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Training in Senior Citizens Tribunal : वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के लिए बने कानून का नहीं मिल रहा लाभ- राजेश टंडन - ETV Bharat Rajasthan News

राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश टंडन ने राज्य एवं जिला स्तर पर वरिष्ठ नागरिक अधिकरण के पीठासीन अधिकारियों एवं विभागीय कर्मचारियों के प्रशिक्षण की मांग (Training in Senior Citizens Tribunal) उठाई है.

Senior Citizens Welfare Board Vice President Rajesh Tandon
वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश टंडन
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Published : Feb 2, 2023, 5:15 PM IST

Updated : Feb 2, 2023, 5:56 PM IST

राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश टंडन ने उठाई ये मांग

अजमेर. राजस्थान राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश टंडन ने राज्य सरकार से वरिष्ठ नागरिक अधिकरण के पीठासीन अधिकारियों एवं विभागीय कर्मचारियों के प्रशिक्षण की मांग उठाई है. टंडन का कहना है कि प्रशिक्षण के अभाव में वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 की सार्थकता नहीं है, क्योंकि जिम्मेदार लोग अभी भी एक्ट के प्रावधानों और अपने पावर से वंचित हैं. इसके कारण वृद्धजनों को इस अधिनियम का लाभ नहीं मिल रहा है.

राजेश टंडन ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के लिए बने कानून वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है. जिम्मेदार लोग वृद्ध जनों को दीवानी और फौजदारी कार्रवाई अपनाने की सलाह देते हुए इस अधिनियम के तहत कार्रवाई के प्रति हतोत्साहित करते हैं. इतना ही नहीं पीठासीन अधिकारी को यह तक कहते सुना गया है कि संपत्ति का उपहार विलेख निरस्त करने का अधिकार केवल दीवानी न्यायालय को ही है. इससे स्पष्ट होता है कि जिम्मेदार वरिष्ठ जन एक्ट के प्रावधानों से वाकिफ नहीं है.

पढ़ें. Political Appointments in Rajasthan : वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष गोपाल सिंह शेखावत ने संभाला पदभार, कहा- यह जिम्मेदारी कर्म और धर्म दोनों की

उन्होंने बताया कि अधिनियम के तहत उपखंड अधिकारियों को संपूर्ण राज्य के अधिकरण का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है. अधिनियम बनाने के पीछे विधायिका की मूल मंशा थी कि किसी भी वरिष्ठ नागरिक को अपने भरण-पोषण और संपत्ति की रक्षा के लिए कानूनी पर पेचीदगियों से बचाया जा सके. निर्वाह भत्ता और संपत्ति हस्तांतरण विलेख निरस्त करवाने के कानून पहले से ही देश में विद्यमान थे, लेकिन उन्हें न्याय शुल्क अदायगी के साथ ही जटिल एवं लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता था. इसलिए यह नया कानून बनाया गया.

राज्य एवं जिला स्तर पर हो प्रशिक्षण : टंडन ने कहा कि कानूनी प्रावधानों से अनभिज्ञ उपखंड अधिकारी और इन मामलों को देखने वाले समाज कल्याण एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी और मंत्रालय कर्मचारी कभी भी वरिष्ठ जनों को त्वरित न्याय दिलाने में पूर्ण समर्थ नहीं हैं. ऐसी स्थिति में कानूनी संबंधी प्रशिक्षण के साथ ही माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 अधिग्रहण से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को वृद्ध जनों के प्रति संवेदनशील होने का प्रशिक्षण दिलाया जाना आवश्यक है. इसके लिए राज्य एवं जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यशालाए वरिष्ठ नागरिक जन कल्याण बोर्ड के माध्यम से आयोजित करवाने की मांग की गई है.

राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश टंडन ने उठाई ये मांग

अजमेर. राजस्थान राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेश टंडन ने राज्य सरकार से वरिष्ठ नागरिक अधिकरण के पीठासीन अधिकारियों एवं विभागीय कर्मचारियों के प्रशिक्षण की मांग उठाई है. टंडन का कहना है कि प्रशिक्षण के अभाव में वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 की सार्थकता नहीं है, क्योंकि जिम्मेदार लोग अभी भी एक्ट के प्रावधानों और अपने पावर से वंचित हैं. इसके कारण वृद्धजनों को इस अधिनियम का लाभ नहीं मिल रहा है.

राजेश टंडन ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के लिए बने कानून वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है. जिम्मेदार लोग वृद्ध जनों को दीवानी और फौजदारी कार्रवाई अपनाने की सलाह देते हुए इस अधिनियम के तहत कार्रवाई के प्रति हतोत्साहित करते हैं. इतना ही नहीं पीठासीन अधिकारी को यह तक कहते सुना गया है कि संपत्ति का उपहार विलेख निरस्त करने का अधिकार केवल दीवानी न्यायालय को ही है. इससे स्पष्ट होता है कि जिम्मेदार वरिष्ठ जन एक्ट के प्रावधानों से वाकिफ नहीं है.

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उन्होंने बताया कि अधिनियम के तहत उपखंड अधिकारियों को संपूर्ण राज्य के अधिकरण का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है. अधिनियम बनाने के पीछे विधायिका की मूल मंशा थी कि किसी भी वरिष्ठ नागरिक को अपने भरण-पोषण और संपत्ति की रक्षा के लिए कानूनी पर पेचीदगियों से बचाया जा सके. निर्वाह भत्ता और संपत्ति हस्तांतरण विलेख निरस्त करवाने के कानून पहले से ही देश में विद्यमान थे, लेकिन उन्हें न्याय शुल्क अदायगी के साथ ही जटिल एवं लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता था. इसलिए यह नया कानून बनाया गया.

राज्य एवं जिला स्तर पर हो प्रशिक्षण : टंडन ने कहा कि कानूनी प्रावधानों से अनभिज्ञ उपखंड अधिकारी और इन मामलों को देखने वाले समाज कल्याण एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी और मंत्रालय कर्मचारी कभी भी वरिष्ठ जनों को त्वरित न्याय दिलाने में पूर्ण समर्थ नहीं हैं. ऐसी स्थिति में कानूनी संबंधी प्रशिक्षण के साथ ही माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 अधिग्रहण से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को वृद्ध जनों के प्रति संवेदनशील होने का प्रशिक्षण दिलाया जाना आवश्यक है. इसके लिए राज्य एवं जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यशालाए वरिष्ठ नागरिक जन कल्याण बोर्ड के माध्यम से आयोजित करवाने की मांग की गई है.

Last Updated : Feb 2, 2023, 5:56 PM IST
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