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सेम का अनूठा ऊंट प्रेम, मित्र से मेले की जानकारी मिलते ही आस्ट्रेलिया से सेम पहुंच गए पुष्कर - ajmer tourism

अजमेर के पुष्कर पशु मेले में शनिवार को एक अनोखा नजारा देखने को मिला. जहां ऊंटों के प्रति लगाव, बेजुबानों से प्रेम, ऊंट संरक्षण की लगन को लेकर सात समुद्र पार ऑस्ट्रेलिया के सेम को पुष्कर ऊंट मेले में खींच लाया है.

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Published : Nov 3, 2019, 11:35 AM IST

अजमेर. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर ऊंट मेले में सबसे बड़ा पशु मेला लगता है. जिसे लेकर इस बार दिलचस्प नजारा देखने को मिला. ऑस्ट्रेलिया निवासी एक व्यक्ति को ऊंटों से इतना लगाव था कि जब उसे पता चला कि पुष्कर में ऊंटों का सबसे बड़ा मेला लगता है तो वह पुष्कर पशु मेले तक खिंचा चला आया.

सेम ने ऊंट संरक्षण और पर्यटन बढ़ाने का दिया संदेश

बता दें कि नागौर के बिलाड़ा निवासी नेथा का सोशल मीडिया के जरिए ऑस्ट्रेलिया के सेम से संपर्क हुआ. सेम का ऊंटों के प्रति लगाव देखकर नेथा ने उसे पुष्कर के पशु मेले में आने का निमंत्रण दे दिया. जिसके बाद सेम ऑस्ट्रेलिया से नेथा के यहां बिलाड़ा आया. बिलाड़ा से 20 किलोमीटर पैदल चलकर सेम पुष्कर पशु मेले में पहुंचा.

पुष्कर मेले में नेथा अपने साथ 8 ऊंट वंश बिक्री के लिए लेकर पहुंचा था. सेम ने बताया कि वो अपने देश ऑस्ट्रेलिया में 5 सालों से ऊंटों के साथ काम कर रहा है. इसी कारण उसे बेजुबान जानवरों से प्रेम हो गया. जब उसे मालूम हुआ कि भारत के पुष्कर में ऊंट मेला होता है तो वह अपने आप को यहां आने से नहीं रोक सका.

यह भी पढ़ें- राजस्थान के श्रीगंगानगर में ना'पाक' हरकत, जांच में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां

साथ ही सेम ने अपने पुष्कर दौरे को एक कभी न भूलने वाला अनुभव बताया. सेम ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. वहीं सेम के मेजबान नेथा रायका ने ऊंट संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि ऊंट अमूल्य संपत्ति है और इसे राजस्थान में बचाना चाहिए.

बता दें कि सेम और नेथा के पुष्कर पहुंचने पर ऊंट संरक्षण से जुड़े अशोक टाक ने फूल मालाओं से स्वागत किया. गौरतलब है कि पुष्कर में देश का सबसे बड़ा ऊंट मेला लगता है. पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अब तक 1200 से अधिक ऊंट वंश मेले में आ चुके हैं. 4 नवम्बर तक इनकी संख्या 3000 के पार तक जा सकती है.

अजमेर. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर ऊंट मेले में सबसे बड़ा पशु मेला लगता है. जिसे लेकर इस बार दिलचस्प नजारा देखने को मिला. ऑस्ट्रेलिया निवासी एक व्यक्ति को ऊंटों से इतना लगाव था कि जब उसे पता चला कि पुष्कर में ऊंटों का सबसे बड़ा मेला लगता है तो वह पुष्कर पशु मेले तक खिंचा चला आया.

