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Makar Sankranti 2023: पुष्कर के पवित्र सरोवर में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, दान और अनुष्ठान जारी

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Published : Jan 14, 2023, 3:24 PM IST

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं ने पुष्कर के पवित्र (Devotees take holy dip in Pushkar) सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई. सुबह से ही सरोवर के सभी 52 घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बनी, जहां श्रद्धालु स्नान के उपरांत पितरों की तृप्ति को निमित्त अनुष्ठान में शामिल हुए. वहीं, पुष्कराज की पूजा-अर्चना भी की. इसके बाद श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा के अनुसार दान पुण्य किए.

Makar Sankranti 2023
Makar Sankranti 2023
श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

अजमेर. मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ प्रदेश और देश में मनाया जा रहा है. इस पर्व का विशेष धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन पावन तीर्थ व नदियों में स्नान करने के उपरांत श्रद्धा अनुसार दान पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस पावन पर्व पर पुष्कर के पवित्र सरोवर में स्नान के लिए सुबह से ही हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचे. इस बार मकर संक्रांति का पुण्य काल एक दिन बाद 15 जनवरी से माना गया है. लिहाजा कल भी पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों पर श्रद्धालुओं का स्नान के लिए ताता लगा रहेगा.

स्नान के बाद लोगों ने कमाया पुण्य: पुष्कर तीर्थ के पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान भी किया. इसके अलावा श्रद्धालुओं ने पुष्कर राज की पूजा अर्चना की. कई श्रद्धालुओं ने पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना के बाद परिक्रमा कर जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन किया. इसके उपरांत श्रद्धालुओं ने अपनी क्षमता के अनुसार दान पुण्य किया. कुछ लोगों ने तिल गुड़ और अन्य व्यंजन का दान किया तो कुछ नहीं कपड़ों और रुपए पैसे का दान किया.

इसे भी पढ़ें - Makar Sankranti 2023: तिल, खिचड़ी और 14 वस्तुओं का करें दान, बरसेगी सूर्य-शनि की कृपा

श्रद्धालुओं ने गौशालाओं में जाकर गायों और नंदी को चारा खिलाया. वही पुष्कर में बंदरों को खाद्य सामग्री और डियर पार्क में हिरणों को भी चारा खिलाया. कई संस्थाओं की ओर से पुष्कर में खाने-पीने के भंडारे भी लगाए गए. जहां श्रद्धालुओं को बुला बुला कर उन्हें खिचड़ी, पकौड़े, तिल और गुड़ से बने व्यंजन के अलावा गाजर का हलवा खिलाया गया. सुबह से ही स्नान और दान पुण्य का क्रम जारी रहा.

मकर संक्रांति का पुण्य काल कल: मकर संक्रांति का पुण्य काल कल 15 जनवरी को माना गया है. बताया जाता है कि भगवान सूर्यनारायण रात्रि 8:15 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस कारण तिथि अनुसार मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को सुबह सूर्य उदय के बाद से माना जाएगा. लिहाजा मकर संक्रांति पर स्नान, दान और अनुष्ठान विशेषकर पुण्य काल में ही अधिक फलदायक होंगे. पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि मकर संक्रांति के पर्व के दिन का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया.

इस दिन पवन नदियों और तीर्थों में स्नान करने एवं दान पुण्य करने का महत्व है. उन्होंने बताया कि भगवान सूर्यनारायण मकर संक्रांति 14 जनवरी को रात्रि में उत्तरायण की ओर प्रवेश करेंगे. इस कारण से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल माना गया है. इसलिए 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति मानी जाएगी एवं इस दिन भी स्नान दान और अनुष्ठान का श्रद्धालु को अक्षय फल मिलेगा.

नए रंग जी के मंदिर से निकली सवारी: मकर संक्रांति के पर्व पर नए रंगजी के मंदिर से परंपरागत भगवान गोदम्बा जी की सवारी निकाली गई. यह सवारी पुष्कर के पवित्र सरोवर पहुंची. जहां भगवान गोदम्बाजी का स्वागत किया गया. सरोवर में स्नान और श्रंगार के पश्चात वापस भगवान की सवारी को मंदिर ले जाया गया. नए रंग नाथ जी के मंदिर के मैनेजर सत्यनारायण रामावत ने बताया कि 2 जनवरी को मंदिर में वैकुंठ द्वार खोला गया था. यह बैकुंठ द्वार वर्ष में एक बार ही खुलता है. गुदंबा जी पहले वैकुंठ द्वार से होकर मंदिर से बाहर निकलते हैं उसके पीछे पीछे श्रद्धालु वैकुंठ द्वार से निकलते हैं. वैकुंठ उत्सव का आज समापन किया गया है. शाम को भगवान श्रीरंगजी और गोदम्बा जी के विवाह का उत्सव मंदिर में मनाया जाएगा.

