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एसपी थप्पड़ प्रकरण: पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा - Rajasthan hindi news

अजमेर एसपी को थप्पड़ मारने के प्रकऱण में पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा सुनाई है.

पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा
पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा
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Published : Mar 24, 2023, 5:02 PM IST

Updated : Mar 24, 2023, 7:06 PM IST

पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा

अजमेर. जिले की पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने केकड़ी से पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 वर्ष के कारावास एवं 50 हजार के जुर्माने से दंडित किया है. सिंगारिया के खिलाफ 30 जून 2001 को अजमेर के सिविल लाइंस थाने में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी अशफाक हुसैन ने प्रकरण दर्ज करवाया था. तत्कालीन समय में बाबूलाल सिंगारिया केकड़ी से कांग्रेस के विधायक थे. जिला कलेक्ट्रेट के सभागार में सिंगारिया ने तत्कालीन अजमेर एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया था. एडिशनल एसपी वासुदेव भट्ट ने जब रोकने का प्रयास किया तो उनसे भी धक्का-मुक्की कर वर्दी फाड़ दी थी.

इस मामले में अजमेर की पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 वर्ष की सजा और 50 हजार के जुर्माने से दंडित किया है. विशिष्ट लोक अभियोजक निर्मला कुमारी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ 30 जून 2001 में सिविल लाइंस थाने में धारा 332, 353, 186 आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. 3 नवंबर 2004 को पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. 13 जनवरी 2021 को प्रकरण में 20 गवाह के साक्ष्य करवाए गए.

पढ़ें. 21 साल पहले बाबूलाल सिंगारिया पर लगा था एसपी को थप्पड़ मारने का आरोप, अब इन अधिकारियों के होंगे बयान

इनमें तत्कालीन अजमेर एसपी आलोक त्रिपाठी, एडिशनल एसपी वासुदेव भट्ट, प्रशासनिक अधिकारी अशफाक हुसैन, मेडिकल जूरिस्ट सुमेर सिंह, तत्कालीन अजमेर कलेक्टर उषा शर्मा, केस ऑफिसर सीआईडी सीबी में एसपी ए पुन्नूचामी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सतवीर सिंह समेत 20 गवाह हुए हैं. कोर्ट ने प्रकरण में पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को दोषी मानते हुए धारा 332 में 3 वर्ष की सजा एवं 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. धारा 353 में 2 वर्ष और 50 हजार रुपए एवं 186 में 3 माह 500 रुपए से दंडित किया गया है. पीसीपीएनडीटी कोर्ट की एसीजेएम सीमा ढाका ने प्रकरण में फैसला सुनाया है.

पढ़ें. थप्पड़ कांड: एसपी गौरव सिंह और सीएम के पीएसओ बलवंत सिंह सस्पेंड

यह था थप्पड़ प्रकरण
30 जून 2001 के दिन अजमेर जिला कलेक्ट्रेट सभागार में जिला सतर्कता एवं जन अभाव अभियोग निराकरण समिति की बैठक चल रही थी. तत्कालीन समय में बाबूलाल सिंगारिया केकड़ी से कांग्रेस के विधायक थे. बैठक में कलेक्टर उषा शर्मा, एसपी आलोक त्रिपाठी समेत कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे. सिंगारिया ने कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर मुद्दा उठाया. इस पर तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा ने मुद्दे को अगली बैठक में उठाने के लिए निवेदन किया.

इससे सिंगारिया भड़क गए और उन्होंने एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया. चिंगारियां को रोकने की एडिशनल एसपी ग्रामीण वासुदेव भट्ट ने कोशिश की तो उन्होंने धक्का-मुक्की कर भट्ट की वर्दी फाड़ दी. बैठक में उपस्थित जिला कलेक्टर के निर्देश पर तत्कालीन एडीएम प्रशासन अशफाक हुसैन ने सिविल लाइंस थाने में बाबूलाल सिंगारिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था.

अर्श से फर्श तक
थप्पड़ प्रकरण पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया के लिए भारी पड़ गया. इस प्रकरण से पहले बाबूलाल सिंगारिया की तूती बोला करती थी, लेकिन इस प्रकरण के बाद सिंगारिया से अर्श से फर्श पर आने लग गए. उनकी राजनीति खत्म हो गई. सिंगारिया के खिलाफ धोखाधड़ी समेत गंभीर प्रकरण में अन्य मुकदमे भी दर्ज हैं. सिंगारिया एक दशक पहले बीजेपी में चले गए, लेकिन वहां भी उनकी दाल नहीं गली. कभी लोग उनके आगे पीछे घूमा करते थे लेकिन आज कोर्ट में सजा सुनने के लिए वह अकेले आए थे. शुरुआत में सिंगारिया ने अपने प्रभाव से प्रकरण में दबाव बनाने की कोशिश की थी मगर कामयाब नही हो पाए.

पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल की सजा

अजमेर. जिले की पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने केकड़ी से पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 वर्ष के कारावास एवं 50 हजार के जुर्माने से दंडित किया है. सिंगारिया के खिलाफ 30 जून 2001 को अजमेर के सिविल लाइंस थाने में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी अशफाक हुसैन ने प्रकरण दर्ज करवाया था. तत्कालीन समय में बाबूलाल सिंगारिया केकड़ी से कांग्रेस के विधायक थे. जिला कलेक्ट्रेट के सभागार में सिंगारिया ने तत्कालीन अजमेर एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया था. एडिशनल एसपी वासुदेव भट्ट ने जब रोकने का प्रयास किया तो उनसे भी धक्का-मुक्की कर वर्दी फाड़ दी थी.

इस मामले में अजमेर की पीसीपीएनडीटी कोर्ट ने पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 वर्ष की सजा और 50 हजार के जुर्माने से दंडित किया है. विशिष्ट लोक अभियोजक निर्मला कुमारी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ 30 जून 2001 में सिविल लाइंस थाने में धारा 332, 353, 186 आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था. 3 नवंबर 2004 को पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. 13 जनवरी 2021 को प्रकरण में 20 गवाह के साक्ष्य करवाए गए.

पढ़ें. 21 साल पहले बाबूलाल सिंगारिया पर लगा था एसपी को थप्पड़ मारने का आरोप, अब इन अधिकारियों के होंगे बयान

इनमें तत्कालीन अजमेर एसपी आलोक त्रिपाठी, एडिशनल एसपी वासुदेव भट्ट, प्रशासनिक अधिकारी अशफाक हुसैन, मेडिकल जूरिस्ट सुमेर सिंह, तत्कालीन अजमेर कलेक्टर उषा शर्मा, केस ऑफिसर सीआईडी सीबी में एसपी ए पुन्नूचामी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सतवीर सिंह समेत 20 गवाह हुए हैं. कोर्ट ने प्रकरण में पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को दोषी मानते हुए धारा 332 में 3 वर्ष की सजा एवं 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. धारा 353 में 2 वर्ष और 50 हजार रुपए एवं 186 में 3 माह 500 रुपए से दंडित किया गया है. पीसीपीएनडीटी कोर्ट की एसीजेएम सीमा ढाका ने प्रकरण में फैसला सुनाया है.

पढ़ें. थप्पड़ कांड: एसपी गौरव सिंह और सीएम के पीएसओ बलवंत सिंह सस्पेंड

यह था थप्पड़ प्रकरण
30 जून 2001 के दिन अजमेर जिला कलेक्ट्रेट सभागार में जिला सतर्कता एवं जन अभाव अभियोग निराकरण समिति की बैठक चल रही थी. तत्कालीन समय में बाबूलाल सिंगारिया केकड़ी से कांग्रेस के विधायक थे. बैठक में कलेक्टर उषा शर्मा, एसपी आलोक त्रिपाठी समेत कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे. सिंगारिया ने कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर मुद्दा उठाया. इस पर तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा ने मुद्दे को अगली बैठक में उठाने के लिए निवेदन किया.

इससे सिंगारिया भड़क गए और उन्होंने एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया. चिंगारियां को रोकने की एडिशनल एसपी ग्रामीण वासुदेव भट्ट ने कोशिश की तो उन्होंने धक्का-मुक्की कर भट्ट की वर्दी फाड़ दी. बैठक में उपस्थित जिला कलेक्टर के निर्देश पर तत्कालीन एडीएम प्रशासन अशफाक हुसैन ने सिविल लाइंस थाने में बाबूलाल सिंगारिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था.

अर्श से फर्श तक
थप्पड़ प्रकरण पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया के लिए भारी पड़ गया. इस प्रकरण से पहले बाबूलाल सिंगारिया की तूती बोला करती थी, लेकिन इस प्रकरण के बाद सिंगारिया से अर्श से फर्श पर आने लग गए. उनकी राजनीति खत्म हो गई. सिंगारिया के खिलाफ धोखाधड़ी समेत गंभीर प्रकरण में अन्य मुकदमे भी दर्ज हैं. सिंगारिया एक दशक पहले बीजेपी में चले गए, लेकिन वहां भी उनकी दाल नहीं गली. कभी लोग उनके आगे पीछे घूमा करते थे लेकिन आज कोर्ट में सजा सुनने के लिए वह अकेले आए थे. शुरुआत में सिंगारिया ने अपने प्रभाव से प्रकरण में दबाव बनाने की कोशिश की थी मगर कामयाब नही हो पाए.

Last Updated : Mar 24, 2023, 7:06 PM IST
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