अजमेर. मानव शरीर का सबसे नाजुक अंग आंखे हैं. आंखों से ही इंसान इस खूबसूरत दुनिया को देख पाता है. शरीर के बाकि हिस्सों की तरह आंखों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. इन दिनों देश-प्रदेश में तेजी से आई फ्लू संक्रमण फैल रहा है. अजमेर में संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में आई फ्लू के मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं.
घरेलू उपचार न करें : जेएलएन अस्पताल के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश पोरवाल ने बताया कि बरसात के बाद नमी कम होने के कारण कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया एक्टिव होते हैं. इनमें से एक आई फ्लू भी हैं आई फ्लू एक वायरस जनित रोग है. यह संक्रमित रोग है, जो एक से दूसरे को तुरंत चपेट में लेता है. आई फ्लू से आंखों को बचाने के लिए सजग रहने की आवश्यकता है. साल में प्रतिदिन 500 से 300 आई फ्लू के मरीज आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि आई फ्लू होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह से उपचार लेना चाहिए. बिना सलाह के रोगी को दवाइयां नहीं लेनी चाहिए और न ही घरेलू उपचार करना चाहिए. ऐसा करने पर रोगी की तकलीफ और भी बढ़ सकती है.
आई फ्लू के लक्षण : डॉ. पोरवाल ने बताया कि आई फ्लू होने पर लक्षण साफ नजर आते हैं. आंखों का लाल होना, आंखों में चुभन या किरकिरी महसूस होना. आंखों में बार-बार पानी आना, बार गीड आना, पलक पर सूजन आना, यह आई फ्लू होने के लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि 5 से 7 दिन में आई फ्लू का आंखों में जोर रहता है.
आई फ्लू होने पर रखें सावधानी : उन्होंने बताया कि निवाय पानी से पांच से छह बार आंखों को धोना चाहिए. हाथों को भी बार-बार साबुन से धोना चाहिए. ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक ड्रॉप्स इसमें कारगर साबित होती है. आई फ्लू होने पर घरेलू उपचार भारी भी पड़ सकते हैं. आंखों में किसी भी तरह का कोई रस नहीं डालें. आई फ्लू होने पर आंखों को नहीं मसाला चाहिए. रोगी को काला चश्मा लगा कर रखना चाहिए. साथ ही संक्रमित व्यक्ति को भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए और यात्रा से भी बचना चाहिए, ताकि अन्य लोगों को संक्रमण नहीं हो.
हल्के में न लें आई फ्लू : डॉ. पोरवाल ने बताया कि आई फ्लू अधिक दिन रहने पर इसका दुष्प्रभाव आंखों के बीच काले हीरे (कोर्निया) पर भी हो सकता है. ऐसा होने पर रोगी की आंखों की रोशनी कम हो जाती है. आंखों से धुंधलापन नजर आता है. उन्होंने बताया कि आई फ्लू के वायरस से प्रभावित काले हीरे को संक्रमित मुक्त डेढ़ से 2 महीने का समय लगता है.