अजमेर. जिले में स्थित नसीराबाद के 201 वें स्थापना दिवस पर बुधवार को स्थानीय छावनी परिषद में 'यादों के पदचिन्ह' स्मारिका का विमोचन छावनी बोर्ड अध्यक्ष और सेना स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर राजीव चौहान ने किया. इस दौरान समारोह में सेना के मनोनीत सदस्य गेरीसन इंजीनियर मेजर अलीफ मंसूर , कर्नल अमर जुल्का , परिषद सिविल एरिया कमेटी चेयरमेन योगेश सोनी , पार्षद रोहिताश शर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.
इस मौके पर राजीव चौहान ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि यह किताब नसीराबाद के लोगों को समर्पित है, जो 200 सालों से यहां रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि नसीराबाद छावनी का एक ऐतिहासिक और सामरिक महत्व रहा है. क्यों की वर्ष 1857 में राजस्थान में स्वंतन्त्रता की लड़ाई यही से शुरू हुई थी. उन्होंने सभी को शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई की हमारा नसीराबाद कैंट देश में सबसे अच्छा कैंट बनेगा.
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उल्लेखनीय है कि नसीराबाद छावनी की स्थापना अंग्रेज जनरल सर डेविड आक्टर लोनी ने 20 नवम्बर 1818 को की थी. और 28 मई 1857 में स्वंतन्त्रता संग्राम की पहली चिंगारी नसीराबाद से ही उठी थी .वहीं, दूसरी ओर स्मारिका में नसीराबाद के कई ऐतिहासिक स्थल शामिल नहीं किए जाने से सवालों में घिर गई.
इस दौरान पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर ने कहा कि कस्बे में 1956 में स्थापित बापू की प्रतिमा, 125 वर्ष पुरानी सेठ ताराचंद सेठी की नसिया, फुलागंज स्थित मुस्लिम समाज की जामा मस्जिद जो 100 वर्ष पुरानी है. इन्हें ऐतिहासिक स्थलों में क्यों शामिल नहीं किया गया. आगे उन्होंने कहा कि जवाहर उद्यान जहां देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु आम जन से रूबरू हुए, लक्ष्मी छवि गृह, आर्य समाज भवन सहित कई अन्य जगहों को नजर अंदाज किया गया. उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है.
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इस मौके पर नसीराबाद किराना व्यापार संघ और स्टेशन रोड व्यापार संघ अध्यक्ष गिरीश गोविन्दानी ने भी कहा की स्मारिका विमोचन सराहनीय कदम है. अगर कुछ और नसीराबाद की एतिहासिक धरोहरों को शामिल किया जाता तो यह नसीराबाद के लिए अच्छा होता. वहीं, छावनी परिषद सिविल एरिया कमेटी के चेयरमेन योगेश सोनी ने कहा की जो भी ऐतिहासिक स्थल छूट गए हैं उनको आने वाले समय में सुधार कर शामिल किया जाएगा.