पुष्कर (अजमेर). कोरोना वायरस के दौरान रोजगार की तलाश में सैकड़ों किलोमीटर का रास्ता तय कर अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले में ऊंट बेचने आए हैं. ऊंट पालकों को अब निराशा का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासनिक स्तर पर पुष्कर पशु मेला के रद्द होने के बावजूद भी राजस्थान के विभिन्न जिलों से ऊंट पालक सैकड़ों की संख्या में ऊंट को लेकर पुष्कर पहुंच रहे हैं. गुरुवार को जहाजपुर, भीलवाड़ा, टोंक, बूंदी, हिंडोली, खेजड़ा,आदि क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में ऊंट लेकर रेबारी समाज के लोग पुष्कर पहुंचे है, जिन्हें प्रशासन ने समझाइश कर वापस लौटा दिया है.
ऐसे में खस्ताहाल आर्थिक स्थिति से जूझ रहे ऊंट पालकों के सामने जीवन यापन और अपने पशुओं की जीवन रक्षा का संकट सामने आ खड़ा हुआ है. पशुपालकों ने बताया कि संचार के माध्यमों से दूर है. ऐसे में समय पर उनके पास पुष्कर पशु मेला रद्द होने की सूचना नहीं मिली. इस कारण वे अपने ऊंटों को लेकर पुष्कर आ गए हैं. पूरे साल इस मेले के इंतजार में हजारों रुपए ऊंट पर खर्च करते हैं. ऐसे में इसके रद्द होने से इन ऊंट पलकों पर दोहरी आर्थिक मार पड़ रही है.
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एक लंबे अरसे से ऊंटों के संरक्षण एवं इनके संवर्धन के कार्य में जुटे ऊंट श्रृंगारक अशोक टाक ने बताया कि ऊंट पालक साल भर पुष्कर पशु मेले का इंतजार करते हैं. इस पशु मेले से ही इन ऊंट पालकों की आमदनी होती है. टाक ने सरकार से गुहार लगाई है कि राज्य पशु ऊंट और इन के पालन से जुड़े लोगों की ओर ध्यान देना चाहिए.
गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व ही कोरोना संक्रमण की संभावनाओं के चलते पशुपालन विभाग और स्थानीय उपखंड प्रशासन ने आदेश जारी करते हुए पुष्कर पशु मेले के इस वर्ष आयोजित नहीं होने की सूचना सार्वजनिक की थी. इसके बावजूद हर रोज ऊंट पालकों का पुष्कर आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.