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World Malaria Day 2023: ड्राई डे और मलेरिया की रोकथाम के लिए चलाए गए कार्यक्रम से बढ़ी जागरूकता

आज विश्व मलेरिया दिवस है. इस बीमारी की चपेट में आने से हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत हो रही है. लेकिन जरा सी सावधानी और जागरूकता के जरिए हम होने वाली मौतों की संख्या को कम (Malaria prevention awareness) कर सकते हैं.

World Malaria Day 2023
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Published : Apr 25, 2023, 6:32 AM IST

अतिरिक्त जिला चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संपत सिंह जोधा

अजमेर. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 25 अप्रैल, 2008 विश्व मलेरिया दिवस मनाने की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक करना और मलेरिया से होने वाली मौतों को कम करना है. दरअसल, मलेरिया से दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. वहीं, जागरूकता के अभाव में मच्छर जनित ये संक्रमित बीमारी जनलेवा हो रही है. असल में प्लाज्मोडियम परजीवी संक्रमण से मलेरिया होती है. ये मादा मच्छर एनोफिलीज से फैलते हैं, जो समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण जानलेवा भी साबित हो सकते हैं. मादा मच्छर एनोफिलीज में एक प्रकार का जीवाणु पाया जाता है, जिसे प्लाज्मोडियम कहते हैं.

मलेरिया फैलाने वाली मादा मच्छर एनोफिलीज में जीवाणु की पांच जातियां होती है. मादा मच्छर एनोफिलीज के काटने पर ये जीवाणु व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर कई गुना वृद्धि कर लेते हैं. आहिस्ते-आहिस्ते ये जीवाणु लीवर और रक्त कोशिकाओं को संक्रमित कर व्यक्ति को बीमार बना देता है. ऐसे में समय पर इलाज नहीं मिलने से व्यक्ति की मौत का कारण भी बन जाते हैं. इसलिए मलेरिया के लक्षण प्रतीत होने पर रोगी को तुरंत जांच करवानी चाहिए. मलेरिया की जांच की पुष्टि होने पर चिकित्सकीय सलाह से उपचार करना चाहिए.

अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी डॉ. संपत सिंह बताते हैं कि बीते 5 वर्षों में जिले में मलेरिया के आंकड़ों में कमी आई है. बीते साल 4 मलेरिया के मरीज पाए गए. इनमें पीएफ के 1 और पीवी के 3 मरीज शामिल थे. उन्होंने बताया कि मलेरिया की रोकथाम के लिए हर संडे को ड्राई डे के रूप में मनाया जाता है. यानी संडे को बर्तनों में भरे पानी को खाली करना, छत, नाली और कूलर की सफाई आदि की जाती है. डॉ. सिह ने बताया कि हर सात दिन में ड्रम, बर्तन या कूलर में पानी बदलने से लार्वा नही होगा. उन्होंने बताया कि मादा मच्छर बनने से पहले ही इस तरह से लार्वा स्तर पर ही मच्छर की मौत हो जाती है.

डॉ. सिंह बताते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एनएम को स्लाइड बनाना सिखाया जाता है. यह स्लाइड जांच केंद्रों पर पहुंचाई जाती है. मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के अंतर्गत मलेरिया की जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि रेडिकल ट्रीटमेंट के लिए आशा सहयोगिनियो को प्रशिक्षण दिया जाता है. वह रोगी के घर पर जाकर दवा का किट पहुंचाती है. नियमित दवा के सेवन से रोगी को 3 दिन में आराम मिले लगता है.

इसे भी पढ़ें - कोरोना के चुनौतियों के बीच मौसमी बीमारियों ने बढ़ाई परेशानी...मलेरिया के रोगियों के गिर रहे प्लेटलेट्स

उन्होंने बताया कि मलेरिया के पीएफ जीवाणु से संक्रमित रोगी उपचार लेने पर 3 दिन में ठीक हो जाता है. रोगी को उपचार में एसीटी किट दिया जाता है इसमें तीन तरह की दवा 3 दिन के लिए दी जाती है. मलेरिया के पेसमोडियम वायवेक्स (पीवी) से संक्रमित रोगी को सर्दी लगकर बुखार आता है. यह कम घातक होता है. इसमें बुखार एक ही अवधि में आता है. मसलन बुखार 1 बजे आया तो अगले दिन भी बुखार 1 बजे ही आएगा. डॉ. सिंह बताते हैं कि रोगी नियमित दवा नहीं लेता है तो पीवी जीवाणु से उसे फिर से मलेरिया होने की संभावना रहती है. उन्होंने बताया कि मलेरिया के मच्छर गड्ढे में भरे पानी, नाली में ठहरा हुआ पानी, कूलर, बर्तनों में भरा पानी में लार्वा होने पर मच्छर होते हैं. ऐसे में मच्छरों की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि लार्वा की स्थिति में ही रोकथाम कर ली जाए.

