बगदाद: इराक के प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र (Moqtada al Sadr retires from politics) ने सोमवार को राजनीति से हटने की घोषणा की, जिसके बाद उनके सैकड़ों समर्थक सरकारी महल पहुंच गए. इस दौरान अल-सद्र के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें कम से कम 15 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. इराक की सेना ने बढ़ते तनाव को शांत करने के उद्देश्य से सोमवार को शहर भर में कर्फ्यू की घोषणा कर दी. इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने कैबिनेट का सत्र निलंबित कर दिया.
अल-सद्र के समर्थक चार सप्ताह से अधिक समय से संसद भवन के बाहर धरने पर बैठे हैं. अल-सद्र की घोषणा के तुरंत बाद, उनके सैकड़ों अनुयायी विरोध करने के लिए सरकारी महल पहुंच गए जिसमें कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी का मुख्य कार्यालय है. अल-सद्र ने इससे पहले भी परिस्थितियों को देखते हुए राजनीति से संन्यास की घोषणा की है. हालांकि कुछ लोगों ने यह आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है, जो पहले से ही खराब है.
घोषणा के बाद झड़प, 15 की मौत
मुक्तदा अल-सद्र की घोषणा के बाद नाराज सैकड़ों समर्थक सरकारी महल पहुंच गए. इस दौरान अल-सद्र और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें कम से कम 15 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. चिकित्सा अधिकारियों ने कहा कि शिया धर्मगुरु की घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शनों के दौरान दंगा रोधी पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम 15 प्रदर्शनकारियों घायल हो गए. उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों ने इस दौरान आंसू गैस के गोले छोड़े जिसमें और 12 से अधिक घायल हो गए.
इराक की सेना ने बढ़ते तनाव को शांत करने और झड़पों की आशंका को दूर करने के उद्देश्य से सोमवार को शहर भर में कर्फ्यू की घोषणा कर दी. एक बयान के अनुसार, सेना ने धर्मगुरु के समर्थकों से भारी सुरक्षा वाले सरकारी क्षेत्र से तुरंत हटने और संघर्ष या इराकी खून बहने से रोकने के लिए आत्म-संयम का पालन करने का आह्वान किया. इससे यह आशंका उत्पन्न हो गई कि इराक में हिंसा भड़क सकती है जो पहले से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है.
इराक की सरकार में गतिरोध तब से आया है जब धर्मगुरु मुक्तदा अल-सद्र की पार्टी ने अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाये थे. उन्होंने आम सहमति वाली सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था. अल-सद्र के समर्थक जुलाई में प्रतिद्वंद्वियों को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में घुस गए और चार सप्ताह से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं. उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है.
पीटीआई-भाषा