वॉशिंगटन : दक्षिण एशिया मामलों के प्रतिष्ठित अमेरिकी विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आगामी भारत यात्रा देखना दिलचस्प होगा और यह कई मानकों पर पूरी तरह से सफल होगी.
व्हाइट हाउस ने इस सप्ताह घोषणा की कि ट्रंप का प्रथम महिला के साथ 24 और 25 फरवरी को अहमदाबाद तथा नई दिल्ली की यात्रा करने का कार्यक्रम है.
21वीं सदी के तीसरे दशक में यह अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी और महाभियोग सुनवाई में सीनेट से बरी होने के बाद भी उनकी पहली यात्रा होगी.
‘कार्नेजी एन्डॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ की सीनियर फेलो एश्ले टेलिस ने कहा, 'मुझे लगता है कि ट्रंप की यात्रा को देखना दिलचस्प होगा और यह कई मानकों पर पूरी तरह से सफल होगी.'
ट्रंप का गुजरात के अहमदाबाद पहुंचने पर लाखों लोगों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किए जाने की उम्मीद है.
वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम नव निर्मित मोटेरा स्टेडियम में हजारों लोगों के सामने ऐतिहासिक भाषण दे सकते हैं.
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भारत से संबंधित मामलों पर सबसे प्रतिष्ठित विशेषज्ञों में से एक टेलिस ने कहा कि हालांकि वह इसे लेकर अनिश्चित हैं कि दोनों देशों के बीच व्यापार विवाद हल होगा या नहीं.
सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधी हुई है.
टेलिस ने कहा, 'हालांकि भारत सरकार ने दावा किया है कि दोनों देश एक समझौते के करीब हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस पर वास्तव में कोई प्रगति हुई है. रक्षा बिक्री पर कुछ प्रगति हुई होगी लेकिन वह भी अनिश्चित है.'
‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ में ‘यूएस इंडिया पॉलिसी स्टडीज’ में वधवानी चेयर रिक रोसॉव ने हालांकि उम्मीद जताई कि दोनों नेता हाल में आए व्यापार अवरोधों को दूर करने के लिए एक समझौता कर सकते हैं.
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भारत की यात्रा करने वाले ट्रंप लगातार चौथे अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे. रोसॉव का मानना है कि भारत की यात्रा अब इतनी महत्वपूर्ण घटना नहीं है.
उन्होंने कहा, 'भारत निर्यात के लिए बड़ा और उभरता बाजार है और अमेरिका के लिए उभरता सुरक्षा साझेदार है, खासतौर से जब हम अफगानिस्तान से अपनी सेना कम करने और चीन से मुकाबला करने की बात करते हैं. भारत दोनों मोर्चे पर महत्वपूर्ण होगा.'
न्यू अमेरिका में सीनियर फेलो और व्हाइट हाउस के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी अनीश गोयल ने कहा, 'यह यात्रा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मोदी दोनों के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद होगी. भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है, जहां राष्ट्रपति लोकप्रिय हैं, इसलिए अहमदाबाद में उनकी रैली में बड़ी संख्या में लोग उमड़ सकते हैं. इसी तरह प्रधानमंत्री को भी राष्ट्रपति की मेजबानी से और समर्थन मिलेगा.'