सेम ने ऊंट संरक्षण और पर्यटन बढ़ाने का दिया संदेश

बता दें कि नागौर के बिलाड़ा निवासी नेथा का सोशल मीडिया के जरिए ऑस्ट्रेलिया के सेम से संपर्क हुआ. सेम का ऊंटों के प्रति लगाव देखकर नेथा ने उसे पुष्कर के पशु मेले में आने का निमंत्रण दे दिया. जिसके बाद सेम ऑस्ट्रेलिया से नेथा के यहां बिलाड़ा आया. बिलाड़ा से 20 किलोमीटर पैदल चलकर सेम पुष्कर पशु मेले में पहुंचा.

पुष्कर मेले में नेथा अपने साथ 8 ऊंट वंश बिक्री के लिए लेकर पहुंचा था. सेम ने बताया कि वो अपने देश ऑस्ट्रेलिया में 5 सालों से ऊंटों के साथ काम कर रहा है. इसी कारण उसे बेजुबान जानवरों से प्रेम हो गया. जब उसे मालूम हुआ कि भारत के पुष्कर में ऊंट मेला होता है तो वह अपने आप को यहां आने से नहीं रोक सका.

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साथ ही सेम ने अपने पुष्कर दौरे को एक कभी न भूलने वाला अनुभव बताया. सेम ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. वहीं सेम के मेजबान नेथा रायका ने ऊंट संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि ऊंट अमूल्य संपत्ति है और इसे राजस्थान में बचाना चाहिए.

बता दें कि सेम और नेथा के पुष्कर पहुंचने पर ऊंट संरक्षण से जुड़े अशोक टाक ने फूल मालाओं से स्वागत किया. गौरतलब है कि पुष्कर में देश का सबसे बड़ा ऊंट मेला लगता है. पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अब तक 1200 से अधिक ऊंट वंश मेले में आ चुके हैं. 4 नवम्बर तक इनकी संख्या 3000 के पार तक जा सकती है.

Intro:पुष्कर(अजमेर)अंतराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में शनिवार को एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला । जहा उठो के प्रति लगाव, बेजुबानों से प्रेम, उठ संरक्षण की लगन, इनी कारणों के चलते सात समुन्दर पार ऑस्ट्रेलिया के सेम नामक पर्यटक को विश्व के सबसे बड़े उठ मेले में पुष्कर खींच लाया । Body:दरअसल सेम नागौर ज़िला बिलाड़ा निवासी नेथा रायका का संपर्क सोशल मीडया के जरिये सेम से हुआ । सेम का उठो के प्रति लगाव को देख कर नेथा ने सेम को पुष्कर मेले में आने का निमंत्रण दे दिया । जिस पर सेम नागौर जिले के बिलाड़ा ग्राम आया और 20 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर पुष्कर पहुचा । इस दौरान नेथा अपने साथ 8 उठ वंश भी पुष्कर मेले में बिक्री के लिये लेकर आया । सेम ने बताया कि वो अपने देश ऑस्ट्रेलिया में 5 वर्षों से उठो के साथ काम कर रहा है । और इसी कारण उसे इन बेजुबानों से प्रेम है । ओर जब उसे भारत आने का अवसर प्राप्त हुआ तो वो ना नही कर पाया ।सेम ने इसे एक ना भूलने वाला अनुभव बताया । सेम ने कहा कि में आशा करता हु की यहाँ इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा । वही सेम के मेजबान नेथा रायका ने उठ संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि उठ अमूल्य संपति है और राजस्थान में इसे बचाना चाहिए । सेम ओर नेथा के पुष्कर पहुचने पर उठ संरक्षण से जुड़े अशोक टाक ने फूल मालाओं से स्वागत किया । गौरतलब है कि पुष्कर में देश का सबसे बड़ा उठ मेला लगता है । पशुपालन विभाग के आकड़ो पर गौर किया जाए तो अब तक 1200 से अधिक उठ वंश आ चुके है और 4 नवम्बर तक इनकी संख्या 3 हजार के पार तक जा सकती है ।

बाइट--सेम, पर्यटक, फ्रांस

बाइट--नेथा रायका, बिलाड़ा निवासी उठ पालकConclusion:
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