मलेरिया के लक्षण - अतिरिक्त जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संपत सिंह जोधा बताते हैं कि मलेरिया के लक्षण में सर्दी, कपकपी के साथ तेज बुखार आता है. उल्टी सिरदर्द, बदन दर्द की शिकायत होती है. ऐसा होने पर तुरंत व्यक्ति को चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.

मानसून से पहले करें तैयारी - जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में वीबीडी कंसलटेंट रितु सिंह बताती हैं कि मानसून से पहले ही मलेरिया की रोकथाम के लिए तैयारी की जाती है. एक अप्रैल से 15 मई तक प्री मानसून प्लानिंग को अंजाम दिया जाता है. मसलन बायोलॉजिकल, केमिकल और एमएलओ ( ऑयल ) के माध्यम से लार्वा को खत्म करने के प्रयास किए जाते हैं. इसमें एंटी लार्वा एक्टिविटी, एंटी एडल्ट एक्टिविटी, सोर्स रिडक्शन ( प्रजनन स्थानों को खोजना ) और आईसी एक्टिविटी ( जन जागरूकता ) के माध्यम से विशेष अभियान चलाया जाता है.

यह अभियान पूरे वर्ष भर रहता है. इसमें आशा सहयोगिनी एवं एएनएम के माध्यम से स्कूलों में बच्चों को मलेरिया के प्रति जागरूक किया जाता है. उन्हें लार्वा के बारे में बताया जाता है. उन्होंने बताया कि पेसमोडियम फेलसिफेरम ( पीएफ ) जीवाणु ज्यादा घातक होता है. इसे संक्रमित होकर लीवर के नीचे तिल्ली का आकार बढ़ जाता है. वहीं, कई बार रोगी का बुखार सिर पर चढ़ जाता है. माइक्रोस्कॉपी से ही पता चलता है कि मरीज को पीएफ जीवाणु है या पीवी जीवाणु है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है.

ड्राई संडे का अभियान ज्यादा कारगर साबित हो रहा है. उन्होंने बताया कि गर्मियों का सीजन शुरू हो चुका है लोग कूलर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अभियान के तहत लोगों को कूलर की सफाई के बारे में भी समझाया जा रहा है. ताकि कूलर के पानी में लार्वा नहीं पनप सके.

अतिरिक्त जिला चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संपत सिंह जोधा

अजमेर. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 25 अप्रैल, 2008 विश्व मलेरिया दिवस मनाने की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक करना और मलेरिया से होने वाली मौतों को कम करना है. दरअसल, मलेरिया से दुनियाभर में हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. वहीं, जागरूकता के अभाव में मच्छर जनित ये संक्रमित बीमारी जनलेवा हो रही है. असल में प्लाज्मोडियम परजीवी संक्रमण से मलेरिया होती है. ये मादा मच्छर एनोफिलीज से फैलते हैं, जो समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण जानलेवा भी साबित हो सकते हैं. मादा मच्छर एनोफिलीज में एक प्रकार का जीवाणु पाया जाता है, जिसे प्लाज्मोडियम कहते हैं.

मलेरिया फैलाने वाली मादा मच्छर एनोफिलीज में जीवाणु की पांच जातियां होती है. मादा मच्छर एनोफिलीज के काटने पर ये जीवाणु व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर कई गुना वृद्धि कर लेते हैं. आहिस्ते-आहिस्ते ये जीवाणु लीवर और रक्त कोशिकाओं को संक्रमित कर व्यक्ति को बीमार बना देता है. ऐसे में समय पर इलाज नहीं मिलने से व्यक्ति की मौत का कारण भी बन जाते हैं. इसलिए मलेरिया के लक्षण प्रतीत होने पर रोगी को तुरंत जांच करवानी चाहिए. मलेरिया की जांच की पुष्टि होने पर चिकित्सकीय सलाह से उपचार करना चाहिए.

अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी डॉ. संपत सिंह बताते हैं कि बीते 5 वर्षों में जिले में मलेरिया के आंकड़ों में कमी आई है. बीते साल 4 मलेरिया के मरीज पाए गए. इनमें पीएफ के 1 और पीवी के 3 मरीज शामिल थे. उन्होंने बताया कि मलेरिया की रोकथाम के लिए हर संडे को ड्राई डे के रूप में मनाया जाता है. यानी संडे को बर्तनों में भरे पानी को खाली करना, छत, नाली और कूलर की सफाई आदि की जाती है. डॉ. सिह ने बताया कि हर सात दिन में ड्रम, बर्तन या कूलर में पानी बदलने से लार्वा नही होगा. उन्होंने बताया कि मादा मच्छर बनने से पहले ही इस तरह से लार्वा स्तर पर ही मच्छर की मौत हो जाती है.

