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स्पेशल स्टोरीः बिजासन माता मंदिर में आते ही ठीक हो जाता है 'लकवा' रोग...जानें क्या है विधि

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Published : Feb 1, 2020, 9:42 PM IST

बिजासन माता मंदिर में सभी धर्मों के लोग आस्था रखते हैं. मान्यता है कि यहां लकवा या नसों की बीमारियों से संबंधित या असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति को यहां के खोल का पानी और लच्छा बांधने से वे स्वस्थ हो जाते हैं. यही कारण है कि सभी धर्मों के मरीज यहां आस्था के साथ बिजासन माता के शीश नवाने के लिए पहुंचते हैं.

ajmer news, बिजासन माता में लोगों की अटूट आस्था
बिजासन माता के मेले में सुबह से लगा रहा भक्तों का तांता

अजमेर. जिले के कायस्थ मोहल्ले में 500 वर्षों से मंदिर में बिराजी बिजासन माता अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है. बिजासन माता में लोगों की अटूट आस्था है. मान्यता है कि शारारिक रूप से लाचार व्यक्तियों और बच्चों को मंदिर में लाकर माता की पूजा-अर्चना करवाने से उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता है. शनिवार को माई साते के पर्व पर बिजासन माता के मेले में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा.

माई साते के पर्व पर बिजासन माता के मेले में उमड़ा भक्तों का भीड़

बता दें कि प्राचीन बिजासन माता मंदिर लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है. लोगों का विश्वास है कि माता के दर पर आकर यहां सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर लोगों के बिगड़े काम संवर जाते हैं. इस मंदिर को लेकर लोगों में मान्यता है कि यहां शारीरिक रूप से लाचार व्यक्ति खासकर बच्चों को माता का आशीर्वाद मिलता है. माता के आशीर्वाद से उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता है. यही वजह है कि सभी धर्मों के लोग यहां दूर-दूर से माता के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं.

शनिवार का दिन माता के भक्तों के लिए विशेष दिन रहा. मौका था माई साते के वार्षिक मेले का. इस दौरान पुरुष और महिलाएं हाथों में पूजा की थाली लिए माता की पूजा-अर्चना करने के लिए सुबह से ही मंदिर में कतारबद्ध खड़े नजर आए. खास बात ये कि मंदिर में पूजा करवाने के लिए कोई पुजारी नहीं है. ऐसे में श्रद्धालु खुद ही पूजा करते हैं. बिजासन माता सेवा समिति मंदिर की देखरेख करती हैं.

पढ़ें: अजमेर 1108वीं देवनारायण जयंती पर निकाला गया भव्य जुलूस दिखाए हैरतअंगेज कारनामे

समिति के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश माथुर ने बताया कि सदियों से बिजासन माता अपने दर पर आने वाले शारीरिक रूप से लाचार व्यक्तियों की पीड़ा हरती आई है. माथुर ने बताया कि मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु नवरात्री के दिनों में माता के दर्शन के लिए आते हैं. राजस्थान में कई जगहों पर ऐसे मंदिर हैं जो अपनी मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं. इन प्राचीन मंदिरों को लेकर लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं.

अजमेर. जिले के कायस्थ मोहल्ले में 500 वर्षों से मंदिर में बिराजी बिजासन माता अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है. बिजासन माता में लोगों की अटूट आस्था है. मान्यता है कि शारारिक रूप से लाचार व्यक्तियों और बच्चों को मंदिर में लाकर माता की पूजा-अर्चना करवाने से उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता है. शनिवार को माई साते के पर्व पर बिजासन माता के मेले में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा.

माई साते के पर्व पर बिजासन माता के मेले में उमड़ा भक्तों का भीड़

बता दें कि प्राचीन बिजासन माता मंदिर लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है. लोगों का विश्वास है कि माता के दर पर आकर यहां सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर लोगों के बिगड़े काम संवर जाते हैं. इस मंदिर को लेकर लोगों में मान्यता है कि यहां शारीरिक रूप से लाचार व्यक्ति खासकर बच्चों को माता का आशीर्वाद मिलता है. माता के आशीर्वाद से उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता है. यही वजह है कि सभी धर्मों के लोग यहां दूर-दूर से माता के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं.

