अजमेर. तीर्थ गुरु पुष्कर में गुरुवार को कार्तिक एकादशी से धार्मिक मेला शुरू हो गया है. कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक पंच तीर्थ स्नान का विशेष महत्व है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत देश के कोने-कोने से तीर्थ नगरी पुष्कर पहुंचने लगे हैं. कार्तिक एकादशी पर पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर श्रद्धालुओं का सुबह से ही तांता लगा रहा.
श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकीः श्रद्धालुओं ने पुष्कर की पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई. वहीं, पुष्कर राज की पूजा अर्चना करने के बाद जगत पिता ब्रह्मा मंदिर में दर्शन किए. साथ ही अपनी श्रद्धा के साथ दान पुण्य भी किया. धार्मिक मेला शुरू होने के साथ ही पुष्कर के बाजारों में भी रौनक बढ़ने लगी है. बाजारों में श्रद्धालुओं की चहल कदमी से व्यापारियों के चेहरे भी चमकने लगे हैं. पुष्कर में अध्यात्म की सरिता बह रही है. एक और पुष्कर पशु मेले में सतरंगी संस्कृति की झलक देसी विदेशी पर्यटकों को देखने के लिए मिल रही है. वहीं, दूसरी ओर पुष्कर की अध्यात्म सुगंध से पुष्कर आने वाले तीर्थयात्री ही नहीं बल्कि देसी विदेशी पर्यटक भी अभिभूत हो रहे हैं.
जगत पिता ब्रह्मा ने किया था यज्ञः पुष्कर तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि जगत पिता ब्रह्मा ने कार्तिक शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक सृष्टि यज्ञ किया था. पुष्कर सरोवर के जल को जगत पिता ब्रह्मा के कमंडल के जल के समान पवित्र माना जाता है. सृष्टि यज्ञ के दौरान समस्त देवी देवताओं ने पुष्कर में निवास कर यहां तीर्थ सरोवर में स्नान और पूजा अर्चना की थी. पुष्कर तीर्थ में स्नान, ध्यान, पूजा अर्चना, तर्पण, पिंडदान और दान का विशेष महत्व पुराणों में भी बताया गया है. उन्होंने बताया कि पुष्कर तीर्थ ब्रह्मा के द्वारा निर्मित है. पंडित शर्मा ने बताया कि पुष्कर राज स्वयं यहां विराजमान रहते हैं. उन्होंने कहा कि पुष्कर में गायत्री मंत्र का जाप करना, पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान करना आदि शुभ फलदायक होता है.
कार्तिक पंच तीर्थ स्नान का है महत्वः तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा और पंडित दिलीप शास्त्री ने बताया कि कार्तिक माह में महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान और पूजा-अर्चना करती हैं. खासकर एकादशी से पूर्णिमा तक महिलाएं पुष्कर आकर सरोवर में स्नान करती हैं और अपने अखंड सौभाग्य के लिए माता सावित्री से प्रार्थना करती हैं, जबकि अन्य तीर्थ यात्री अपने पितरों के उद्धार के लिए तीर्थराज गुरु से प्रार्थना करते हैं. इन पांच दिनों में लाखों तीर्थ यात्री पुष्कर आकर स्नान करते हैं.