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एक ऐसा स्थान जहां भभूत की चिमटी से चमत्कार होता है - ajmer news

मीणों के नया गांव में बालू रेत के टीले पर स्थित प्रसिद्ध देवनारायण भगवान के स्थान पर बुधवार को मेले का आयोजन होगा. देवनारायण भगवान का यह अनूठा स्थान है. बताया जाता है कि यहां दीन-दुखी और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग आते है और स्वस्थ होकर लौटते हैं.

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Published : Sep 4, 2019, 8:47 AM IST

केकड़ी (अजमेर). देवनारायण भगवान की स्थापना करीब 100 साल पहले ग्रामीणों ने की थी. स्थापना के बाद से यहां पर भभूत की चिमटी से ही लोगों के विभिन्न रोगों और पीड़ाओं का इलाज होने लगा. देवनारायण भगवान के चमत्कार के चलते दूर-दराज से भी भक्तों की भीड़ यहां आने लगी है. भगवान देवनारायण के स्थान पर ग्रामीणों और विकास समिति के माध्यम से धर्मशालाओं, पार्क, पेयजल और बिजली जैसी सुविधाएं विकसित की गई है.

यहां भभूत की चिमटी से चमत्कार होता है

हर शनिवार यहां भक्तों की भारी भीड़ आती है. यहां भादवी छठ को प्रत्येक वर्ष मेला लगता है. देवनारायण भगवान के शक्कर लुटाने की परंपरा थी. शक्कर लेने के लिए आसपास के गांव से सैकड़ों लोग आते थे. लेकिन शक्कर वितरण के दौरान अव्यवस्था बढ़ने से इस परंपरा को बंद कर उसके स्थान पर प्रत्येक वर्ष भंडारे का आयोजन किया जाने लगा है.

पढ़ें- जानिए आखिर क्यों की जाती है बुधवार को गणेश जी की पूजा

गांव की खास बात है कि यहां के लोग कई सालों से किसी अन्य व्यक्ति को दूध नहीं देते हैं. वहीं ग्रामीण भादवा के पूरे महीने शराब सेवन भी नहीं करते हैं. इसके अलावा भगवान देवनारायण से बिना पाती मांगे कोई व्यक्ति कुछ कार्य नहीं करता है. भगवान देवनारायण के स्थान पर भी कोई भी कार्य करने से पहले पाती मांगी जाती है. अनुमति मिलने पर ही कार्य होते है. भगवान देवनारायण के लिए पक्का मंदिर बनाया लेकिन भगवान देवनारायण ने अनुमति नही दी है. जिसके चलते आज भी कच्चे चबूतरे पर ही भगवान देवनारायण की प्रतिमा स्थापित है.

केकड़ी (अजमेर). देवनारायण भगवान की स्थापना करीब 100 साल पहले ग्रामीणों ने की थी. स्थापना के बाद से यहां पर भभूत की चिमटी से ही लोगों के विभिन्न रोगों और पीड़ाओं का इलाज होने लगा. देवनारायण भगवान के चमत्कार के चलते दूर-दराज से भी भक्तों की भीड़ यहां आने लगी है. भगवान देवनारायण के स्थान पर ग्रामीणों और विकास समिति के माध्यम से धर्मशालाओं, पार्क, पेयजल और बिजली जैसी सुविधाएं विकसित की गई है.

यहां भभूत की चिमटी से चमत्कार होता है

हर शनिवार यहां भक्तों की भारी भीड़ आती है. यहां भादवी छठ को प्रत्येक वर्ष मेला लगता है. देवनारायण भगवान के शक्कर लुटाने की परंपरा थी. शक्कर लेने के लिए आसपास के गांव से सैकड़ों लोग आते थे. लेकिन शक्कर वितरण के दौरान अव्यवस्था बढ़ने से इस परंपरा को बंद कर उसके स्थान पर प्रत्येक वर्ष भंडारे का आयोजन किया जाने लगा है.

पढ़ें- जानिए आखिर क्यों की जाती है बुधवार को गणेश जी की पूजा

गांव की खास बात है कि यहां के लोग कई सालों से किसी अन्य व्यक्ति को दूध नहीं देते हैं. वहीं ग्रामीण भादवा के पूरे महीने शराब सेवन भी नहीं करते हैं. इसके अलावा भगवान देवनारायण से बिना पाती मांगे कोई व्यक्ति कुछ कार्य नहीं करता है. भगवान देवनारायण के स्थान पर भी कोई भी कार्य करने से पहले पाती मांगी जाती है. अनुमति मिलने पर ही कार्य होते है. भगवान देवनारायण के लिए पक्का मंदिर बनाया लेकिन भगवान देवनारायण ने अनुमति नही दी है. जिसके चलते आज भी कच्चे चबूतरे पर ही भगवान देवनारायण की प्रतिमा स्थापित है.

Intro:Body:केकड़ी-मीणों के नया गांव में बालू रेत के टीले पर स्थित प्रसिद्ध देवनारायण भगवान के स्थान पर बुधवार को मेले का आयोजन होगा। देवनारायण भगवान का यह अनूठा स्थान है। बताया जाता है कि यहां दीन-दुखी व गंभीर बीमारी से पीड़ित लोग आते है और स्वस्थ होकर लौटते है। देवनारायण भगवान की स्थापना करीब 100 साल पहले ग्रामीणों ने की थी। स्थापना के बाद से यहां पर भभूत की चिमटी से ही लोगों के विभिन्न रोगों और पीड़ाओं का इलाज होने लगा। देवनारायण भगवान के चमत्कार के चलते दूरदराज से भी भक्तों की भीड़ यहां आने लगी है। भगवान देवनारायण के स्थान पर ग्रामीणों व विकास समिति के माध्यम से धर्मशालाओं,पार्क, पेयजल व बिजली जैसी सुविधाएं विकसित की गई है। प्रत्येक शनिवार यहां भक्तों की भारी भीड़ आती है। यहां भादवी छठ को प्रत्येक वर्ष मेला लगता है।देवनारायण भगवान के शक्कर लुटाने की परंपरा थी। शक्कर लेने के लिए आसपास के गांव से सैकड़ों लोग आते थे। लेकिन शक्कर वितरण के दौरान अव्यवस्था बढ़ने से इस परंपरा को बंद कर उसके स्थान पर प्रत्येक वर्ष भंडारे का आयोजन किया जाने लगा है। गांव की खास बात है कि यहां के लोग कई वर्षों से किसी अन्य व्यक्ति को दूध नहीं देते हैं। वहीं ग्रामीण भादवा के पूरे महीने शराब सेवन भी नहीं करते हैं। इसके अलावा भगवान देवनारायण से बिना पाती मांगे कोई व्यक्ति कुछ कार्य नहीं करता है। भगवान देवनारायण के स्थान पर भी कोई भी कार्य करने से पहले पाती मांगी जाती है। अनुमति मिलने पर ही कार्य होते है। भगवान देवनारायण के लिए पक्का मंदिर बनाया लेकिन भगवान देवनारायण ने अनुमति नही दी है। जिसके चलते आज भी कच्चे चबूतरे पर ही भगवान देवनारायण की प्रतिमा स्थापित है।

बाईट1-रामराज मीणा,विकास समिति
बाईट2-गजानन्द मीणा,पुजारी
Conclusion:
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