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अजमेर में सुरेन्द्र दुबे की पुण्यतिथि पर कवि सम्मेलन, कवियों ने दी एक से बढ़कर प्रस्तुतियां

अजमेर जिले के केकड़ी में स्व. कवि सुरेंद्र दुबे की स्मृति में ऐतिहासिक सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. साथ ही कार्यक्रम में सुरेन्द्र दुबे स्मृति ग्रंथ का भी विमोचन किया गया. 'स्मृति सम्मान 2020' से प्रसिद्ध कवि और गायक संतोष आनन्द को सम्मानित किया गया.

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Published : Jan 3, 2020, 5:14 AM IST

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सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

केकड़ी (अजमेर). अजमेर की ख्याति को विश्व पटल पर अपनी रचनाओं से प्रतिष्ठित करने वाले कवि सुरेंद्र दुबे की द्वितीय पुण्य तिथि पर 'सुरेंद्र दुबे स्मृति संस्थान' की ओर से सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. संस्था की ओर से 1,11,111 रुपए की राशि का चेक, ताम्र पत्र और अलंकरणों के साथ 'सुरेंद्र दुबे स्मृति सम्मान-2020' इस साल हिंदी कवि सम्मेलनों और हिंदी फिल्मों के वरिष्ठ गीतकार सन्तोष आनन्द को प्रदान किया गया.

सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

विश्वविख्यात हास्य कवि और संवेदनशील गीतकार स्व. सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में आयोजित इस सम्मान समारोह और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ने सफलता का इतिहास रच दिया. कड़कड़ाती सर्दी में भी रात तीन बजे तक सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि आज भी श्रोताओं में कवि और कविताओं के प्रति भरपूर जुनून और प्यार है.

यह भी पढे़ं- उदयपुर पुलिस ने बनाया अनूठा रिकॉर्ड 1 साल में 1000 वांछित अपराधियों को किया गिरफ्तार

इस अवसर पर सुरेंद्र दुबे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संपादित स्मृति ग्रंथ 'जा रहा हूं दूर इतना...' का विमोचन उपस्थित अतिथियों ने किया. इस ग्रंथ का सम्पादन प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. कीर्ति काले और राजस्थानी भाषा के ख्याति प्राप्त कवि और साहित्यकार डॉ. कैलाश मण्डेला ने किया है. इस ग्रंथ में 150 से भी अधिक महत्वपूर्ण आलेख, संस्मरण और स्व. दुबे की खास रचनाएं हैं.

इस अवसर पर जयपुर में 49 साल से 'गीत चांदनी' और 'महामूर्ख सम्मेलन' करवाने वाले तरुण समाज जयपुर के अध्यक्ष विश्वम्भर मोदी का नागरिक अभिनंदन किया गया. वहीं कवि सम्मेलन में पहले कवि के रूप में केकड़ी के देवकरण मेघवंशी ने अपनी चिरपरिचित शैली से राजस्थानी भाषा में अपना गीत प्रस्तुत किया. उसके बाद आए हास्य व्यंग्य के अनूठे कवि शिव तूफान ने जेबकतरों को आधार बना कर व्यवस्था पर सटीक व्यंग्य किया, जिसे श्रोताओं ने भरपूर सराहा.

यह भी पढ़ें- जयपुरः शाहपुरा पुलिस ने खुले में रात बिताने वालो को बांटे कंबल, खिल उठे चेहरे

शाहपुरा से आए गीतकार सत्येंद्र मण्डेला ने अपने गीत 'हमें तो जिंदगी बस तेरा ही नशा है' प्रस्तुत कर श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी. हास्य के धुरंधर कवि आलोट मध्य प्रदेश से आए नंदकिशोर अकेला ने अपनी मौलिक टिप्पणियों और रचनाओं की प्रस्तुतियां दी. 'सूखे सांठे में भी रस मीठा है, कोई चख कर तो देखो' टिप्पणी पर खूब दाद मिली. राजस्थानी गीतकार विष्णु विश्वास के वात्सल्य गीत 'थारा दो दांतां पर वारूं सौ-सौ बीघा का रे ग्वाड़' पर श्रोता झूम उठे. नई दिल्ली से आए हास्य कवि सुनहरी लाल तुरंत ने अपने छंदों से हास्य रस घोल दिया.

