अजमेर. एग्जिमा त्वचा की बीमारी है. ये कई प्रकार की होती है. यह शरीर की त्वचा को प्रभावित करती है. इससे जीवन को खतरा तो नहीं, लेकिन इलाज नहीं मिलने पर जीवन के लिए कष्टदायक जरूर बन जाता है. बच्चों में होने वाला एप्टोपिक डर्मेटाइटिस एक्जिमा का ही एक प्रकार है. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय पुरोहित से जानते हैं इसके कारण, लक्षण और उपचार के बारे में हेल्थ टिप्स.
एग्जिमा क्रॉनिक कंडीशन है. यह बार-बार भी हो सकता है. मौसम परिवर्तन के दौरान भी एक्जिमा की शिकायत हो सकती है. यह कोई जीव जनित बीमारी नहीं है, बल्कि शरीर की त्वचा पर स्वतः ही होती है. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय पुरोहित बताते हैं कि बच्चों में एग्जिमा का मुख्य प्रकार ऑटोपिक डर्माटाइटिस है. इसको दो भागों में बांटा जा सकता है. बच्चों में जन्म से कुछ माह के बाद ही ऑटोपिक डर्मेटाइटिस की शुरुआत हो जाती है. यह शरीर में गाल, कूल्हे, पैर के बाहरी हिस्से में होती है. उन्होंने बताया कि बच्चों के 2 वर्ष पूर्ण होने पर यह खत्म हो जाती है मगर कुछ बच्चों में यह 2 वर्ष के बाद भी जोड़ों पर बनी रहती है.
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अटॉपिक डर्मेटाइटिस के लक्षण : डॉ. पुरोहित बताते हैं कि त्वचा में सूखापन, अत्यधिक खुजली होना, त्वचा में जलन होना, सूखे चकतों में सूजन आना और कभी-कभी इनमें से खून और पानी आने की भी समस्या होती है. उन्होंने बताया कि लक्षण प्रतीत होते ही चर्म रोग विशेषज्ञ को अवश्य दिखाएं, ताकि समय पर रोग पर नियंत्रण पाया जा सके. इलाज नहीं लेने पर यह रोग ज्यादा बढ़ जाता है और काफी कष्टदायक होता है. इस कारण रोगी को मानसिक तनाव भी होता है. रोग बढ़ने पर चलने फिरने में भी दिक्कत आती है.
रखें इन बातों का ध्यान : चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय पुरोहित बताते हैं कि बच्चों को नहलाने वाले साबुन में कास्टिक नहीं होना चाहिए. ग्लिसरीन युक्त साबुन सही रहता है. नहलाने के बाद गीले बदन पर तेल जरूर लगाएं, ताकि त्वचा में सूखापन नहीं रहे. उन्होंने बताया कि त्वचा के संपर्क में आने वाले कपड़े भी नरम होने चाहिए. इसके अलावा पेड़-पौधों से निकलने वाले पराग कणों से बचना चाहिए.