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सामूहिक अवकाश का अल्टीमेटम, 6500 पशु चिकित्सा केंद्रों पर लग सकता है ताला - गहलोत सरकार

राजस्थान में 22 अगस्त से पशु चिकित्साकर्मियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला ले लिया है. इससे 6500 पशु चिकित्सा केंद्रों पर ताला लग सकता है.

Veterinary workers warning in Rajasthan
सामूहिक अवकाश का अल्टीमेटम
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Published : Aug 20, 2022, 10:23 AM IST

Updated : Aug 20, 2022, 1:33 PM IST

जयपुर. राजस्थान में गोवंश के लिए जानलेवा बीमारी (Lumpy disease in Jaipur) से जूझ रहे पशुपालकों के लिए बुरी खबर है. जहां वे एक ओर लंपी रोग से लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब आगामी 22 अगस्त से पशु चिकित्साकर्मियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला ले लिया (Veterinary workers warning in Rajasthan) है. इस फैसले के बाद अब पशुपालकों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है.

राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी ने बताया कि पशु चिकित्साकर्मियों की ग्यारह सूत्री मांगों का अभी तक निस्तारण नहीं किया गया है. ऐसे में अब 22 अगस्त से चिकित्साकर्मी सामूहिक अवकाश पर जाएंगे. इसको लेकर राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ने राज्यभर में कलेक्टर के जरिए सरकार को ज्ञापन दिया है. ज्ञापन में बताया गया है कि उनकी ग्यारह सूत्री मांगें पिछले कई सालों से लम्बित पड़ी है. ऐसे में फिर भी सरकार उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. कई बार चिकित्साकर्मियों ने रोष व्यक्त किया, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. सरकार ने लिखित में आश्वासन देने के बावजूद सहमति दी गई मांगों को लेकर आज फैसले की ओर कदम नहीं बढ़ाया है.

पढ़ें- लंपी स्किन डिजीज, भैंसों में भी दिखा संक्रमण, बिना टेंडर होगी दवाइयों की खरीद

सरकार को दिया अल्टीमेटम- राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है. इसके तहत कहा गया है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें 21 अगस्त तक नहीं मानी तो 22 अगस्त को पशु चिकित्सालय को ताले लग जाएंगे. कर्मचारी संघ की सभी जिला यूनियनों ने जिला कलेक्टर के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा है.

सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप- पशु चिकित्साकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी ने बताया कि संघ 11 सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष कर रहा है. अल्टीमेटम में 11 सूत्री मांगों को रखा गया है. इसमें सरकार की ओर से दिया गया एक पत्र भी है, जिसमें ये कहा गया था कि सभी मांगों को तीन महीने में पूरी कर दी जाएगी. सभी मांगों को पूरा करने को लेकर लिखित में प्रशासनिक आदेश जारी करने पर लिखित सहमति बनी थी. मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में 11 अप्रैल को वार्ता भी हुई थी. मुख्यमंत्री कार्यालय की सचिव आरती डोगरा, तात्कालीन पशुपालन सचिव आरुषि मालिक वार्ता में मौजूद थे. आश्वासन मिलने के बावजूद अभी तक उनकी मांगों पर कोई काम नहीं किया गया है. ऐसे में 10 हज़ार पशु चिकित्सा कर्मियों के सामने सरकार ने अब कोई मौका नहीं छोड़ा है.

जयपुर. राजस्थान में गोवंश के लिए जानलेवा बीमारी (Lumpy disease in Jaipur) से जूझ रहे पशुपालकों के लिए बुरी खबर है. जहां वे एक ओर लंपी रोग से लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब आगामी 22 अगस्त से पशु चिकित्साकर्मियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला ले लिया (Veterinary workers warning in Rajasthan) है. इस फैसले के बाद अब पशुपालकों को दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है.

राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी ने बताया कि पशु चिकित्साकर्मियों की ग्यारह सूत्री मांगों का अभी तक निस्तारण नहीं किया गया है. ऐसे में अब 22 अगस्त से चिकित्साकर्मी सामूहिक अवकाश पर जाएंगे. इसको लेकर राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ने राज्यभर में कलेक्टर के जरिए सरकार को ज्ञापन दिया है. ज्ञापन में बताया गया है कि उनकी ग्यारह सूत्री मांगें पिछले कई सालों से लम्बित पड़ी है. ऐसे में फिर भी सरकार उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. कई बार चिकित्साकर्मियों ने रोष व्यक्त किया, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. सरकार ने लिखित में आश्वासन देने के बावजूद सहमति दी गई मांगों को लेकर आज फैसले की ओर कदम नहीं बढ़ाया है.

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सरकार को दिया अल्टीमेटम- राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है. इसके तहत कहा गया है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें 21 अगस्त तक नहीं मानी तो 22 अगस्त को पशु चिकित्सालय को ताले लग जाएंगे. कर्मचारी संघ की सभी जिला यूनियनों ने जिला कलेक्टर के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भेजा है.

सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप- पशु चिकित्साकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय सैनी ने बताया कि संघ 11 सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष कर रहा है. अल्टीमेटम में 11 सूत्री मांगों को रखा गया है. इसमें सरकार की ओर से दिया गया एक पत्र भी है, जिसमें ये कहा गया था कि सभी मांगों को तीन महीने में पूरी कर दी जाएगी. सभी मांगों को पूरा करने को लेकर लिखित में प्रशासनिक आदेश जारी करने पर लिखित सहमति बनी थी. मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में 11 अप्रैल को वार्ता भी हुई थी. मुख्यमंत्री कार्यालय की सचिव आरती डोगरा, तात्कालीन पशुपालन सचिव आरुषि मालिक वार्ता में मौजूद थे. आश्वासन मिलने के बावजूद अभी तक उनकी मांगों पर कोई काम नहीं किया गया है. ऐसे में 10 हज़ार पशु चिकित्सा कर्मियों के सामने सरकार ने अब कोई मौका नहीं छोड़ा है.

Last Updated : Aug 20, 2022, 1:33 PM IST
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