विजयनगर के कवि नवीन शर्मा की देशभक्ति रचनाओं की श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहना की. शाहपुरा के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पैरोडी किंग और गीतकार डॉ. कैलाश मण्डेला ने कवि सुरेंद्र दुबे की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के अंश प्रस्तुत किए. 'नदियां बन जाना है, सागर की अमानत हूं, सागर में समाना है' सुनाई तो श्रोता स्व. दुबे की बहुमुखी काव्य प्रतिभा से चमत्कृत हो गए. इसके बाद अपने चिरपरिचित अंदाज में प्याज के बढ़ते दामों पर अपनी पैरोडी " प्याज लिया तो डरना क्या' और ' इक हार का सदमा है, वोटों की निशानी है, राजनीति कुछ भी नहीं धोखे की कहानी है.' सुनाकर श्रोताओं को रसमय आनंद से ओतप्रोत कर दिया. कवि सम्मेलन का संचालन कर रहीं डॉ. कीर्ति काले ने बेटी की विदाई पर अपना प्रसिद्ध गीत 'भर-भर आए नैना' सुनाया तो श्रोता भाव विभोर हो गए.

केकड़ी (अजमेर). अजमेर की ख्याति को विश्व पटल पर अपनी रचनाओं से प्रतिष्ठित करने वाले कवि सुरेंद्र दुबे की द्वितीय पुण्य तिथि पर 'सुरेंद्र दुबे स्मृति संस्थान' की ओर से सम्मान समारोह और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. संस्था की ओर से 1,11,111 रुपए की राशि का चेक, ताम्र पत्र और अलंकरणों के साथ 'सुरेंद्र दुबे स्मृति सम्मान-2020' इस साल हिंदी कवि सम्मेलनों और हिंदी फिल्मों के वरिष्ठ गीतकार सन्तोष आनन्द को प्रदान किया गया.

सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

विश्वविख्यात हास्य कवि और संवेदनशील गीतकार स्व. सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में आयोजित इस सम्मान समारोह और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ने सफलता का इतिहास रच दिया. कड़कड़ाती सर्दी में भी रात तीन बजे तक सैकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि आज भी श्रोताओं में कवि और कविताओं के प्रति भरपूर जुनून और प्यार है.

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इस अवसर पर सुरेंद्र दुबे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संपादित स्मृति ग्रंथ 'जा रहा हूं दूर इतना...' का विमोचन उपस्थित अतिथियों ने किया. इस ग्रंथ का सम्पादन प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. कीर्ति काले और राजस्थानी भाषा के ख्याति प्राप्त कवि और साहित्यकार डॉ. कैलाश मण्डेला ने किया है. इस ग्रंथ में 150 से भी अधिक महत्वपूर्ण आलेख, संस्मरण और स्व. दुबे की खास रचनाएं हैं.

इस अवसर पर जयपुर में 49 साल से 'गीत चांदनी' और 'महामूर्ख सम्मेलन' करवाने वाले तरुण समाज जयपुर के अध्यक्ष विश्वम्भर मोदी का नागरिक अभिनंदन किया गया. वहीं कवि सम्मेलन में पहले कवि के रूप में केकड़ी के देवकरण मेघवंशी ने अपनी चिरपरिचित शैली से राजस्थानी भाषा में अपना गीत प्रस्तुत किया. उसके बाद आए हास्य व्यंग्य के अनूठे कवि शिव तूफान ने जेबकतरों को आधार बना कर व्यवस्था पर सटीक व्यंग्य किया, जिसे श्रोताओं ने भरपूर सराहा.

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शाहपुरा से आए गीतकार सत्येंद्र मण्डेला ने अपने गीत 'हमें तो जिंदगी बस तेरा ही नशा है' प्रस्तुत कर श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी. हास्य के धुरंधर कवि आलोट मध्य प्रदेश से आए नंदकिशोर अकेला ने अपनी मौलिक टिप्पणियों और रचनाओं की प्रस्तुतियां दी. 'सूखे सांठे में भी रस मीठा है, कोई चख कर तो देखो' टिप्पणी पर खूब दाद मिली. राजस्थानी गीतकार विष्णु विश्वास के वात्सल्य गीत 'थारा दो दांतां पर वारूं सौ-सौ बीघा का रे ग्वाड़' पर श्रोता झूम उठे. नई दिल्ली से आए हास्य कवि सुनहरी लाल तुरंत ने अपने छंदों से हास्य रस घोल दिया.

