अजमेर. अजमेर के घसेटी बाजार में भगवान रघुनाथ जी का प्रचीन मंदिर (Grand procession of Raghunath ji in Ajmer) स्थित है. जिसका निर्माण चौहान शासन के दौरान हुआ था. वहीं, मराठों के शासनकाल में इस मंदिर को भव्य रूप (Maratha era Raghunathji temple) दिया गया. यहां हर साल विजयदशमी के दिन श्री रघुनाथ जी की शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसके पटेल स्टेडियम पहुंचने के उपरांत रावण दहन होता है. इन सब के बीच खास बात यह है कि कोरोनाकाल में भी यह शोभायात्रा नहीं रूकी थी.
शहर के मुख्य मंदिरों में शुमार भगवान श्री रघुनाथ जी मंदिर का करीब ढाई सौ साल पुराना (History of Raghunathji Temple) इतिहास है. मंदिर में राम-सीता, लक्ष्मण और हनुमान की संगमरमर की प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित हैं. प्रतिमाओं को गौर से देखें तो श्रीराम-सीता और हनुमानजी युवा अवस्था में नजर आते हैं. इस प्रतिमा के नीचे राम-सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन की धातु की प्रतिमा स्थापित है. अजमेर के लोगों के लिए यह मंदिर आस्था का एक बड़ा केंद्र है, जिससे कई परंपराएं जुड़ी हैं. विजयदशमी पर भगवान श्रीरघुनाथ जी की सवारी निकाली जाती है. जिसका विशेष महत्व है.
ढाई सौ सालों से निकल रही श्री रघुनाथ जी की सवारी: मंदिर के पुजारी सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि अजमेर में मंदिर मराठाकालीन पांच मंदिरों में से एक श्री रघुनाथ मंदिर भी शामिल है. ढाई सौ सालों से दशहरे के दिन मंदिर से भगवान श्री रघुनाथ जी की सवारी निकालने की परंपरा रही है. साल 1970 तक रावण के बगीचा में रावण दहन हुआ करता था, तब सवारी रावण चौक जाया करती थी. हालांकि बाद में सवारी पटेल स्टेडियम जाने (famous of ajmer Patel Stadium) लगी. मंदिर से श्री रघुनाथ जी के रवाना होने से पहले परंपरा अनुसार पूजा अर्चना की जाती है. मंदिर से सवारी नला बाजार, नया बाजार, दरगाह, देहली गेट, आगरागेट होते हुए पटेल स्टेडियम पहुंचती है. वहीं, इसके पटेल स्टेडियम पहुंचे में करीब 3 घंटे का वक्त लग जाता है.
कोरोनाकाल में भी नहीं टूटी परंपरा: मंदिर समिति से जुड़े सदस्य वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि (Raghunath ride came out with pomp) ढाई सौ सालों से श्री रघुनाथ मंदिर से धूमधाम से सवारी निकाली जाती रही है. सवारी में सबसे आगे श्री गणेश जी होते हैं, उसके बाद अंगद जी और उनके पीछे श्री रघुनाथ जी अपनी अर्धांगिनी सीता माता के साथ विराजमान होते हैं. शोभायात्रा के साथ रथ निकलते हैं. जिसमें रामलीला के किरदार मौजूद होते हैं. उन्होंने बताया कि परंपरा के अनुसार शहर की मुख्य रामलीला के किरदार राम, लक्ष्मण और हनुमान जी भी मंदिर पहुंचकर सवारी में शामिल होते हैं.
खास बात यह है कि रावण वध के लिए ढाई सौ सालों से श्री रघुनाथ मंदिर से ही धनुष-बाण ले जाए जाते रहे हैं. इसके बाद पटेल स्टेडियम पहुंचने पर श्री रघुनाथ जी के हाथों रावण, कुंभकरण और मेघनाथ का वध होता है. उन्होंने बताया कि श्री रघुनाथ मंदिर से लेकर पटेल स्टेडियम के बीच शहर के प्रमुख मार्गों पर लोग श्री रघुनाथ जी की सवारी का बेसब्री से इंतजार करते हैं. अग्रवाल ने बताया कि 1970 में रावण के बगीचा स्थित कोयले की टाल पर आग लगने की वजह से पटेल स्टेडियम में रावण दहन का आयोजन होने लगा. उन्होंने बताया कि श्री रघुनाथ जी की सवारी में शहर के प्रबुद्धजन भी शामिल होते हैं. यह यात्रा निर्विघ्न निकलते आ रही है. कोरोनाकाल में भी रघुनाथ जी की सवारी की परंपरा नहीं टूटी थी.