केकड़ी (अजमेर). अजमेर की ख्याति को विश्व पटल पर अपनी रचनाओं से प्रतिष्ठित करने वाले कवि सुरेंद्र दुबे की द्वितीय पुण्य तिथि पर 'सुरेंद्र दुबे स्मृति संस्थान' की ओर से सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. संस्था की ओर से 1,11,111 रुपए की राशि का चेक, ताम्र पत्र और अलंकरणों के साथ 'सुरेंद्र दुबे स्मृति सम्मान-2020' इस साल हिंदी कवि सम्मेलनों और हिंदी फिल्मों के वरिष्ठ गीतकार सन्तोष आनन्द को प्रदान किया गया.
विश्वविख्यात हास्य कवि और संवेदनशील गीतकार स्व. सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में आयोजित इस सम्मान समारोह और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ने सफलता का इतिहास रच दिया. कड़कड़ाती सर्दी में भी रात तीन बजे तक सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि आज भी श्रोताओं में कवि और कविताओं के प्रति भरपूर जुनून और प्यार है.
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इस अवसर पर सुरेंद्र दुबे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संपादित स्मृति ग्रंथ 'जा रहा हूं दूर इतना...' का विमोचन उपस्थित अतिथियों ने किया. इस ग्रंथ का सम्पादन प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. कीर्ति काले और राजस्थानी भाषा के ख्याति प्राप्त कवि और साहित्यकार डॉ. कैलाश मण्डेला ने किया है. इस ग्रंथ में 150 से भी अधिक महत्वपूर्ण आलेख, संस्मरण और स्व. दुबे की खास रचनाएं हैं.
इस अवसर पर जयपुर में 49 साल से 'गीत चांदनी' और 'महामूर्ख सम्मेलन' करवाने वाले तरुण समाज जयपुर के अध्यक्ष विश्वम्भर मोदी का नागरिक अभिनंदन किया गया. वहीं कवि सम्मेलन में पहले कवि के रूप में केकड़ी के देवकरण मेघवंशी ने अपनी चिरपरिचित शैली से राजस्थानी भाषा में अपना गीत प्रस्तुत किया. उसके बाद आए हास्य व्यंग्य के अनूठे कवि शिव तूफान ने जेबकतरों को आधार बना कर व्यवस्था पर सटीक व्यंग्य किया, जिसे श्रोताओं ने भरपूर सराहा.
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शाहपुरा से आए गीतकार सत्येंद्र मण्डेला ने अपने गीत 'हमें तो जिंदगी बस तेरा ही नशा है' प्रस्तुत कर श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी. हास्य के धुरंधर कवि आलोट मध्य प्रदेश से आए नंदकिशोर अकेला ने अपनी मौलिक टिप्पणियों और रचनाओं की प्रस्तुतियां दी. 'सूखे सांठे में भी रस मीठा है, कोई चख कर तो देखो' टिप्पणी पर खूब दाद मिली. राजस्थानी गीतकार विष्णु विश्वास के वात्सल्य गीत 'थारा दो दांतां पर वारूं सौ-सौ बीघा का रे ग्वाड़' पर श्रोता झूम उठे. नई दिल्ली से आए हास्य कवि सुनहरी लाल तुरंत ने अपने छंदों से हास्य रस घोल दिया.
विजयनगर के कवि नवीन शर्मा की देशभक्ति रचनाओं की श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहना की. शाहपुरा के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पैरोडी किंग और गीतकार डॉ. कैलाश मण्डेला ने कवि सुरेंद्र दुबे की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के अंश प्रस्तुत किए. 'नदियां बन जाना है, सागर की अमानत हूं, सागर में समाना है' सुनाई तो श्रोता स्व. दुबे की बहुमुखी काव्य प्रतिभा से चमत्कृत हो गए. इसके बाद अपने चिरपरिचित अंदाज में प्याज के बढ़ते दामों पर अपनी पैरोडी " प्याज लिया तो डरना क्या' और ' इक हार का सदमा है, वोटों की निशानी है, राजनीति कुछ भी नहीं धोखे की कहानी है.' सुनाकर श्रोताओं को रसमय आनंद से ओतप्रोत कर दिया. कवि सम्मेलन का संचालन कर रहीं डॉ. कीर्ति काले ने बेटी की विदाई पर अपना प्रसिद्ध गीत 'भर-भर आए नैना' सुनाया तो श्रोता भाव विभोर हो गए.