शनिवार का दिन माता के भक्तों के लिए विशेष दिन रहा. मौका था माई साते के वार्षिक मेले का. इस दौरान पुरुष और महिलाएं हाथों में पूजा की थाली लिए माता की पूजा-अर्चना करने के लिए सुबह से ही मंदिर में कतारबद्ध खड़े नजर आए. खास बात ये कि मंदिर में पूजा करवाने के लिए कोई पुजारी नहीं है. ऐसे में श्रद्धालु खुद ही पूजा करते हैं. बिजासन माता सेवा समिति मंदिर की देखरेख करती हैं.

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समिति के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश माथुर ने बताया कि सदियों से बिजासन माता अपने दर पर आने वाले शारीरिक रूप से लाचार व्यक्तियों की पीड़ा हरती आई है. माथुर ने बताया कि मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु नवरात्री के दिनों में माता के दर्शन के लिए आते हैं. राजस्थान में कई जगहों पर ऐसे मंदिर हैं जो अपनी मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं. इन प्राचीन मंदिरों को लेकर लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं.

Intro:स्पेशल स्टोरी

अजमेर। अजमेर में कायस्थ मोहल्ले में 500 वर्षो से मंदिर में बिराजी बीजासन माता अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। बीजासन माता में लोगों की अटूट आस्था है। मान्यता है कि शारारिक रूप से लाचार व्यक्तियों और बच्चो के मंदिर में लाकर माता की पूजा अर्चना करवाने से उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता है। शनिवार को माई साते के पर्व पर बीजासन माता के मेले में भक्तों का सुबह से तांता लगा हुआ है।

अजमेर के कायस्थ मोहल्ले में 500 वर्ष से अधिक प्राचीन बीजासन माता मंदिर लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। लोगों का विश्वास है कि माता के दर पर आकर यहां सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर लोगों के बिगड़े काम संवर जाते हैं। इस मंदिर को लेकर लोगों में मान्यता यह भी है कि यहां शारीरिक रूप से लाचार व्यक्ति खासकर बच्चों को माता का आशीर्वाद मिलता है। माता के आशीर्वाद से उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता है। यही वजह है कि लोग बड़ी दूर दूर से माता के दर्शनों एवं पूजा-अर्चना के लिए मंदिर आते हैं। शनिवार का दिन माता के भक्तों के लिए विशेष दिन रहा है। माई साते को बीजासन माता का वार्षिक मेला लगता है। पुरुष और महिलाएं पूजा की थाली लेकर माता की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही मंदिर में कतारबद्ध खड़े रहते है। खास बात यह है कि मंदिर में पूजा करवाने के लिए कोई पुजारी नहीं है पूजा श्रद्धालु को खुद करनी होती है। बिजासन माता सेवा समिति मंदिर की देखरेख करती है समिति के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश माथुर ने बताया कि सदियों से बिजासन माता अपने दर पर आने वाले शारीरिक रूप से लाचार व्यक्तियों की पीड़ा हरती आई है। माथुर ने बताया कि मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु नवरात्रा के दिनों में फिर माता के दर्शन के लिए आते हैं। क्षेत्र निवासी भोला नाथ आचार्य ने बताया कि बचपन से ही वो बीजासन माता की महिमा को सुनते आए है और माता के आशीर्वाद से ठीक हुए लोगों को भी देखते आए....
बाइट- विष्णु प्रकाश माथुर अध्यक्ष बिजासन माता सेवा समिति
बाइट - भोलानाथ आचार्य- क्षेत्रवासी

महिलाओं ने बताया कि माता को जल अर्पित करने के बाद कुमकुम हल्दी और लच्छा अर्पित किया जाता है। इसके बाद घर में बने हुए लापसी और चावल का भोग माता को लगाया जाता है। एक महिला ने बताया कि उसे बचपन से पैर में तकलीफ थी। वह डेढ़ वर्ष से माता के दर्शनों के लिए आती रही है और अब उसकी तकलीफ दूर हो गई है ....
बाइट- रमाकांता- श्रद्धालू
बाइट- शालिनी शर्मा- श्रद्धालू

पी2सी






Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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