ETV Bharat / state

पुष्कर में हर्षोल्लास से मनाई गई बसंत पंचमी - अजमेर न्यूज

अजमेर के पुष्कर में बसंत पंचमी का उत्सव मनाया गया. इस दिन लोगों ने पीले कपड़े पहन कर बसंत पंचमी का स्वागत किया. बता दें कि धार्मिक क्षेत्र में भी बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है.

अजमेर न्यूज, ajmer news
पतझड़ के बीच नई ऋतु के आगमन का स्वागत
author img

By

Published : Jan 29, 2020, 11:31 PM IST

पुष्कर (अजमेर). तीर्थ नगरी पुष्कर में शीत ऋतु की विदाई के परिचायक पर्व बसंत पंचमी के अवसर पर विशेष धार्मिक आयोजन हुए. बंसत पंचमी से प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभावों को समझा जाये तो शीत ऋतु की विदाई और गर्मी कि आहट के बीच एक ऐसा मौसम आता है, जिसे बंसत ऋतु के नाम से जाना जाता है. वनस्पति कि पतझड़ के साथ शुरू होने वाली इस ऋतु का अपने आप में कई मायनों में विशेष महत्व है.

पतझड़ के बीच नई ऋतु के आगमन का स्वागत

बंसत पंचमी पर सूर्य कि पहली किरण जैसे ही सरसों के पीले खेतों पर अपनी लालिमा बिखेरती है. सरसों के खेतों में बीजों के प्रस्फूटन से पूरा पर्यावरण एक ऐसी खुशबु का अहसास कर रहा है, जो अपनी ओर खींच रही है. गेंहू के खेतों में बालिया मानो अपनी सुंदरता पर इठला रही है. अब किसानों को भी अहसास हो गया है कि लक्ष्मी उनके घर आने वाली है और प्राकृतिक आपदा का संकट समाप्त हो चुका है.

पढ़ेंः पंचायती राज चुनाव 2020: पावटा पंचायत में तीसरे चरण में शांतिपूर्ण मतदान

वहीं धार्मिक क्षेत्र में भी बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है. बसंत पंचमी के अवसर विवाह भी होते हैं. पुष्कर में बसंत पंचमी के अवसर पर कई जोड़े इस शुभअवसर पर परिणय सूत्र में बंधे.
हर कोई बसंत का अपने अपने तरीके से स्वागत कर रहा है, तो बंसत ने भी इस स्वागत का आभार व्यक्त करने में कोई कमी नही रखी है. प्रकृति कि इस सुंदर रचना ने बिना मांगे सभी को कुछ ना कुछ दिया है.

पुष्कर (अजमेर). तीर्थ नगरी पुष्कर में शीत ऋतु की विदाई के परिचायक पर्व बसंत पंचमी के अवसर पर विशेष धार्मिक आयोजन हुए. बंसत पंचमी से प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभावों को समझा जाये तो शीत ऋतु की विदाई और गर्मी कि आहट के बीच एक ऐसा मौसम आता है, जिसे बंसत ऋतु के नाम से जाना जाता है. वनस्पति कि पतझड़ के साथ शुरू होने वाली इस ऋतु का अपने आप में कई मायनों में विशेष महत्व है.

पतझड़ के बीच नई ऋतु के आगमन का स्वागत

बंसत पंचमी पर सूर्य कि पहली किरण जैसे ही सरसों के पीले खेतों पर अपनी लालिमा बिखेरती है. सरसों के खेतों में बीजों के प्रस्फूटन से पूरा पर्यावरण एक ऐसी खुशबु का अहसास कर रहा है, जो अपनी ओर खींच रही है. गेंहू के खेतों में बालिया मानो अपनी सुंदरता पर इठला रही है. अब किसानों को भी अहसास हो गया है कि लक्ष्मी उनके घर आने वाली है और प्राकृतिक आपदा का संकट समाप्त हो चुका है.

पढ़ेंः पंचायती राज चुनाव 2020: पावटा पंचायत में तीसरे चरण में शांतिपूर्ण मतदान

वहीं धार्मिक क्षेत्र में भी बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है. बसंत पंचमी के अवसर विवाह भी होते हैं. पुष्कर में बसंत पंचमी के अवसर पर कई जोड़े इस शुभअवसर पर परिणय सूत्र में बंधे.
हर कोई बसंत का अपने अपने तरीके से स्वागत कर रहा है, तो बंसत ने भी इस स्वागत का आभार व्यक्त करने में कोई कमी नही रखी है. प्रकृति कि इस सुंदर रचना ने बिना मांगे सभी को कुछ ना कुछ दिया है.

