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Ajmer Sheetla Mata Mandir: प्राचीन शीतला माता मंदिर में जुटे श्रद्धालु, मान्यता- मां पर चढ़े जल में छुपा है रोग मुक्ति का सार!

शीतला अष्टमी का पर्व जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. अजमेर में सुभाष उद्यान के सामने प्राचीन शीतला माता मंदिर में सुबह से ही भक्तों की पूजा अर्चना के लिए कतार लगी हुई है.

Ajmer Sheetla Mata Mandir
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Published : Mar 15, 2023, 2:37 PM IST

अजमेर. शीतला अष्टमी के उपलक्ष्य में बड़ी संख्या में महिलाएं मंदिर में कतारबद्ध दिखीं. सबके हाथों में मां शीतला को चढ़ाने के लिए थाली में व्यंजन, दूध, जल से भरा लोटा भी दिखा. आज दिनभर शीतला माता के मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा. मंदिर के बाहर भी नजारा भक्तिमय है. यहां मेले की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में लोगों की आवक को देखते हुए जिला पुलिस ने बजरंग गढ़ और महावीर सर्किल से ट्राफिक डायवर्ट किया है. ताकि जाम की स्थिति न बने.

रोग मुक्ति का सार!
मंदिर में श्रद्धालुओं की कतार लगी है. बारी बारी से श्रद्धालु शीतला माता की विधिवत पूजा अर्चना कर रहे है. साथ ही माता की प्रतिमा पर चढ़ाए गए जल को भी अपने साथ ले जा रहे है. मान्यता है कि माता की प्रतिमा पर चढ़ाई गए जल को पीने से शारीरिक रोग से मुक्ति मिलती है.

सौभाग्य-आरोग्य की कामना
सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करने वाली देवी हैं माता शीतला. कहते हैं खासकर बोदरी रोग से बच्चे सुरक्षित रहते हैं. चैत्र की अष्टमी पर भक्तों का जमावड़ा लगता है. प्राचीन शीतला माता मंदिर के पुजारी इंदरचंद प्रजापति बताते हैं कि शीतला माता का मेला शुरू हो गया है रात से ही श्रद्धालु मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आ रहे हैं यह सिलसिला दिन भर रहेगा. उन्होंने बताया कि दोपहर 12 बजे तक महिलाओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की. उसके बाद पुरूषों का मंदिर में आना शुरू हुआ. प्रजापति ने बताया कि मेला कल शाम तक रहेगा.

मंदिर में आस्थावान आते हैं और परिवार में सुख शांति और आरोग्य की कामना कर लौट जाते हैं. माता की प्रतिमा पर चढ़ा हुआ जल श्रद्धालु अपने घर ले जाते हैं घर पर एक-एक जन पर छिड़काव करते हैं. घर में यदि कोई रोगी है उस जल को रोगी को पिलाया जाता है. इससे रोगी को जल्द आराम मिलता है.

श्रद्धालु भारती श्रीवास्तव ने बताया कि शीतला अष्टमी की तिथि को लेकर श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति रही है. ऐसा पहले भी तिथि को लेकर असमंजस आ रहा है इस कारण मेला भी दो से 3 दिन में भरा है. श्रीवास्तव ने कहा कि श्रद्धालु परंपरा के अनुसार शीतला माता की प्रतिमा पर शीतल जल, दूध, दही अर्पित करते हैं. साथ ही 1 दिन पहले बना भोजन का भोग माता को चढ़ाया जाता है.

पढ़ें-Sheetala Ashtami 2023 : मां शीतला की पूजा-अर्चना से इन बीमारियों से मिलती है मुक्ति

अजमेर. शीतला अष्टमी के उपलक्ष्य में बड़ी संख्या में महिलाएं मंदिर में कतारबद्ध दिखीं. सबके हाथों में मां शीतला को चढ़ाने के लिए थाली में व्यंजन, दूध, जल से भरा लोटा भी दिखा. आज दिनभर शीतला माता के मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहेगा. मंदिर के बाहर भी नजारा भक्तिमय है. यहां मेले की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में लोगों की आवक को देखते हुए जिला पुलिस ने बजरंग गढ़ और महावीर सर्किल से ट्राफिक डायवर्ट किया है. ताकि जाम की स्थिति न बने.

रोग मुक्ति का सार!
मंदिर में श्रद्धालुओं की कतार लगी है. बारी बारी से श्रद्धालु शीतला माता की विधिवत पूजा अर्चना कर रहे है. साथ ही माता की प्रतिमा पर चढ़ाए गए जल को भी अपने साथ ले जा रहे है. मान्यता है कि माता की प्रतिमा पर चढ़ाई गए जल को पीने से शारीरिक रोग से मुक्ति मिलती है.

सौभाग्य-आरोग्य की कामना
सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करने वाली देवी हैं माता शीतला. कहते हैं खासकर बोदरी रोग से बच्चे सुरक्षित रहते हैं. चैत्र की अष्टमी पर भक्तों का जमावड़ा लगता है. प्राचीन शीतला माता मंदिर के पुजारी इंदरचंद प्रजापति बताते हैं कि शीतला माता का मेला शुरू हो गया है रात से ही श्रद्धालु मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आ रहे हैं यह सिलसिला दिन भर रहेगा. उन्होंने बताया कि दोपहर 12 बजे तक महिलाओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना की. उसके बाद पुरूषों का मंदिर में आना शुरू हुआ. प्रजापति ने बताया कि मेला कल शाम तक रहेगा.

मंदिर में आस्थावान आते हैं और परिवार में सुख शांति और आरोग्य की कामना कर लौट जाते हैं. माता की प्रतिमा पर चढ़ा हुआ जल श्रद्धालु अपने घर ले जाते हैं घर पर एक-एक जन पर छिड़काव करते हैं. घर में यदि कोई रोगी है उस जल को रोगी को पिलाया जाता है. इससे रोगी को जल्द आराम मिलता है.

श्रद्धालु भारती श्रीवास्तव ने बताया कि शीतला अष्टमी की तिथि को लेकर श्रद्धालुओं में असमंजस की स्थिति रही है. ऐसा पहले भी तिथि को लेकर असमंजस आ रहा है इस कारण मेला भी दो से 3 दिन में भरा है. श्रीवास्तव ने कहा कि श्रद्धालु परंपरा के अनुसार शीतला माता की प्रतिमा पर शीतल जल, दूध, दही अर्पित करते हैं. साथ ही 1 दिन पहले बना भोजन का भोग माता को चढ़ाया जाता है.

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