डॉ. सिंह बताते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एनएम को स्लाइड बनाना सिखाया जाता है. यह स्लाइड जांच केंद्रों पर पहुंचाई जाती है. मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना के अंतर्गत मलेरिया की जांच की जाती है. उन्होंने बताया कि रेडिकल ट्रीटमेंट के लिए आशा सहयोगिनियो को प्रशिक्षण दिया जाता है. वह रोगी के घर पर जाकर दवा का किट पहुंचाती है. नियमित दवा के सेवन से रोगी को 3 दिन में आराम मिले लगता है.

इसे भी पढ़ें - कोरोना के चुनौतियों के बीच मौसमी बीमारियों ने बढ़ाई परेशानी...मलेरिया के रोगियों के गिर रहे प्लेटलेट्स

उन्होंने बताया कि मलेरिया के पीएफ जीवाणु से संक्रमित रोगी उपचार लेने पर 3 दिन में ठीक हो जाता है. रोगी को उपचार में एसीटी किट दिया जाता है इसमें तीन तरह की दवा 3 दिन के लिए दी जाती है. मलेरिया के पेसमोडियम वायवेक्स (पीवी) से संक्रमित रोगी को सर्दी लगकर बुखार आता है. यह कम घातक होता है. इसमें बुखार एक ही अवधि में आता है. मसलन बुखार 1 बजे आया तो अगले दिन भी बुखार 1 बजे ही आएगा. डॉ. सिंह बताते हैं कि रोगी नियमित दवा नहीं लेता है तो पीवी जीवाणु से उसे फिर से मलेरिया होने की संभावना रहती है. उन्होंने बताया कि मलेरिया के मच्छर गड्ढे में भरे पानी, नाली में ठहरा हुआ पानी, कूलर, बर्तनों में भरा पानी में लार्वा होने पर मच्छर होते हैं. ऐसे में मच्छरों की रोकथाम के लिए आवश्यक है कि लार्वा की स्थिति में ही रोकथाम कर ली जाए.

मलेरिया के लक्षण - अतिरिक्त जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संपत सिंह जोधा बताते हैं कि मलेरिया के लक्षण में सर्दी, कपकपी के साथ तेज बुखार आता है. उल्टी सिरदर्द, बदन दर्द की शिकायत होती है. ऐसा होने पर तुरंत व्यक्ति को चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए.

मानसून से पहले करें तैयारी - जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में वीबीडी कंसलटेंट रितु सिंह बताती हैं कि मानसून से पहले ही मलेरिया की रोकथाम के लिए तैयारी की जाती है. एक अप्रैल से 15 मई तक प्री मानसून प्लानिंग को अंजाम दिया जाता है. मसलन बायोलॉजिकल, केमिकल और एमएलओ ( ऑयल ) के माध्यम से लार्वा को खत्म करने के प्रयास किए जाते हैं. इसमें एंटी लार्वा एक्टिविटी, एंटी एडल्ट एक्टिविटी, सोर्स रिडक्शन ( प्रजनन स्थानों को खोजना ) और आईसी एक्टिविटी ( जन जागरूकता ) के माध्यम से विशेष अभियान चलाया जाता है.

यह अभियान पूरे वर्ष भर रहता है. इसमें आशा सहयोगिनी एवं एएनएम के माध्यम से स्कूलों में बच्चों को मलेरिया के प्रति जागरूक किया जाता है. उन्हें लार्वा के बारे में बताया जाता है. उन्होंने बताया कि पेसमोडियम फेलसिफेरम ( पीएफ ) जीवाणु ज्यादा घातक होता है. इसे संक्रमित होकर लीवर के नीचे तिल्ली का आकार बढ़ जाता है. वहीं, कई बार रोगी का बुखार सिर पर चढ़ जाता है. माइक्रोस्कॉपी से ही पता चलता है कि मरीज को पीएफ जीवाणु है या पीवी जीवाणु है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है.

ड्राई संडे का अभियान ज्यादा कारगर साबित हो रहा है. उन्होंने बताया कि गर्मियों का सीजन शुरू हो चुका है लोग कूलर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अभियान के तहत लोगों को कूलर की सफाई के बारे में भी समझाया जा रहा है. ताकि कूलर के पानी में लार्वा नहीं पनप सके.

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