कोटा. जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड (JEE ADVANCED 2023) 4 जून को आयोजित होने वाली है. कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट के रूप में यह परीक्षा दो पारियों में आयोजित होगी, जिसमें विद्यार्थियों को 6 घंटे तक परीक्षा देनी होगी. हालांकि, इस परीक्षा में शामिल विद्यार्थियों की संख्या 1.6 लाख से कम रहने वाली है, क्योंकि परीक्षा के लिए आवेदन ही महज इतने ही विद्यार्थियों ने किया है.
जेईई एडवांस्ड के दो अटेम्प्ट : ज्वाइंट एंट्रेस एग्जाम मेन (JEE MAIN 2023) के परिणाम के बाद इस परीक्षा के लिए पात्र विद्यार्थियों की घोषणा की जाती है, जिनकी संख्या 2.5 लाख होती है. केंद्रीय मानव और संसाधन मंत्रालय ने जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड के लिए दो ही अटेम्प्ट दिए हैं. ऐसे में अधिकांश विद्यार्थी यह अटेम्प्ट नहीं होने के चलते आवेदन नहीं कर पाते हैं. इस कारण बीते 5 सालों में करीब 70 हजार से लेकर 110000 अभ्यर्थियों ने आवेदन ही नहीं किया है. इस साल भी करीब 88000 अभ्यर्थियों ने आवेदन इस परीक्षा के लिए नहीं किया है, जबकि 2019 में यह संख्या सबसे कम 71000 थी.
आईआईटी में प्रवेश का चांस खो देते हैं : कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का मानना है कि कई एलिजिबल विद्यार्थियों के लिए यह नुकसान जैसा ही है. बीते कई सालों में 70000 से लेकर 110000 विद्यार्थी इस परीक्षा में नहीं बैठ पाए हैं, क्योंकि उनके पास जेईई एडवांस्ड के अटेम्प्ट मौजूद नहीं थे. हालांकि, उन्हें जेईई मेन से एलिजिबल घोषित किया गया था. इसी कारण इतनी संख्या के एलिजिबल छात्र नॉट एलिजिबल घोषित किए गए. कई विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो दोबारा जेईई मेन की परीक्षा में ही नहीं बैठते. ऐसे में वह आईआईटी में प्रवेश का चांस भी खो देते हैं.
जेईई मेन के एप्लीकेशन में करें बदलाव : एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि जेईई एडवांस्ड के लिए जेईई मेन परीक्षा के जरिए विद्यार्थियों का चयन किया जाता है. ऐसे में जेईई मेन परीक्षा के ऑनलाइन आवेदन के समय ही विद्यार्थियों से पूछ लिया जाना चाहिए कि वह एडवांस्ड की परीक्षा देंगे या नहीं. इसमें विद्यार्थी जानकारी दे देंगे कि उनके दो अटेम्प्ट पूरे हुए हैं या नहीं. साथ ही उन्हें एडवांस्ड की परीक्षा में पार्टिसिपेट करना है या नहीं. ऐसे में जेईई मेन के रिजल्ट के बाद इन छात्रों की ऑल इंडिया रैंक तो वही रहनी चाहिए, लेकिन इन्हें एलिजिबल मानने के बजाय कम रैंक वाले छात्रों को एलिजिबल माना जाना चाहिए.
संख्या बढ़ने पर बढ़ सकता है कंपटीशन : देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड को माना जाता है. इस परीक्षा में कई सालों से महज 1.5 से 1.7 लाख के बीच विद्यार्थी ही बैठ रहे हैं. ऐसे में अगर एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में पूरे 2.5 लाख विद्यार्थी शामिल हों, तब इसमें विद्यार्थियों को कंपटीशन भी ज्यादा मिलेगा. बीते सालों में जेईई एडवांस्ड परीक्षा में 21 से लेकर 30 फ़ीसदी के बीच अंक लाने पर ही विद्यार्थियों को आईआईटी में प्रवेश मिल गया है. ऐसे में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने पर यह प्रतिशत भी बढ़ सकता है.
21 से 30 फीसदी पर मिल रहा प्रवेश : एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि साल 2022 में जॉइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार जेईई एडवांस्ड 2022 में करीब 21 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थीयों को भी आईआईटी संस्थानों की बीटेक, इंटीग्रेटेड एमटेक और डुअल डिग्री कोर्स में प्रवेश मिला. साल 2019 से 2022 में यह 21 से लेकर 30 फीसदी के बीच रही है. साल 2019 में यह अधिकतम 30.37 फीसदी था, जबकि साल 2020 में 24.74 फीसदी है. साल 2021 में 25.27 और साल 2022 में 21 फीसदी रहा है.