श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

अजमेर. मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ प्रदेश और देश में मनाया जा रहा है. इस पर्व का विशेष धार्मिक महत्व है. माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन पावन तीर्थ व नदियों में स्नान करने के उपरांत श्रद्धा अनुसार दान पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस पावन पर्व पर पुष्कर के पवित्र सरोवर में स्नान के लिए सुबह से ही हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचे. इस बार मकर संक्रांति का पुण्य काल एक दिन बाद 15 जनवरी से माना गया है. लिहाजा कल भी पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों पर श्रद्धालुओं का स्नान के लिए ताता लगा रहेगा.

स्नान के बाद लोगों ने कमाया पुण्य: पुष्कर तीर्थ के पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान भी किया. इसके अलावा श्रद्धालुओं ने पुष्कर राज की पूजा अर्चना की. कई श्रद्धालुओं ने पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना के बाद परिक्रमा कर जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन किया. इसके उपरांत श्रद्धालुओं ने अपनी क्षमता के अनुसार दान पुण्य किया. कुछ लोगों ने तिल गुड़ और अन्य व्यंजन का दान किया तो कुछ नहीं कपड़ों और रुपए पैसे का दान किया.

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श्रद्धालुओं ने गौशालाओं में जाकर गायों और नंदी को चारा खिलाया. वही पुष्कर में बंदरों को खाद्य सामग्री और डियर पार्क में हिरणों को भी चारा खिलाया. कई संस्थाओं की ओर से पुष्कर में खाने-पीने के भंडारे भी लगाए गए. जहां श्रद्धालुओं को बुला बुला कर उन्हें खिचड़ी, पकौड़े, तिल और गुड़ से बने व्यंजन के अलावा गाजर का हलवा खिलाया गया. सुबह से ही स्नान और दान पुण्य का क्रम जारी रहा.

मकर संक्रांति का पुण्य काल कल: मकर संक्रांति का पुण्य काल कल 15 जनवरी को माना गया है. बताया जाता है कि भगवान सूर्यनारायण रात्रि 8:15 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस कारण तिथि अनुसार मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को सुबह सूर्य उदय के बाद से माना जाएगा. लिहाजा मकर संक्रांति पर स्नान, दान और अनुष्ठान विशेषकर पुण्य काल में ही अधिक फलदायक होंगे. पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि मकर संक्रांति के पर्व के दिन का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया.

इस दिन पवन नदियों और तीर्थों में स्नान करने एवं दान पुण्य करने का महत्व है. उन्होंने बताया कि भगवान सूर्यनारायण मकर संक्रांति 14 जनवरी को रात्रि में उत्तरायण की ओर प्रवेश करेंगे. इस कारण से 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल माना गया है. इसलिए 15 जनवरी को भी मकर संक्रांति मानी जाएगी एवं इस दिन भी स्नान दान और अनुष्ठान का श्रद्धालु को अक्षय फल मिलेगा.

नए रंग जी के मंदिर से निकली सवारी: मकर संक्रांति के पर्व पर नए रंगजी के मंदिर से परंपरागत भगवान गोदम्बा जी की सवारी निकाली गई. यह सवारी पुष्कर के पवित्र सरोवर पहुंची. जहां भगवान गोदम्बाजी का स्वागत किया गया. सरोवर में स्नान और श्रंगार के पश्चात वापस भगवान की सवारी को मंदिर ले जाया गया. नए रंग नाथ जी के मंदिर के मैनेजर सत्यनारायण रामावत ने बताया कि 2 जनवरी को मंदिर में वैकुंठ द्वार खोला गया था. यह बैकुंठ द्वार वर्ष में एक बार ही खुलता है. गुदंबा जी पहले वैकुंठ द्वार से होकर मंदिर से बाहर निकलते हैं उसके पीछे पीछे श्रद्धालु वैकुंठ द्वार से निकलते हैं. वैकुंठ उत्सव का आज समापन किया गया है. शाम को भगवान श्रीरंगजी और गोदम्बा जी के विवाह का उत्सव मंदिर में मनाया जाएगा.

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