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जनता के भारी विरोध के बीच श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा - श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों का इस्तीफा

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. जनता के भारी विरोध को देखते हुए श्रीलंका की कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है.

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श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों का इस्तीफा
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Published : Apr 4, 2022, 7:08 AM IST

कोलंबो : भयावह आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. देश के शिक्षा मंत्री एवं सदन के नेता दिनेश गुणवर्धने ने संवाददाताओं से कहा कि कैबिनेट मंत्रियों ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने सामूहिक इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया. बहरहाल, राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से सरकार द्वारा कथित रूप से गलत तरीके से निपटे जाने को लेकर मंत्रियों पर जनता का भारी दबाव था.

कर्फ्यू के बावजूद शाम को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी. सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया.

इस बीच, श्रीलंका सरकार ने व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर लगाया गया प्रतिबंध रविवार को हटा दिया. देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन से पहले देशव्यापी सार्वजनिक आपातकाल घोषित करने और 36 घंटे के कर्फ्यू के साथ ही सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. प्रतिबंध हटाए जाने के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर की सेवाएं 15 घंटे के बाद बहाल कर दी गईं. इन सेवाओं को पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया गया था.

इससे पहले 'कोलंबो पेज' अखबार की खबर में कहा गया था कि इस कदम का उद्देश्य घंटों तक बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार की नाकामी के विरोध में कोलंबो में लोगों को एकत्रित होने से रोकना था. साइबर सुरक्षा और इंटरनेट पर नजर रखने वाले निगरानी संगठन 'नेटब्लॉक्स' ने श्रीलंका में मध्यरात्रि के बाद रविवार को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, वाइबर और यू्ट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी लगाए जाने की पुष्टि की.

खबर में कहा गया था कि श्रीलंका के प्रमुख नेटवर्क ऑपरेटर डायलॉग, श्रीलंका टेलीकॉम, मोबीटेल, हच इस पाबंदी के दायरे में हैं. जिन सोशल मीडिया और मैसेजिंग मंचों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से इसका असर पड़ा है, उनमें फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर शामिल हैं. इस बीच, देश में लोगों ने आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन किया. दरअसल, लोगों को घंटों तक बिजली कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका ने आपातकाल, कर्फ्यू लगाने के बाद सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाया

गौरतलब है कि श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारों में खड़े होने के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. राजपक्षे ने अपनी सरकार के कदमों का बचाव करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा का संकट उनके द्वारा नहीं पैदा किया गया है और आर्थिक मंदी काफी हद तक महामारी के कारण आई है.

(पीटीआई-भाषा)

कोलंबो : भयावह आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के कैबिनेट मंत्रियों ने रविवार देर रात तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. देश के शिक्षा मंत्री एवं सदन के नेता दिनेश गुणवर्धने ने संवाददाताओं से कहा कि कैबिनेट मंत्रियों ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने सामूहिक इस्तीफे का कोई कारण नहीं बताया. बहरहाल, राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से सरकार द्वारा कथित रूप से गलत तरीके से निपटे जाने को लेकर मंत्रियों पर जनता का भारी दबाव था.

कर्फ्यू के बावजूद शाम को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी. सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया.

इस बीच, श्रीलंका सरकार ने व्हाट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर लगाया गया प्रतिबंध रविवार को हटा दिया. देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन से पहले देशव्यापी सार्वजनिक आपातकाल घोषित करने और 36 घंटे के कर्फ्यू के साथ ही सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. प्रतिबंध हटाए जाने के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर की सेवाएं 15 घंटे के बाद बहाल कर दी गईं. इन सेवाओं को पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया गया था.

इससे पहले 'कोलंबो पेज' अखबार की खबर में कहा गया था कि इस कदम का उद्देश्य घंटों तक बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार की नाकामी के विरोध में कोलंबो में लोगों को एकत्रित होने से रोकना था. साइबर सुरक्षा और इंटरनेट पर नजर रखने वाले निगरानी संगठन 'नेटब्लॉक्स' ने श्रीलंका में मध्यरात्रि के बाद रविवार को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, वाइबर और यू्ट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी लगाए जाने की पुष्टि की.

खबर में कहा गया था कि श्रीलंका के प्रमुख नेटवर्क ऑपरेटर डायलॉग, श्रीलंका टेलीकॉम, मोबीटेल, हच इस पाबंदी के दायरे में हैं. जिन सोशल मीडिया और मैसेजिंग मंचों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से इसका असर पड़ा है, उनमें फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर शामिल हैं. इस बीच, देश में लोगों ने आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन किया. दरअसल, लोगों को घंटों तक बिजली कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका ने आपातकाल, कर्फ्यू लगाने के बाद सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाया

गौरतलब है कि श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. पिछले कई सप्ताह से देश की जनता को ईंधन और रसोई गैस के लिए लंबी कतारों में खड़े होने के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है. राजपक्षे ने अपनी सरकार के कदमों का बचाव करते हुए कहा है कि विदेशी मुद्रा का संकट उनके द्वारा नहीं पैदा किया गया है और आर्थिक मंदी काफी हद तक महामारी के कारण आई है.

(पीटीआई-भाषा)

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