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समय से पहले बच्चे के जन्म से रुक जाता है विकास, अपनाएं ये सावधानियां - ajmer news today

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 17 अक्टूबर को वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे मनाया जाता है. जानते हैं इस स्पेशल रिपोर्ट में क्या है प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण और कैसे हो सकती है इसकी रोकथाम...

World Prematurity Day 2023
World Prematurity Day 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 17, 2023, 1:56 PM IST

सुनिए डॉक्टर क्या कहती हैं

अजमेर. समय से पहले बच्चे का जन्म होना एक गंभीर समस्या है. राजस्थान में प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले पहले की तुलना में काफी कम हुए हैं, लेकिन अभी भी प्रीमैच्योर डिलीवरी के आंकड़ों को कम नहीं आंका जा सकता. निर्धारित अवधि से पहले शिशु के जन्म होने से नवजात शिशु का शारीरिक और मानसिक रूप से विकास नहीं हो पाता. ऐसे शिशुओं की केयर भी एक बड़ी चुनौती रहती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 17 अक्टूबर को वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे मनाया जाता है. जानते हैं गायनिक डॉ. चारू शर्मा से प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण और इसकी रोकथाम के लिए हेल्थ टिप्स.

पुष्कर के सरकारी अस्पताल में गायनिक डॉ. चारू शर्मा ने बताया कि समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के लिए 17 नवंबर को वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे मनाया जाता है. डॉ शर्मा ने बताया कि देश में हर वर्ष लाखों बच्चों का जन्म अवधि से पहले ही हो जाता है. सामान्यतः बच्चे के जन्म की अवधि 9 माह की होती है. 9 माह में पैदा होने वाले शिशु स्वस्थ होते हैं और उनका शारीरिक और मानसिक रूप से विकास हुआ होता है, लेकिन समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं, इसलिए उनकी देखभाल भी विशेष तरीके से करनी होती है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले काफी अधिक हुआ करते थे, लेकिन अब उनमें काफी कमी आई है.

पढ़ें : Health Tips: सर्दी के मौसम में बीमारियों से बचाव और फिटनेस बनाए रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स

प्रीमैच्योर डिलीवरी के ये हैं कारण : डॉ. चारू शर्मा बताती हैं कि प्रीमैच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा कारण गर्भवती महिला में खून की कमी (एनीमिया) है. कम उम्र की महिलाएं जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं, उनमें समय से पहले प्रसव होने के ज्यादा चांस रहते हैं. बच्चे का जिंदा रहना जरूरी है, लेकिन उससे कई ज्यादा जरूरी है कि उसके शरीर का विकास हो अन्यथा आगे चलकर ज्यादा बड़ी समस्या भी हो सकती है. प्रीमैच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा कारण महिला में न्यूट्रीशन्स की कमी है. गर्भवती महिला में अगर आयरन की कमी होती है तो ऐसी महिलाओं को चिन्हित कर उनमें इस कमी को दूर किया जाए. बेहतर खानपान और चिकित्सक की सलाह से दवाइयों के माध्यम से भी खून की कमी को दूर किया जा सकता है. इसके अलावा इन्फेक्शन भी प्रीमैच्योर डिलीवरी का एक कारण है. इंफेक्शन होने पर तुरंत उपचार लेना चाहिए. इसके लिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला समय-समय पर अस्पताल जाकर चिकित्सक से परामर्श लेती रहें.

डॉक्टर के सम्पर्क में रहें गर्भवती महिलाएं : गायनिक डॉ. चारु शर्मा बताती हैं कि प्रीमैच्योर डिलीवरी को रोकने के लिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहें. सीबीसी, हीमोग्लोबिन, ब्लड और यूरिन की जांच चिकित्सक की सलाह पर करवाते रहें. ऐसी समस्या का जल्द पता चलता है और उपचार भी जल्द शुरू हो जाता है. दूर-दराज में रहने वाली गर्भवती महिलाएं उप स्वास्थ्य केंद्र और आंगनवाड़ी में भी जा सकती हैं. यहां से एनीमिया या इंफेक्शन से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं को चिन्हित करके उपखंड या जिला अस्पताल में उनका इलाज किया जाता है.

पढ़ें : Cancer Awareness Day : गलत जीवनशैली और प्रदूषण बढ़ा रहा कैंसर, युवा हैं सबसे बड़ा शिकार

गर्भवती महिलाओं को करेंगे जागरूक : डॉ. चारू शर्मा ने बताया कि 17 अक्टूबर वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे के दिन गर्भवती महिलाओं के समूह को प्रीमैच्योर डिलीवरी और समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु के लिए जागरूक किया जाता है. उन्हें समझाया जाता है कि वह कैसे अपना ध्यान रखें, ताकि प्रीमैच्योर डिलीवरी के चांस नहीं बन पाएं. यह महिलाएं अपने क्षेत्र में जाकर अन्य महिलाओं को भी जागरूक करेंगी.

गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार जरूरी : सामान्य महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार ज्यादा जरूरी होता है. अच्छा खानपान गर्भ में पलने वाले शिशु के स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर रहता है, जिससे शिशु का शारीरिक विकास अच्छा होता है. इसके लिए आवश्यक है कि हरी सब्जियां, दाल चावल, दूध, दही, पनीर का सेवन गर्भवती महिलाओं को जरूर करना चाहिए. अच्छे खान-पान से शरीर में आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है. वहीं, शरीर में खून की कमी नहीं रहती. खानपान में कमी के कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना अधिक रहती है. इससे गर्भस्थ शिशु का शारीरिक विकास नहीं हो पाता, जिस कारण शिशु कमजोर रह जाता है.