Intro:पुष्कर(अजमेर)तीर्थ नगरी पुष्कर में शीत ऋतु की विदाई के परिचायक पर्व बसंत पंचमी के अवसर पर विशेष धार्मिक आयोजन हुए । इतना ही नही ऋतु परिवर्तन के पर प्रकर्ति पर पड़ने वाले प्रभावों को भी पुष्कर के आस पास के ग्रामीण अंचलों में अनुभव किया गया ।




Body:बंसत पंचमी से प्रकर्ति पर पड़ने वाले प्रभावों को समझा जाये तो शीत ऋतु कि विदाई और गर्मी कि आहट के बीच एक ऐसा मौसम आता है जिसे बंसत ऋतु के नाम से जाना जाता है। वनस्पति कि पतझड़ के साथ शुरू होने वाली इस ऋतु का अपने आपमें कई मायनों में विशेष महत्व है।बंसत पंचमी के सूर्य कि पहली किरण जैसे ही सरसों के पीले खेतों पर अपनी लालिमा बिखेरती है तो मानो ऐसा लगता है कि सारी कायनात कि सुंदरता एक पल के लिये ठहर सी गयी हो। जब खेत खलियान लहलाह उठे और किसानों के चेहरे खिल उठे तो यह साफ हो जाता है कि बसंत ऋतु का आगमन हो गया है। पृथ्वी ने मानों अपने आप को पीले वस्त्रों में ढक लिया हो। वनस्पति हो या पक्षी, या फिर इंसान, हर कोई पीले रंग में रंग कर इस अनूठी ऋतु का स्वागत कर रहा है। सरसों के खेतों में बीजों के प्रस्फूटन से पूरा पर्यावरण एक ऐसी खुशबु का अहसास कर रहा है जो अपनी ओर खींच रही है। गेंहू के खेतों में बालिया मानों अपनी सुंदरता पर इठला रही है तो आम के पेड़ो पर कूपलों कि शुरूवात् हो चुकी है। अब किसानों को भी अहसास हो गया है कि लक्ष्मी उनके घर आने वाली है और प्राकृतिक आपदा का संकट समाप्त हो चुका है।

बाईट--- अजय रावत, किसान


वही धार्मिक क्षेत्र में भी बसंत पंचमी का बड़ा महत्व है । जब सृष्टी के रचियता भगवान भी बसंत के प्रभाव से अछूते नही रहे तो फिर इंसान को तो इस ऋतु से नयी उर्जा मिलना स्वभाविक ही है। बसंत पंचमी के दिन भगवान भी अपनी अद्र्धागनियों के साथ वन विहार को निकलते है। हल्दी, दूध, दही से स्नान करने के बाद भगवान भी पीले वस्त्र धारण कर पीले आभूषणों के श्रृंगार से सुसज्जित हो गये है। सोने कि पालकी पर सवार होकर भगवान आज भक्तों को भी पीले रंग में रंग रहे है।

बाईट-- सत्यनारायण रामावत, व्यवस्थापक, रंग जी मंदिर


वीओ-- बसंत पंचमी के दिन को इतना शुभ माना जा रहा है कि कई वरवधू आज से अपने नवजीवन कि शुरूआत कर रहे है। पुष्कर में बसंत पंचमी के अवसर पर कई जोडे़ इस शुभअवसर पर परिणय सूत्र में बंधे वहीं शहरभर में अनेकों विवाह संस्कारों में अनेकों जोड़ो ने वैवाहिक जीवन कि शुरूवात कि। साथ ही हिन्दू धर्म मे वर्णित 16 संस्कारो में से एक उपनयन संस्कार का भी आज विशेष महत्व पुराणो में वर्णित है ।

बाइट--दिलीप शास्त्री, पंडित

Conclusion:हर कोई बसंत का अपने अपने तरीके से स्वागत कर रहा है तो बंसत ने भी इस स्वागत का आभार व्यक्त करने में कोई कमी नही रखी है। प्रकृति कि इस सुंदर रचना ने बिना मांगे सभी को कुछ ना कुछ दिया है।.........................
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.