पुष्कर (अजमेर). धर्म और अध्यात्म की नगरी में कल रविवार से धार्मिक मेले का शुभारंभ हो रहा है. इस पांच दिवसीय भीष्म पंचक पंचतीर्थ स्नान में आस्था की डुबकी लगाने देश भर से आने वाले श्रद्धालु अब पुष्कर पहुंचने लगे हैं. कार्तिक एकादशी से शुरू होने वाला यह स्नान कार्तिक पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा.
ऐसी मान्यता है की कार्तिक पंचतीर्थ में किए स्नान का शुभफल, एक हजार बार किए गंगा स्नान के समान, सौ बार माघ स्नान के समान और जो फल कुम्भ में प्रयाग में स्नान करने पर मिलता है, वही कार्तिक माह में पुष्कर सरोवर में स्नान से प्राप्त होता है.
जो व्यक्ति कार्तिक के पवित्र माह के नियमों का पालन करते हैं, वह वर्ष भर के सभी पापों से मुक्ति पाते हैं. इन्हीं मान्यताओं के चलते कार्तिक के एकादशी पर स्नान के दिन धार्मिक नगरी पुष्कर में हजारों श्रदालु पवित्र सरोवर में आस्था की डूबकी लगाकर धर्म लाभ प्राप्त करते हैं. कार्तिक माह स्नान के लिए घाटों पर अलसुबह ही श्रदालुओं का सैलाब उमड़ना शुरू हो जाता है. इसके साथ ही श्रदालु घाटों पर दीपदान कर पूजा-अर्चना और यथा शक्ति दान-पुण्य करते हैं. अलसुबह शुरू हुआ स्नान का दौर दिनभर जारी रहता है.
पुराणों में वर्णित पुष्कर के धार्मिक महत्व के अनुसार कार्तिक माह में हर वर्ष कार्तिक एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों तक तैतीस करोड़ देवी-देवता पवित्र सरोवर में वास करते हैं. इन्हीं मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए न केवल कार्तिक माह के इन पांच दिनों में बल्कि पूरे कार्तिक माह में देश और दुनिया के लाखों श्रदालु पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाते हैं. पद्म पुराण के अनुसार सृष्टि के रचियता जगत-पिता ब्रह्मा ने इस पवित्र सरोवर के बीच माता गायत्री के साथ कार्तिक एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक यज्ञ किया था.
इस यज्ञ के दौरान धरती पर 33 करोड़ देवी-देवता पुष्कर में ही मौजूद रहते हैं. सतयुग काल से ही इन पांच दिनों का खासा महत्व माना जाता है. इन पांच दिनों में पवित्र सरोवर में स्नान करने से पांचों तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए इसे पंचतीर्थ स्नान भी कहा जाता है.