओर से राखी बनाने का काम भी लंबे समय से बंद है.

साथ ही बता दें कि अलवर सेंट्रल जेल और 2 उप जेलों में फिलहाल 1100 विचाराधीन और सजायाफ्ता बंदी हैं. बहरोड़ जेल में निर्माण कार्य चल रहा है. इसलिए वहां के बंदियों को अलवर जेल में ही शिफ्ट किया गया है. वहीं, अलवर के केंद्रीय कारागार तक कोरोना पहुंच चुका है. संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जेल में नए बंदियों के प्रवेश पर भी रोक लगी हुई है.

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इन दिनों पुलिस द्वारा पकड़े जाने वाले बंदियों को पहले एक अस्थाई जेल में रखा जाता है. वहां उनकी कोरोना जांच होती है. उसके बाद नेगेटिव आने पर ही उनको जेल में शिफ्ट किया जाता है. अगर बंदी पॉजिटिव है तो उसे तुरंत इलाज के लिए भेज दिया जाता है. उसके बाद भी कारागार तक कोरोना की दस्तक हो चुकी है. ऐसे में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए इस बार जेल में रक्षाबंधन पर रोक लग सकती है.

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