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पैरालंपिक में करौली के लाल का कमाल, सुंदर के परिजनों में खुशी की लहर

टोक्यो पैरालंपिक 2020 में करौली के सुंदर गुर्जर ने 64.01 मीटर जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता है. सुंदर गुर्जर के पैतृक गांव में खुशी का माहौल है.

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करौली जिले के सुंदर गुर्जर
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Published : Aug 30, 2021, 1:46 PM IST

करौली. टोक्यो पैरालंपिक में सुंदर गुर्जर ने 64.01 मीटर जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता है. सुंदर गुर्जर के पैतृक गांव में खुशी का माहौल है. परिजनों ने एक दूसरे को मिठाई बांंटकर खुशी जताई है. जीत के लिए गांव में पूजा-पाठ और कीर्तन चल रहा था.

बता दें, सुंदर गुर्जर के करौली स्थित पैतृक गांव देवलेन में ग्रामीण सुबह से ही टीवी के सामने बैठ गए थे. टीवी पर सुंदर गुर्जर का प्रदर्शन देखने के साथ ही ग्रामीण और परिजन पैरालंपिक में सफलता के लिए भजन, पूजा-पाठ कीर्तन करते रहे. सुबह से ही लोग सुंदर गुर्जर के प्रदर्शन को लेकर उत्साहित नजर आ रहे थे.

परिजनों में खुशी की लहर

देवलेन गांव के हैं निवासी

सुंदर गुर्जर करौली जिले के टोडाभीम उपखंड स्थित देवलेन गांव के निवासी हैं. सुंदर गुर्जर 2015 तक सामान्य वर्ग की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेते थे, लेकिन एक दुर्घटना में उनके बाएं हाथ की कलाई कट गई, जिसके बाद से गुर्जर अब एफ-46 भाला फेंक श्रेणी में भाग लेते हैं. खेल में विश्व रिकॉर्ड 63.97 मीटर था, लेकिन प्रशिक्षण में उनका 68-70 मीटर के बीच स्कोर रहा है.

पढ़ें- टोक्यो पैरालंपिक में राजस्थान के लिए शानदार दिन, अवनि के बाद देवेंद्र और सुंदर ने देश के लिए जीते मेडल

उन्होंने 16 वीं सीनियर नेशनल पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप के दौरान 68.42 मीटर भाला फेंक कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था. सुंदर गुर्जर ने 2019 में दुबई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया था. साल 2016 में वे दुर्भाग्यशाली रहे, जब ओलंपिक से कॉल रूम में लेट एंट्री के चलते बाहर हो गए थे. गुर्जर को रियो ओलंपिक में टॉप करने के बावजूद बिना मेडल के ही घर जाना पड़ा था. उन्होंने अनाउंसमेंट कॉल सुनने में 52 सेकंड देरी कर दी थी. इस कारण उन्हें इवेंट से डिस्क्वालिफाई घोषित कर दिया गया था.

रियो में हुई घटना के बाद भी सुंदर के कदम नहीं डगमगाए

इसके अगले वर्ष लंदन में हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो एफ-46 में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता. सुंदर ने इस दौरान 60.36 मीटर के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. वर्ष 2019 में दुबई में हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता. वर्ष 2019 में केंद्र सरकार की ओर से अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके अलावा एशियन पैरा गेम्स में सिल्वर और कांस्य मेडल जीत चुके हैं. 2018 में महाराणा प्रताप पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं.

पढ़ें- TOKYO PARALYMPICS 2020: अवनि ने जीता गोल्ड, पिता बोले- कठिन परिश्रम का परिणाम

बधाइयों का लगा तांता

वहीं, सुंदर गुर्जर के जीतने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर बधाई दी है. उन्होंने कहा कि उनका शानदार प्रदर्शन है. पूरे देश को उन पर बहुत गर्व है. भारतीय खेलों के लिए बहुत अच्छा दिन है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सुंदर गुर्जर को जीत की बधाई दी है. जीत के बाद बधाइयों का तांता लग गया है. सुंदर गुर्जर की इस सफलता से परिजन और गांव में खुशी का माहौल है. परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाई बांटकर बधाइयां दी और पटाखे चलाकर खुशी का इजहार किया.

जैवलिन थ्रो में तीन एथलीट ने किया था शिरकत

बता दें, जैवलिन थ्रो में भारत के तीन एथलीट ने शिरकत किया था, जिनमें रियो के गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) के अलावा अजीत सिंह और सुंदर सिंह गुर्जर (Sundar Singh Gurjar) शामिल थे. इनमें दो जैवलिन थ्रोअर भारत के लिए मेडल जीतने में कामयाब रहे.

