पुष्कर (अजमेर). तीर्थ नगरी पुष्कर में शीत ऋतु की विदाई के परिचायक पर्व बसंत पंचमी के अवसर पर विशेष धार्मिक आयोजन हुए. बंसत पंचमी से प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभावों को समझा जाये तो शीत ऋतु की विदाई और गर्मी कि आहट के बीच एक ऐसा मौसम आता है, जिसे बंसत ऋतु के नाम से जाना जाता है. वनस्पति कि पतझड़ के साथ शुरू होने वाली इस ऋतु का अपने आप में कई मायनों में विशेष महत्व है.
बंसत पंचमी पर सूर्य कि पहली किरण जैसे ही सरसों के पीले खेतों पर अपनी लालिमा बिखेरती है. सरसों के खेतों में बीजों के प्रस्फूटन से पूरा पर्यावरण एक ऐसी खुशबु का अहसास कर रहा है, जो अपनी ओर खींच रही है. गेंहू के खेतों में बालिया मानो अपनी सुंदरता पर इठला रही है. अब किसानों को भी अहसास हो गया है कि लक्ष्मी उनके घर आने वाली है और प्राकृतिक आपदा का संकट समाप्त हो चुका है.
पढ़ेंः पंचायती राज चुनाव 2020: पावटा पंचायत में तीसरे चरण में शांतिपूर्ण मतदान
वहीं धार्मिक क्षेत्र में भी बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है. बसंत पंचमी के अवसर विवाह भी होते हैं. पुष्कर में बसंत पंचमी के अवसर पर कई जोड़े इस शुभअवसर पर परिणय सूत्र में बंधे.
हर कोई बसंत का अपने अपने तरीके से स्वागत कर रहा है, तो बंसत ने भी इस स्वागत का आभार व्यक्त करने में कोई कमी नही रखी है. प्रकृति कि इस सुंदर रचना ने बिना मांगे सभी को कुछ ना कुछ दिया है.