अजमेर. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सोमवार को भी पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई. चौदस और पूर्णिमा पर साधु संतों का महास्नान भी हो रहा है. साधु-संतों ने शाही स्नान कर पुष्कर राज की परिक्रमा (saints took holy dip in Pushkar Sarovar) की. कई साधु-संतों ने पशु मेला आयोजित नहीं होने पर नाराजगी भी जताई.
पुष्कर में पंचतीर्थ स्नान का विशेष महत्व है. पुष्कर सरोवर में स्नान के लिए एकादशी से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. सोमवार को चौदस के दिन भी पुष्कर राज में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा. सप्त ऋषि घाट पर शाही स्नान के लिए बड़ी संख्या में साध-संत भी पहुंचे. जहां शाही स्नान के बाद सभी ने मिलकर पुष्कर राज और जगतपिता ब्रह्मा की स्तुति की. बाद में ब्रह्मसरोवर पुष्कर की परिक्रमा लगाई.
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संतों में कोई गुटबाजी नहीं: इस बार साधु संत अलग-अलग गुटों में महास्नान के लिए पुष्कर सरोवर पहुंचे, जबकि इससे पहले एक साथ जुलूस के रूप में पहुंचते थे. सन्यास आश्रम के महंत रामसुखदास महाराज ने कहा कि संतों में कोई गुटबाजी नहीं है. यह केवल समय का फर्क है. हम पहले आ गए, वे बाद में आएंगे.' उन्होंने कहा कि कोई भी आश्रम धारी समय पर शाही स्नान के लिए नहीं आता है. सब अपनी समय परिस्थिति के अनुसार आते हैं. मैं भी अपनी इच्छा अनुसार चलता हूं. मैं किसी का विरोध नहीं करता और ना किसी की प्रशंसा करता हूं. उन्होंने कहा कि मेला शांतिपूर्वक संपन्न हो, यही ईश्वर से प्रार्थना है.
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सनातन परंपरा को निभाना हम सबका दायित्व: उन्होंने कहा कि इस बार एक काम सही नहीं हुआ है. पुष्कर मेले में आए पशुओं को भगाना अच्छा नहीं है. पशुओं के बिना यह मेला अधूरा है. युगों से धार्मिक और पशु मेले की परंपरा चली आ रही है. उस परंपरा को कायम रखना चाहिए. पशु मेला का आयोजन नहीं हुआ, इसलिए यह मेला पूर्ण नहीं माना जा सकता है. सनातन धर्म की परंपराओं को निभाना चाहिए.
तीर्थ स्थल घूमने की जगह नहीं: पीठाधीश्वर अचलानंदाचार्य ने कहा कि ब्रह्म चौदस के दिन शाही स्नान के लिए सभी संत पुष्कर आते हैं. उन्होंने कहा कि संतो से कहना चाहते हैं कि आज की भटक रही युवा पीढ़ी को नशे से मुक्त करवाओ और उन्हें सही मार्ग पर लाओ. श्रद्धालुओं से भी आग्रह है कि सरोवर में प्लास्टिक या अन्य प्रसाद ना डालें. पुष्कर तीर्थ में स्नान के लिए बहन-बेटियां भी आती हैं. यहां असामाजिक तत्व ना आएं. यह पिकनिक प्लेस नहीं है, आस्था का केंद्र है. सभी संतो को युवा पीढ़ी को भटकने से रोकना होगा तभी युवा पीढ़ी आस्थावान और श्रद्धावान होगी. संतो में गुटबाजी के सवाल पर उन्होंने कहा कि संतों के प्रति मन में कभी गलत भाव नहीं आता है. संतों का काम समाज को एक सूत्र में जोड़ना है.
सप्त ऋषि घाट पर किया संतो ने शाही स्नान: सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने कहा कि ब्रह्म चौदस पर संतों ने सप्त ऋषि घाट पर शाही स्नान किया. इसके बाद पुष्करराज की पूजा अर्चना कर ब्रह्मा जी की स्तुति की. विश्व में शांति और सद्भावना एवं श्रद्धालुओं के घरों में समृद्धि और खुशहाली बने रहने की कामना की है. सुबह से ही रामधुनी के साथ संतों का विभिन्न आश्रमों से आना लगा हुआ है. उन्होंने बताया कि विभिन्न समाज और धर्म परायण लोगों की ओर से साधु संतों का पुष्प वर्षा और शॉल ओढ़ाकर सम्मान भी किया गया.