अजमेर. कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में अन्य राज्यों और जिलों से अजमेर की सीमा में आए सैकड़ों श्रमिकों को शेल्टर होम में रखा गया है. शहर में 8 उपखंड क्षेत्रों में 8 शेल्टर होम बनाए गए हैं. इन शेल्टर होम में सैकड़ों श्रमिक रह रहे हैं. ईटीवी भारत ने पीसांगन पंचायत समिति के जेठाना ग्राम पंचायत की सरकारी स्कूल में बने शेल्टर होम का जायजा लिया.
अजमेर शहर से 45 किलोमीटर दूर जेठाना ग्राम पंचायत है. जेठाना से हाईवे करीब होने की वजह से लॉकडाउन के दौरान पलायन कर रहे 88 श्रमिकों को सरकारी स्कूल में बने शेल्टर होम में रखा गया है. ये मजदूर यहां 31 मार्च से हैं. स्कूल के 14 कमरों में से दो कमरे महिलाओं के लिए सुरक्षित रखे गए हैं. वहीं इन श्रमिकों को दो वक्त का भोजन और दो वक्त की चाय दी जा रही है. इसके अलावा बच्चों को दूध भी उपलब्ध करवाया जा रहा है.
प्रशासन की ओर से श्रमिकों के भोजन और उनके स्वास्थ्य निरीक्षण की व्यवस्था की गई है लेकिन सबसे ज्यादा अहम भूमिका जेठाना सरपंच एवं पीसांगन सरपंच संघ के अध्यक्ष पदम छाजेड़ निभा रहे हैं. दरअसल, प्रशासन की खाद्यान्न व्यवस्था सीमित है. जिस को पूरा करने के लिए अध्यक्ष स्वयं भी मदद कर रहे हैं. साथ ही दानदाताओं भी मदद को आगे आए हैं.
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शेल्टर होम में मौजूद एक श्रमिक ने बताया कि वह जोधपुर में पेंटर का काम करता था. लॉकडाउन के बाद वह अपने घर लौट रहा था लेकिन उसे शेल्टर होम में रख दिया गया. जेठाना सरपंच पदम छाजेड़ ने बताया कि शेल्टर होम में रहने वाले श्रमिक अपने गांव जाना चाहते हैं. शेल्टर होम में रहने वाले श्रमिकों का कहना है कि खाने-पीने की व्यवस्था बेहतर है.
शिफ्टों में शिक्षक निगरानी कर रहे हैं
अजमेर जिला ग्राम विकास अधिकारी महासंघ के अध्यक्ष शिवराज चौधरी ने बताया कि सभी लोगों की स्क्रीनिंग की गई है. यहां रह रहे सभी श्रमिकों का स्वास्थ्य अच्छा है. उनके सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी लगाया गया है. वहीं निगरानी के लिए शिफ्टों में शिक्षक निगरानी रखते हैं. शेल्टर होम में सभी को कोरोना वायरस को लेकर जारी दिशा निर्देश की पालना करवाई जा रही है. शेल्टर होम में व्यवस्थाएं उपयुक्त है लेकिन श्रमिकों को अपने घर लौटने की चिंता ज्यादा है. श्रमिक चाहते हैं कि उन्हें अब अपने घर जाने की इजाजत दी जाए.