पुष्कर (अजमेर). विख्यात धार्मिक पुष्कर मेले का समापन पूर्णिमा स्नान के साथ हो गया. परन्तु 5 दिनों तक तीर्थ में पदम् पुराण अनुसार धार्मिक कर्मकांड करने वाले श्रद्धालुओं ने बुधवार को मृग छाला स्नान कर पुष्कर से विदाई ली.
यूं तो कार्तिक मास की एकादशी से लेकर पूर्णिमा स्नान का विशेष महत्व है. लेकिन, ऐसा माना जाता है की स्वयं ब्रह्मा जी ने 5 दिनों तक 33 करोड़ देवी-देवताओं के साथ एकादशी से पूर्णिमा तक पवित्र सरोवर में स्नान और पूजा करने के बाद मार्गशीष की प्रतिप्रदा तिथि के दिन विशेष स्नान किया था. जिसमें हिरण की छाल से शुद्धिकरण कर पापों से मुक्ति के लिए यंहा पर यज्ञ किया.
इसके बाद यहां से प्रस्थान लिया तब से ये मान्यता चली आ रही है कि मगृछाला स्नान करने से जीवों को पापों से मुक्ति तो मिलती है. साथ ही आत्म शुद्धि भी होती है, इसी मान्यता के अनुसार बुधवार को भी पुष्कर सरोवर में हजारों श्रृद्धालुओं ने स्नान कर धर्म लाभ प्राप्त किया और पुष्कर से रवानगी भी ली. तीर्थ पुरोहित राहुल पाराशर ने बताया कि मृग छाला स्नान से पूरे कार्तिक मास में पुष्कर सरोवर में स्नान करने का फल मिलता है.