अजमेर. अजमेर में सन 1947 के बाद से ही चेटीचंड के पर्व पर सिंधी समाज की ओर से जुलूस निकालने की परंपरा रही है. आशा गंज स्थित संत कंवर राम से पहले जुलूस निकाला जाता रहा. पिछले 2 दशक से लोंगिया मोहल्ला स्थित झूलेलाल मंदिर से जुलूस निकाला जा रहा है. मंदिर में पाकिस्तान के हैदराबाद जिले में उदेरोलाल से लाई गई ज्योति आज भी यहां प्रज्ज्वलित है. जुलूस में भी मंदिर से भगवान झूलेलाल की तस्वीर के साथ ज्योति भी शामिल रहती है. बताया जाता है कि देश में ही नहीं बल्कि विश्व में सबसे बड़ा सिंधी समाज का चेटीचंड का जुलूस अजमेर में ही निकलता है.
दुनियाभर में मनाया जाता है झूलेलाल का जन्मोत्सवः सिंधी समाज के आराध्य देव भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव चेटीचंड के रूप में देश और दुनिया में मनाया जा रहा है. सिंधी समाज के लोग देश के कोने-कोने में ही नहीं बल्कि विश्व के कोने-कोने में रहते हैं. अजमेर में भी बड़ी संख्या में सिंधी समाज के लोग रह रहे है. भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बड़ी संख्या में सिंधी समाज के लोगों ने अजमेर में शरण ली थी और आज अजमेर शहर की आबादी का बड़ा हिस्सा सिंधी समाज का है. यूं कहें कि अजमेर के व्यापार में भी सिंधी समाज का 60 प्रतिशत कब्जा है. ऐसे में अजमेर में चेटीचंड का महोत्सव भी सांस्कृतिक, पारंपरिक, सामाजिक दृष्टि के साथ भव्यता से मनाया जाता है. चेटीचंड के 15 दिन पहले से ही सिंधी समाज के विभिन्न संगठन की ओर से विविध कार्यक्रम आयोजित करते हैं. जिनका मकसद सिंधी समाज की परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाना है. गुरुवार को लोंगिया मोहल्ले में स्थित सिंधी समाज के प्रमुख धार्मिक स्थल झूलेलाल मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद जुलूस का आगाज हुआ.
पाकिस्तान से लाई गई ज्योति आज भी है प्रज्ज्वलितः समाज के पदाधिकारी हीरालाल दुलानी बताते हैं कि भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय हजारों सिंधी समाज के लोग भारत आए. कुछ लोग अपने साथ पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हैदराबाद जिले के उदेरोलाल में स्थित भगवान झूलेलाल के मंदिर में 1060 वर्ष से जल रही है. उस ज्योत में से ज्योति लेकर कुछ लोग अजमेर भी आये थे. सन 1947 से यह ज्योति लगातार प्रज्वलित हो रही है. तब से ही अजमेर में चेटीचंड के पावन अवसर पर जुलूस निकालने की परंपरा रही है. उन्होंने बताया कि सिंधी समाज का नववर्ष भी है. भगवान झूलेलाल के मंदिर से सुबह बहराणा निकाला गया. विधिवत धार्मिक आयोजन के उपरांत मंदिर से जुलूस की शुरुआत हुई. इससे पहले कई गणमान्य और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मंदिर में भगवान झूलेलाल के दर्शन किए जिनका मंदिर समिति की ओर से स्वागत किया गया.
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अजमेर में हर्षोल्लास का माहौल: चेटीचंड के जुलूस को लेकर युवाओं में भी जबरदस्त उत्साह है. जाहिर है युवाओं ने पहले से ही से ही जुलूस की तैयारियां करके रखी थी. रंग-बिरंगी पोशाकों में युवा नाचते गाते जुलूस में शामिल हुए. चेटीचंड का उल्लास सिंधी समाज की महिलाओं सिर चढ़कर बोल रहा था. महिलाओं ने भी जुलूस में जमकर आनंद लिया. स्थानीय साक्षी हासानी बताती है कि सिंधी समाज के लिए भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव महत्वपूर्ण त्योहार होता है. समाज का प्रत्येक व्यक्ति इसे पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाता है. 15 दिन पहले से ही विभिन्न संगठनों की ओर से अलग-अलग विविध कार्यक्रम होते हैं जो पूरी तरह से सिंधी परंपरा, संस्कृति और सामाजिक व्यवस्थाओं से जुड़े होते हैं.
