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Special: नेहा कुमावत ने बढ़ाया राजस्थान का मान, कयाकिंग में अब तक जीते गोल्ड समेत 7 मेडल

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Published : Mar 8, 2021, 6:18 AM IST

Updated : Mar 8, 2021, 8:52 AM IST

उदयपुर की नेहा कुमावत अब तक कयाकिंग खेल में राष्ट्रीय स्तर पर 7 मेडल जीत चुकी हैं. नेहा को एक गोल्ड, तीन रजत और तीन कांस्य पदक मिल चुके हैं. नेहा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीसरी बार पटाया थाईलैंड में आयोजित होने वाले टोक्यो ओलंपिक के एशियन क्वालीफायर राउंड में भाग लेंगी. इसके लिए नेशनल कोचिंग कैंप 2 मार्च से 31 मार्च तक जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित होगा, जिसमें नेहा राजस्थान की एकमात्र खिलाड़ी के रूप में भाग ले रही हैं. देखें ये खास रिपोर्ट

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लहरों से तेज नेहा...

उदयपुर. दुनिया भर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको देश की उन जांबाज बेटियों की दास्तां से रूबरू करा रहा है, जिन्होंने विषम परिस्थितियों और विचित्र चुनौतियां के बीच अपने दम पर समाज के सामने एक नई तस्वीर पेश की और साबित कर दिखाया कि महिलाएं क्या कुछ कर सकती हैं. उदयपुर की नेहा कुमावत भी किसी से कम नहीं. नेहा कुमावत ने उफनती लहरों के बीच में कयाकिंग खेल में अपना दमखम दिखाया है. देखें ये खास रिपोर्ट

उदयपुर की बेटी नेहा कुमावत की सफलता की कहानी...

कयाकिंग खेल में मनवाया लोहा...

नेहा कयाकिंग खेल में राष्ट्रीय स्तर पर 7 मेडल जीत चुकी हैं. नेहा को एक गोल्ड, तीन रजत और तीन कांस्य पदक मिल चुके हैं. वहीं, नेहा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीसरी बार पटाया थाईलैंड में आयोजित होने वाले टोक्यो ओलंपिक के लिए एशियन क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम में चुनी गई है. चयनित टीम का नेशनल कोचिंग कैंप 2 मार्च से 31 मार्च तक जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित होगा, जिसमें नेहा राजस्थान की एकमात्र खिलाड़ी के रूप में भाग ले रही हैं.

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जिला स्तर पर सम्मान...

पढ़ाई के साथ खेलकूद का सफर...

उदयपुर जिले की रहने वाली नेहा को बचपन से ही खेलकूद पसंद था. नेहा के माता-पिता शिक्षक हैं. 4 साल की उम्र में नेहा ने स्केट सीखना शुरू किया. धीरे-धीरे नेहा ने स्केट में अपने आप को बेहतरीन खिलाड़ियों में पेश किया. यही वजह रही कि वेस्ट जोन में मेडल जीतकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में नेहा ने भाग लिया और 7 साल की उम्र में नेहा ने वह कर दिखाया, जो सोचना भी कठिन है. उदयपुर से लेकर पिंक सिटी जयपुर तक स्केट पर पैदल चलकर करीब 500 किलोमीटर की यात्रा की. इस दौरान नेहा ने जागरूकता का संदेश देते हुए अपने दल के साथ विभिन्न जिलों से गुजरी. नेहा का रुझान जिम्नास्टिक गेम की तरफ होने लगा, जिसमें नेहा ने जिला स्तर प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर की 5 नेशनल टूर्नामेंट खेलें. जिसके तहत जिले में प्रदेश स्तर पर कई मेडल से नेहा को नवाजा गया. वहींं, नेहा पेंटिंग प्रतियोगिता में भी बेहतरीन कलाकार हैं.

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नेहा कुमावत की उपलब्धियां...

पढ़ें: 'जब तक समाज की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक महिलाओं के साथ अत्याचार होता रहेगा'

कयाकिंग एक अद्भुत खेल...

यह गेम अन्य गमों की तुलना में अलग है. क्योंकि, यह पानी की लहरों के बीच में खेले जाने वाला खेल है, जिसमें 200 मीटर, 500 मीटर और 1000 मीटर की रेस होती है. जबकि, मैराथन इवेंट में 5 किलोमीटर, 15 किलोमीटर की प्रतियोगिताएं भी होती हैं. खेल जोखिम भरा होता है, इसलिए बहुत सी चीजों की सावधानी रखनी होती है. साथ ही, इस खेल में भाग लेने वाले प्रतिभागी को तैरने का पूर्ण रूप सक्षम होना जरूरी है.

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नेहा को सम्मानित करते हुए...

कयाकिंग के गेम में महारत...