सुनिए डॉक्टर क्या कहती हैं

अजमेर. समय से पहले बच्चे का जन्म होना एक गंभीर समस्या है. राजस्थान में प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले पहले की तुलना में काफी कम हुए हैं, लेकिन अभी भी प्रीमैच्योर डिलीवरी के आंकड़ों को कम नहीं आंका जा सकता. निर्धारित अवधि से पहले शिशु के जन्म होने से नवजात शिशु का शारीरिक और मानसिक रूप से विकास नहीं हो पाता. ऐसे शिशुओं की केयर भी एक बड़ी चुनौती रहती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 17 अक्टूबर को वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे मनाया जाता है. जानते हैं गायनिक डॉ. चारू शर्मा से प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण और इसकी रोकथाम के लिए हेल्थ टिप्स.

पुष्कर के सरकारी अस्पताल में गायनिक डॉ. चारू शर्मा ने बताया कि समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के लिए 17 नवंबर को वर्ल्ड प्रीमैच्योर डे मनाया जाता है. डॉ शर्मा ने बताया कि देश में हर वर्ष लाखों बच्चों का जन्म अवधि से पहले ही हो जाता है. सामान्यतः बच्चे के जन्म की अवधि 9 माह की होती है. 9 माह में पैदा होने वाले शिशु स्वस्थ होते हैं और उनका शारीरिक और मानसिक रूप से विकास हुआ होता है, लेकिन समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं, इसलिए उनकी देखभाल भी विशेष तरीके से करनी होती है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्रीमैच्योर डिलीवरी के मामले काफी अधिक हुआ करते थे, लेकिन अब उनमें काफी कमी आई है.

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प्रीमैच्योर डिलीवरी के ये हैं कारण : डॉ. चारू शर्मा बताती हैं कि प्रीमैच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा कारण गर्भवती महिला में खून की कमी (एनीमिया) है. कम उम्र की महिलाएं जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं, उनमें समय से पहले प्रसव होने के ज्यादा चांस रहते हैं. बच्चे का जिंदा रहना जरूरी है, लेकिन उससे कई ज्यादा जरूरी है कि उसके शरीर का विकास हो अन्यथा आगे चलकर ज्यादा बड़ी समस्या भी हो सकती है. प्रीमैच्योर डिलीवरी का सबसे बड़ा कारण महिला में न्यूट्रीशन्स की कमी है. गर्भवती महिला में अगर आयरन की कमी होती है तो ऐसी महिलाओं को चिन्हित कर उनमें इस कमी को दूर किया जाए. बेहतर खानपान और चिकित्सक की सलाह से दवाइयों के माध्यम से भी खून की कमी को दूर किया जा सकता है. इसके अलावा इन्फेक्शन भी प्रीमैच्योर डिलीवरी का एक कारण है. इंफेक्शन होने पर तुरंत उपचार लेना चाहिए. इसके लिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला समय-समय पर अस्पताल जाकर चिकित्सक से परामर्श लेती रहें.

डॉक्टर के सम्पर्क में रहें गर्भवती महिलाएं : गायनिक डॉ. चारु शर्मा बताती हैं कि प्रीमैच्योर डिलीवरी को रोकने के लिए आवश्यक है कि गर्भवती महिला चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहें. सीबीसी, हीमोग्लोबिन, ब्लड और यूरिन की जांच चिकित्सक की सलाह पर करवाते रहें. ऐसी समस्या का जल्द पता चलता है और उपचार भी जल्द शुरू हो जाता है. दूर-दराज में रहने वाली गर्भवती महिलाएं उप स्वास्थ्य केंद्र और आंगनवाड़ी में भी जा सकती हैं. यहां से एनीमिया या इंफेक्शन से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं को चिन्हित करके उपखंड या जिला अस्पताल में उनका इलाज किया जाता है.

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गर्भवती महिलाओं को करेंगे जागरूक : डॉ. चारू शर्मा ने बताया कि 17 अक्टूबर वर्ल्ड प्रीमैच्योरिटी डे के दिन गर्भवती महिलाओं के समूह को प्रीमैच्योर डिलीवरी और समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु के लिए जागरूक किया जाता है. उन्हें समझाया जाता है कि वह कैसे अपना ध्यान रखें, ताकि प्रीमैच्योर डिलीवरी के चांस नहीं बन पाएं. यह महिलाएं अपने क्षेत्र में जाकर अन्य महिलाओं को भी जागरूक करेंगी.

गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार जरूरी : सामान्य महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं के लिए पौष्टिक आहार ज्यादा जरूरी होता है. अच्छा खानपान गर्भ में पलने वाले शिशु के स्वास्थ्य के लिए काफी बेहतर रहता है, जिससे शिशु का शारीरिक विकास अच्छा होता है. इसके लिए आवश्यक है कि हरी सब्जियां, दाल चावल, दूध, दही, पनीर का सेवन गर्भवती महिलाओं को जरूर करना चाहिए. अच्छे खान-पान से शरीर में आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है. वहीं, शरीर में खून की कमी नहीं रहती. खानपान में कमी के कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना अधिक रहती है. इससे गर्भस्थ शिशु का शारीरिक विकास नहीं हो पाता, जिस कारण शिशु कमजोर रह जाता है.

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