अजमेर. नगर निकाय चुनाव 2021 में कांग्रेस और बीजेपी में हुई उठापटक और निर्दलीयों का बड़ी संख्या में चुनाव लड़ना, इस चुनाव को अपने आप में खास बना रहा है. वार्ड नंबर 1 से निर्दलीय प्रत्याशी शैलेंद्र अग्रवाल जो कभी कांग्रेस के समर्थक थे, उन्होंने बताया कि कांग्रेस की आंदरूनी गुटबाजी का शिकार होने की वजह से उन्हें निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ना पड़ रहा है. इस गुटबाजी का खामियाजा कांग्रेस को निकाय चुनाव में भुगतना पड़ेगा.
वहीं, वार्ड 75 से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. योगेंद्र ओझा जो कभी भाजपा के समर्थक थे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे, इस बार कांग्रेस के टिकट पर निकाय चुनाव में उतरे हैं. उनका मानना है की बीजेपी की राजनीति सिर्फ जाति आधारित है और उनका लक्ष्य 36 कौम के लोगों को साथ लेकर चलना था, इसीलिए इस बार उन्होंने अपना समर्थन कांग्रेस को दिया है.
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उधर, कांग्रेस से बागी वार्ड नंबर 2 के प्रत्याशी मनोज बैरवा कांग्रेस में हुए टिकट वितरण से बेहद नाराज हैं, उनका मानना है कि कांग्रेस में इस बार टिकट वितरण में धांधली हुई है, जिसका गहरा नुकसान कांग्रेस को होगा. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही स्थानीय प्रत्याशियों पर ध्यान न देकर अपने लिए मुश्किलें पैदा कर ली है.
बता दें, इस बार अजमेर नगर निकाय चुनाव के 80 वार्ड से करीब 377 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें से अधिकांश निर्दलीय के तौर पर मैदान में है. निर्दलीय उम्मीदवारों का मानना है कि कांग्रेस और भाजपा की नासमझी की वजह से इस बार नगर निगम में निर्दलीय अपना बोर्ड बनाने में कामयाब हो जाएंगे, इसका एक कारण यह भी माना जा रहा है की कांग्रेस ने तीन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में तो मुस्लिम प्रत्याशी उतारे ही नहीं हैं और करीब छह वार्ड ऐसे हैं, जिनमें कांग्रेस ने अपना एक भी प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है. भाजपा ने कई क्षेत्रों में स्थानीय उम्मीदवारों को कोई तवज्जो नहीं दी है.
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अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी की शिकायत पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने अजमेर उत्तर से बागी के तौर पर चुनाव लड़ने वाले 10 प्रत्याशियों को पार्टी की सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है. ऐसे में पार्टी की अंदरूनी घमासान कम नहीं है.
महिला शहर अध्यक्ष का भी कटा था टिकट
अजमेर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष और पूर्व मनोनीत पार्षद सबा खान का भी टिकट कांग्रेस पार्टी की ओर से काटा गया, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बाकी अब चुनावी मैदान में नजर आने लगे हैं, तो इसका खामियाजा कहीं ना कहीं दोनों पार्टियों को ही उठाना पड़ेगा. जिस तरह से समीकरण इस बार निर्दलीयों के पक्ष में देखे जा रहे हैं, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि नगर निगम का बोर्ड निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन के बगैर नहीं बन पाएगा, क्योंकि कहीं ना कहीं नहीं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं की वे नेताओं की नाराजगी इस चुनाव में उठानी पड़ेगी.
10 भाजपा से निर्दलीय उम्मीदवारों को किया निष्कासित
अजमेर विधायक वासुदेव देवनानी की शिकायत पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कार्रवाई की है, जिसमें उत्तर विधानसभा क्षेत्र के 10 कार्यकर्ताओं सुरेश माथुर, प्रेमलता, पुष्पेंद्र गौड़, इंदु राठी, डिंपल चौहान, मनोज मुरजनी, नितराज कच्छावा, कुंदन वैष्णव, गोपाल सिंह, प्रदीप अजमेरा को पार्टी के प्रत्याशियों के विरुद्ध चुनाव लड़ने पर 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है.