इस खेल में नेहा राजस्थान के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक है, जो इस मुकाम पर है. लेक सिटी उदयपुर देश और विदेश में अपने आप में प्रसिद्ध शहरों में शुमार है. यहां की झीलें देश और दुनिया को आकर्षित करती है. वहीं, नेहा को भी इन जिलों का भरपूर सहयोग मिला. यही वजह रही कि नेहा को कयाकिंग के गेम में महारत हासिल हुई. नेहा के कोच दिलीप सिंह चौहान ने इन्हें गेम के प्रति और अधिक प्रेरित किया. वहीं, कयाकिंग के कोच निस्चय सिंह चौहान ने खेल की बारीकियां सिखाई और दिन-रात मेहनत कर बेहतरीन खिलाड़ी बना दिया.

परिवार का मिला पूरा सहयोग...

नेहा ने बताया कि उन्हें इस खेल में परिवार का भी भरपूर साथ मिला. खास करके दादी, जिनकी उम्र 80 साल है. उन्होंने बताया कि उनकी माता शारीरिक शिक्षक होने की वजह से उदयपुर जिले से अन्य जिले में 14 साल तक नौकरी पर रही. इस बीच दादी ने पूर्ण रूप से समर्पित भाव से नेहा का हर सुविधाएं दी. खाने-पीने से लेकर अन्य चीजों का ध्यान रखा. वहीं, नेहा के पिता भी अध्यापक हैं, जो नेहा के साथ सुबह-शाम साथ निभाते हैं. वहीं, नया का छोटा भाई राज भी बेहतरीन खिलाड़ी है. शतरंज में राजस्थान का चैंपियन है. नेहा को इस गेम में अपनी स्थिति बरकरार रखने के लिए हर पल सावधानियां बरतनी होती हैं. फिटनेस से लेकर खानपान का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है.

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नेहा ने अब तक 7 मेडल जीते हैं...

नेहा का पढ़ाई में रुझान...

बचपन से नेहा खेल के साथ पढ़ाई में भी बेहतरीन खिलाड़ी है. दसवीं क्लास में नेहा 82 परसेंटेज से फर्स्ट डिवीजन पास हुई. 12वीं क्लास में आते 81 परसेंटेज साइंस मैथ्स से क्लियर किया. ग्रेजुएशन 79 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं. नेहा के पिता ने बताया कि नेहा सुबह 4.30 बजे उठती है और 5.30 से 7.30 बजे तक शहर के फतेहसागर झील में कयाकिंग की प्रैक्टिस करती हैं. इसके बाद कॉलेज चली जाती है. रात को पढ़ाई का अलग से समय निकालती हैं. नेहा बताती हैं कि वह देश के लिए ओलंपिक में भाग लेकर पदक जीतना चाहती हैं. अपने देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. वहीं, राजस्थान सरकार के आउट ऑफ टन पॉलिसी के अंतर्गत सी कैटेगरी में राजस्थान में नौकरी का नेहा को ऑफर मिला, जो अभी अंडर प्रोसेस है.

उदयपुर. दुनिया भर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको देश की उन जांबाज बेटियों की दास्तां से रूबरू करा रहा है, जिन्होंने विषम परिस्थितियों और विचित्र चुनौतियां के बीच अपने दम पर समाज के सामने एक नई तस्वीर पेश की और साबित कर दिखाया कि महिलाएं क्या कुछ कर सकती हैं. उदयपुर की नेहा कुमावत भी किसी से कम नहीं. नेहा कुमावत ने उफनती लहरों के बीच में कयाकिंग खेल में अपना दमखम दिखाया है. देखें ये खास रिपोर्ट

उदयपुर की बेटी नेहा कुमावत की सफलता की कहानी...

कयाकिंग खेल में मनवाया लोहा...

नेहा कयाकिंग खेल में राष्ट्रीय स्तर पर 7 मेडल जीत चुकी हैं. नेहा को एक गोल्ड, तीन रजत और तीन कांस्य पदक मिल चुके हैं. वहीं, नेहा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीसरी बार पटाया थाईलैंड में आयोजित होने वाले टोक्यो ओलंपिक के लिए एशियन क्वालीफायर टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम में चुनी गई है. चयनित टीम का नेशनल कोचिंग कैंप 2 मार्च से 31 मार्च तक जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित होगा, जिसमें नेहा राजस्थान की एकमात्र खिलाड़ी के रूप में भाग ले रही हैं.

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जिला स्तर पर सम्मान...

पढ़ाई के साथ खेलकूद का सफर...