विजयनगर के कवि नवीन शर्मा की देशभक्ति रचनाओं की श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहना की. शाहपुरा के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पैरोडी किंग और गीतकार डॉ. कैलाश मण्डेला ने कवि सुरेंद्र दुबे की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के अंश प्रस्तुत किए. 'नदियां बन जाना है, सागर की अमानत हूं, सागर में समाना है' सुनाई तो श्रोता स्व. दुबे की बहुमुखी काव्य प्रतिभा से चमत्कृत हो गए. इसके बाद अपने चिरपरिचित अंदाज में प्याज के बढ़ते दामों पर अपनी पैरोडी " प्याज लिया तो डरना क्या' और ' इक हार का सदमा है, वोटों की निशानी है, राजनीति कुछ भी नहीं धोखे की कहानी है.' सुनाकर श्रोताओं को रसमय आनंद से ओतप्रोत कर दिया. कवि सम्मेलन का संचालन कर रहीं डॉ. कीर्ति काले ने बेटी की विदाई पर अपना प्रसिद्ध गीत 'भर-भर आए नैना' सुनाया तो श्रोता भाव विभोर हो गए.

Intro:Body:केकड़ी-ऐतिहासिक सम्मान समारोह एवं कवि सम्मेलन,सुरेन्द्र दुबे स्मृति ग्रंथ का हुआ भव्य विमोचन,सन्तोष आनन्द को दिया गया स्मृति सम्मान 2020
एंकर-विश्वविख्यात हास्यकवि एवं संवेदनशील गीतकार स्व.सुरेन्द्र दुबे की स्मृति में आयोजित सम्मान समारोह एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ने सफलता का इतिहास रच दिया। भीषण कड़कड़ाती सर्दी में रात तीन बजे तक सैंकड़ों श्रोताओं की उपस्थिति में हुए। इस गरिमामय कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि आज भी श्रोताओं में कवि और कविताओं के प्रति कितना जुनून और प्यार है। अजमेर जिले की ख्याति को विश्व पटल पर अपनी रचनाओं से प्रतिष्ठित करने वाले कवि सुरेंद्र दुबे की द्वितीय पुण्य तिथि पर ' सुरेंद्र दुबे स्मृति संस्थान' द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में संस्था द्वारा घोषित एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह रुपए की राशि, ताम्र पत्र एवं अलंकरणों के साथ "सुरेंद्र दुबे स्मृति सम्मान-2020" इस वर्ष हिंदी कवि सम्मेलनों एवं हिंदी फिल्मों के वरिष्ठ गीतकार सन्तोष आनन्द को प्रदान किया। सैंकड़ों लोगों ने अपनी उल्लासित ऊर्जा से इस अवसर को अभिनंदित किया। इस अवसर पर सुरेंद्र दुबे के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संपादित महत्वपूर्ण स्मृति ग्रंथ "जा रहा हूं दूर इतना..." का भव्य विमोचन उपस्थित अतिथियों द्वारा किया गया। इस ग्रंथ का सम्पादन प्रसिद्ध कवयित्री डाॅ.कीर्ति काले एवं हिन्दी व राजस्थानी भाषा के ख्याति प्राप्त कवि एवं साहित्यकार डाॅ.कैलाश मण्डेला ने किया है। इस ग्रंथ में 150 से भी अधिक महत्वपूर्ण आलेख,संस्मरण एवं स्व.दुबे जी की खास रचनाएं हैं। इसे अमृत प्रकाशन नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है। कार्यक्रम का प्रारंभिक संचालन पार्षद एवं पत्रकार सुरेंद्र जोशी ने करते हुए सभी अतिथियों एवं कवियों का स्वागत प्रतिष्ठित नागरिकों द्वारा करवाया गया। इस असर पर जयपुर में 49 वर्ष से 'गीत चांदनी' और 'महामूर्ख सम्मेलन' करवाने वाले तरुण समाज जयपुर के अध्यक्ष विश्वम्भर मोदी का नागरिक अभिनंदन किया गया। संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश दुबे ने आगन्तुकों का स्वागत करते हुए इस जन आयोजन में सभी की सहभागिता हेतु आभार व्यक्त किया। विश्व प्रसिद्ध मंच संचालिका डाॅ.