नई पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ना है मकसदः इसका मकसद नई पीढ़ी को समाज की परंपराओं और संस्कृति से जोड़ना है. उन्होंने बताया कि चेटीचंड का पर्व भगवान झूलेलाल के जन्म के उपलक्ष में मनाया जाता है. स्थानीय अंजलि बताती है कि चेटीचंड के अवसर पर हर तरफ खुशी का माहौल है. जुलूस के साथ कई झांकियां निकलती हैं. युवाओ की टोलियां जुलूस के साथ नाचते गाते हुए पूरा अजमेर घूमते हैं. इस दौरान कई व्यंजन भी खाने को मिलते हैं. युवाओं में जुलूस को लेकर जबरदस्त उत्साह है. रात तक यही हर्षोल्लास का माहौल रहेगा. जगह-जगह पर लोगों ने पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया. वही सिंधी समाज के लोगों ने जगह-जगह पर खाद्य सामग्रियों का भी वितरण किया.
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इस बार जुलूस में शामिल हैं 60 झांकियांः सिंधी समाज के पदाधिकारी गिरधर तेजवानी बताते हैं कि सिंधी समाज का सबसे बड़ा मंदिर लोंगिया मोहल्ले में स्थित झूलेलाल मंदिर में सन 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय लाई गई ज्योति आज भी प्रज्ज्वलित है. उन्होंने बताया कि पूरे देश में ही नहीं बल्कि विश्व में सबसे बड़ा सिंधी समाज का जुलूस अजमेर में निकलता है. इस जुलूस की चर्चा विश्व के कोने-कोने में रहती है. दरअसल अजमेर सिंधी बाहुल्य क्षेत्र है. अजमेर से बड़ी संख्या में लोग विश्व के कोने-कोने में रह रहे हैं. जहां वह अपनी परंपरा को कायम रखे हुए हैं. उन्होंने बताया कि जुलूस में इस बार 60 झांकियां शामिल हैं. इनमें हिंदू धर्म से जुड़ी हुई झांकियों के अलावा जागरूकता के उद्देश्य से भी कई झांकियां बनाई गई. तेजवानी ने बताया कि जुलूस 1 किलोमीटर लंबा है. उन्होंने यह भी बताया कि सिंधी समाज का अमीर, मध्यमवर्गीय और गरीब तबके का हर व्यक्ति का यह प्रयास रहता है कि वह उन लोगों में श्रद्धा के अनुसार खाद्य सामग्री का वितरण करें. तेजवानी ने बताया कि चेटीचंड के अवसर पर सिंधी समाज के लोग 3 करोड़ की खाद्य सामग्री वितरित कर देते हैं.
झूलेलाल मंदिर से शुरू हुआ, यहीं होगा समापन: देहली गेट स्थित झूलेलाल मंदिर से शुरू हुआ विशाल जुलूस महावीर सर्किल, आगरा गेट, गांधी भवन, मदार गेट, पड़ाव, कैसरगंज, उसरी गेट, डिग्गी बाजार, आशा गंज होते हुए नला बाजार, दरगाह बाजार होते हुए वापस दिल्ली गेट स्थित झूलेलाल मंदिर पहुंचता है. जुलूस का कई जगहों पर विभिन्न समाज के संगठन, व्यापारी और विभिन्न राजनीतिक दलों के संगठनों की ओर से स्वागत किया गया. जुलूस को वापस झूलेलाल मंदिर पहुंचते रात के 11 बज जाते हैं. जुलूस के दरगाह के बाहर पहुंचने पर खादिमों की संस्था अंजुमन कमेटी की ओर से भी फुल वर्षा कर स्वागत किया जाता है.जुलूस में अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी और दक्षिण क्षेत्र से विधायक अनिता भदेल, आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह राठौड़, मुबारक कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन, शहर भाजपा अध्यक्ष रमेश सोनी समेत कई कांग्रेस और बीजेपी के नेता मौजूद रहे.