देवेंद्र ने 64.35 मीटर की दूरी तक भाला फेंकते हुए देश के लिए सिल्वर मेडल जीता तो सुंदर सिंह गुर्जर ने 64.01 मीटर तक भाला फेंककर कांसा जीता. मतलब रियो की तरह गोल्ड तो जैवलिन में भारत की झोली में टोक्यो में नहीं गिर सका पर डबल धमाल जरूर देखने को मिला.

करौली. टोक्यो पैरालंपिक में सुंदर गुर्जर ने 64.01 मीटर जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता है. सुंदर गुर्जर के पैतृक गांव में खुशी का माहौल है. परिजनों ने एक दूसरे को मिठाई बांंटकर खुशी जताई है. जीत के लिए गांव में पूजा-पाठ और कीर्तन चल रहा था.

बता दें, सुंदर गुर्जर के करौली स्थित पैतृक गांव देवलेन में ग्रामीण सुबह से ही टीवी के सामने बैठ गए थे. टीवी पर सुंदर गुर्जर का प्रदर्शन देखने के साथ ही ग्रामीण और परिजन पैरालंपिक में सफलता के लिए भजन, पूजा-पाठ कीर्तन करते रहे. सुबह से ही लोग सुंदर गुर्जर के प्रदर्शन को लेकर उत्साहित नजर आ रहे थे.

परिजनों में खुशी की लहर

देवलेन गांव के हैं निवासी

सुंदर गुर्जर करौली जिले के टोडाभीम उपखंड स्थित देवलेन गांव के निवासी हैं. सुंदर गुर्जर 2015 तक सामान्य वर्ग की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेते थे, लेकिन एक दुर्घटना में उनके बाएं हाथ की कलाई कट गई, जिसके बाद से गुर्जर अब एफ-46 भाला फेंक श्रेणी में भाग लेते हैं. खेल में विश्व रिकॉर्ड 63.97 मीटर था, लेकिन प्रशिक्षण में उनका 68-70 मीटर के बीच स्कोर रहा है.

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उन्होंने 16 वीं सीनियर नेशनल पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप के दौरान 68.42 मीटर भाला फेंक कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था. सुंदर गुर्जर ने 2019 में दुबई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया था. साल 2016 में वे दुर्भाग्यशाली रहे, जब ओलंपिक से कॉल रूम में लेट एंट्री के चलते बाहर हो गए थे. गुर्जर को रियो ओलंपिक में टॉप करने के बावजूद बिना मेडल के ही घर जाना पड़ा था. उन्होंने अनाउंसमेंट कॉल सुनने में 52 सेकंड देरी कर दी थी. इस कारण उन्हें इवेंट से डिस्क्वालिफाई घोषित कर दिया गया था.

रियो में हुई घटना के बाद भी सुंदर के कदम नहीं डगमगाए

इसके अगले वर्ष लंदन में हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो एफ-46 में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता. सुंदर ने इस दौरान 60.36 मीटर के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. वर्ष 2019 में दुबई में हुई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता. वर्ष 2019 में केंद्र सरकार की ओर से अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. इसके अलावा एशियन पैरा गेम्स में सिल्वर और कांस्य मेडल जीत चुके हैं. 2018 में महाराणा प्रताप पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं.

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बधाइयों का लगा तांता

वहीं, सुंदर गुर्जर के जीतने के बाद सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर बधाई दी है. उन्होंने कहा कि उनका शानदार प्रदर्शन है. पूरे देश को उन पर बहुत गर्व है. भारतीय खेलों के लिए बहुत अच्छा दिन है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी सुंदर गुर्जर को जीत की बधाई दी है. जीत के बाद बधाइयों का तांता लग गया है. सुंदर गुर्जर की इस सफलता से परिजन और गांव में खुशी का माहौल है. परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाई बांटकर बधाइयां दी और पटाखे चलाकर खुशी का इजहार किया.

जैवलिन थ्रो में तीन एथलीट ने किया था शिरकत

बता दें, जैवलिन थ्रो में भारत के तीन एथलीट ने शिरकत किया था, जिनमें रियो के गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) के अलावा अजीत सिंह और सुंदर सिंह गुर्जर (Sundar Singh Gurjar) शामिल थे. इनमें दो जैवलिन थ्रोअर भारत के लिए मेडल जीतने में कामयाब रहे.

देवेंद्र ने 64.35 मीटर की दूरी तक भाला फेंकते हुए देश के लिए सिल्वर मेडल जीता तो सुंदर सिंह गुर्जर ने 64.01 मीटर तक भाला फेंककर कांसा जीता. मतलब रियो की तरह गोल्ड तो जैवलिन में भारत की झोली में टोक्यो में नहीं गिर सका पर डबल धमाल जरूर देखने को मिला.

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