कीर्ति काले के संचालन में प्रारम्भ हुए कवि सम्मेलन में अंता से गीतकार विष्णु विश्वास की मधुर शास्त्रीय सरस्वती वंदना से वातावरण में सम्मोहन पैदा कर दिया। पहले कवि के रूप में केकड़ी के देवकरण मेघवंशी ने अपनी चिरपरिचित शैली से राजस्थानी भाषा में अपना गीत प्रस्तुत किया। उसके बाद आए हास्य व्यंग्य के अनूठे कवि शिव तूफान ने जेबकतरों को आधार बना कर व्यवस्था पर सटीक व्यंग्य किया जिसे श्रोताओं ने भरपूर सराहा। शाहपुरा से आए गीतकार सत्येंद्र मण्डेला ने अपने गीत "हमें तो जिंदगी बस तेरा ही नशा है" प्रस्तुत कर श्रोताओं के मन में नशा घोल दिया। हास्य के धुरंधर कवि आलोट मध्य प्रदेश से आए नंदकिशोर अकेला ने अपनी मौलिक टिप्पणियों और रचनाओं से वातावरण को उन्मुक्त कर दिया। "सूखे सांठे में भी रस मीठा है कोई चख कर तो देखो" टिप्पणी पर खूब दाद मिली । राजस्थानी गीतकार विष्णु विश्वास के गीत "गौरी थारो डील इतर की शीशी री, सौरम की लपट उड़े छ" और वात्सल्य गीत " थारा दो दांतां पर वारूं सौ-सौ बीघा का रे ग्वाड़" पर श्रोता झूम उठे। नई दिल्ली से आए हास्य कवि सुनहरी लाल तुरंत ने अपने छंदों से अद्भुत हास्य पैदा किया -"छत टपके तो फव्वारों का मजा लेते हैं।" "अपनी लाडो बिटिया को वापिस बुलवा लो पापाजी" पर सारा माहौल आनंदित हो गया। बिजयनगर के कवि नवीन शर्मा की देशभक्ति रचना को श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहना की । शाहपुरा के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पैरोडी किंग और गीतकार डाॅ.कैलाश मण्डेला ने कवि सुरेंद्र दुबे की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं के अंश प्रस्तुत किये " नदिया बन जाना है, सागर की अमानत हूं सागर में समाना है।" सुनाई तो श्रोता स्व.दुबे की बहुमुखी काव्य प्रतिभा से चमत्कृत हो गए। इसके बाद अपने चिरपरिचित अंदाज में प्याज के बढ़ते दामों पर अपनी पैरोडी " प्याज लिया तो डरना क्या" और " इक हार का सदमा है, वोटों की निशानी है। राजनीति कुछ भी नहीं धोखे की कहानी है।" सुनाकर प्रत्येक श्रोता को रसमय आनंद से ओतप्रोत कर दिया। कवि सम्मेलन का श्रेष्ठ संचालन कर रही डाॅ,.कीर्ति काले ने बेटी की विदाई पर अपना प्रसिद्ध गीत " भर-भर आए नैना" सुनाया तो श्रोता भावविभोर हो गए। देशभक्ति के गीत " क्या सिंहों का देश कभी चूहों से हारा है" सुनाया तो श्रोता साथ- साथ गाने लगे। कार्यक्रम के सिरमौर कवि सन्तोष आनन्द ने अंत में श्रोताओं के नये वर्ष को यादगार बना दिया। लगभग एक घंटे से भी अधिक अपने काव्यपाठ में सुरेंद्र दुबे के संस्मरणों के साथ अपने प्रसिद्ध गीत- " पुरवा सुहानी आई रे", "जिंदगी की न टूटे लड़ी", "इक प्यार का नगमा है" सहित अनेक गीत सुना कर तेज ठण्ड में भी हर श्रोता को बांधे रखा। ऐतिहासिक रूप से सफल हुए इस आयोजन की अध्यक्षता मुख्य ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी प्रेमचंद मोची ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उपखण्ड अधिकारी केकड़ी सुरेंद्र सिंह पुरोहित, विशिष्ट अतिथि विश्वभर मोदी अध्यक्ष,तरुण समाज,जयपुर,नीरज शर्मा, सेवानिवृत्त क्षेत्रीय प्रबंधक, पंजाब नेशनल बैंक तथा श्रवण सिंह नायब तहसीलदार थे। कार्यक्रम के अंत मेें सभी श्रोताओं ने खड़े होकर तालियों के साथ सुरेंद्र दुबे को याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी।Conclusion:
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