उदयपुर जिले की रहने वाली नेहा को बचपन से ही खेलकूद पसंद था. नेहा के माता-पिता शिक्षक हैं. 4 साल की उम्र में नेहा ने स्केट सीखना शुरू किया. धीरे-धीरे नेहा ने स्केट में अपने आप को बेहतरीन खिलाड़ियों में पेश किया. यही वजह रही कि वेस्ट जोन में मेडल जीतकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में नेहा ने भाग लिया और 7 साल की उम्र में नेहा ने वह कर दिखाया, जो सोचना भी कठिन है. उदयपुर से लेकर पिंक सिटी जयपुर तक स्केट पर पैदल चलकर करीब 500 किलोमीटर की यात्रा की. इस दौरान नेहा ने जागरूकता का संदेश देते हुए अपने दल के साथ विभिन्न जिलों से गुजरी. नेहा का रुझान जिम्नास्टिक गेम की तरफ होने लगा, जिसमें नेहा ने जिला स्तर प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर की 5 नेशनल टूर्नामेंट खेलें. जिसके तहत जिले में प्रदेश स्तर पर कई मेडल से नेहा को नवाजा गया. वहींं, नेहा पेंटिंग प्रतियोगिता में भी बेहतरीन कलाकार हैं.

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नेहा कुमावत की उपलब्धियां...

पढ़ें: 'जब तक समाज की मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक महिलाओं के साथ अत्याचार होता रहेगा'

कयाकिंग एक अद्भुत खेल...

यह गेम अन्य गमों की तुलना में अलग है. क्योंकि, यह पानी की लहरों के बीच में खेले जाने वाला खेल है, जिसमें 200 मीटर, 500 मीटर और 1000 मीटर की रेस होती है. जबकि, मैराथन इवेंट में 5 किलोमीटर, 15 किलोमीटर की प्रतियोगिताएं भी होती हैं. खेल जोखिम भरा होता है, इसलिए बहुत सी चीजों की सावधानी रखनी होती है. साथ ही, इस खेल में भाग लेने वाले प्रतिभागी को तैरने का पूर्ण रूप सक्षम होना जरूरी है.

women's day 2021 story, udaipur neha kumawat story
नेहा को सम्मानित करते हुए...

कयाकिंग के गेम में महारत...

इस खेल में नेहा राजस्थान के उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक है, जो इस मुकाम पर है. लेक सिटी उदयपुर देश और विदेश में अपने आप में प्रसिद्ध शहरों में शुमार है. यहां की झीलें देश और दुनिया को आकर्षित करती है. वहीं, नेहा को भी इन जिलों का भरपूर सहयोग मिला. यही वजह रही कि नेहा को कयाकिंग के गेम में महारत हासिल हुई. नेहा के कोच दिलीप सिंह चौहान ने इन्हें गेम के प्रति और अधिक प्रेरित किया. वहीं, कयाकिंग के कोच निस्चय सिंह चौहान ने खेल की बारीकियां सिखाई और दिन-रात मेहनत कर बेहतरीन खिलाड़ी बना दिया.

परिवार का मिला पूरा सहयोग...

नेहा ने बताया कि उन्हें इस खेल में परिवार का भी भरपूर साथ मिला. खास करके दादी, जिनकी उम्र 80 साल है. उन्होंने बताया कि उनकी माता शारीरिक शिक्षक होने की वजह से उदयपुर जिले से अन्य जिले में 14 साल तक नौकरी पर रही. इस बीच दादी ने पूर्ण रूप से समर्पित भाव से नेहा का हर सुविधाएं दी. खाने-पीने से लेकर अन्य चीजों का ध्यान रखा. वहीं, नेहा के पिता भी अध्यापक हैं, जो नेहा के साथ सुबह-शाम साथ निभाते हैं. वहीं, नया का छोटा भाई राज भी बेहतरीन खिलाड़ी है. शतरंज में राजस्थान का चैंपियन है. नेहा को इस गेम में अपनी स्थिति बरकरार रखने के लिए हर पल सावधानियां बरतनी होती हैं. फिटनेस से लेकर खानपान का भी विशेष ध्यान रखना पड़ता है.

women's day 2021 story, udaipur neha kumawat story
नेहा ने अब तक 7 मेडल जीते हैं...

नेहा का पढ़ाई में रुझान...

बचपन से नेहा खेल के साथ पढ़ाई में भी बेहतरीन खिलाड़ी है. दसवीं क्लास में नेहा 82 परसेंटेज से फर्स्ट डिवीजन पास हुई. 12वीं क्लास में आते 81 परसेंटेज साइंस मैथ्स से क्लियर किया. ग्रेजुएशन 79 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं. नेहा के पिता ने बताया कि नेहा सुबह 4.30 बजे उठती है और 5.30 से 7.30 बजे तक शहर के फतेहसागर झील में कयाकिंग की प्रैक्टिस करती हैं. इसके बाद कॉलेज चली जाती है. रात को पढ़ाई का अलग से समय निकालती हैं. नेहा बताती हैं कि वह देश के लिए ओलंपिक में भाग लेकर पदक जीतना चाहती हैं. अपने देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. वहीं, राजस्थान सरकार के आउट ऑफ टन पॉलिसी के अंतर्गत सी कैटेगरी में राजस्थान में नौकरी का नेहा को ऑफर मिला, जो अभी अंडर प्रोसेस है.

Last Updated : Mar 8, 2021, 8:52 AM IST
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