उदयपुर. नगर निगम में शनिवार को एक अजीब वाकया देखने को मिला, जब बीजेपी के नेताओं में कुर्सी की लड़ाई शुरू हो गई. इस लड़ाई में बीजेपी के वरिष्ठ नेता एक-दूसरे को टक्कर देते नजर आए. जिसमें उदयपुर के सांसद अर्जुन लाल मीणा ने जीत दर्ज की. लेकिन मीणा की यह जीत अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है.
राजनीति में कुर्सी सभी को प्यारी होती है, लेकिन जब किसी को कुर्सी मिल जाती है तो कोई किसी और के लिए कभी अपनी कुर्सी को नहीं छोड़ता. ऐसा ही नजारा उदयपुर में भी देखने को मिला. बता दें कि मौका था उदयपुर के उपमहापौर पारस सिंघवी के पदभार ग्रहण समारोह का. समारोह में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी बुलाया गया था, जिनमें पूर्व मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल थे. लेकिन उपमहापौर के नजदीक कुर्सी सिर्फ एक थी और इस कुर्सी पर बैठने के लिए हर कोई लालायित नजर आया.
पढ़ें- उदयपुर में अवकाश के दिन उपमहापौर ने संभाला पद, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भी रहे मौजूद
इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से वर्तमान सांसद अर्जुन लाल मीणा को जब कुर्सी सौंपी गई तो मीणा ने अपनी कुर्सी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत और पूर्व मंत्री चुन्नीलाल गरासिया, विधायक फूल सिंह मीणा के लिए भी नहीं छोड़ी, बल्कि सांसद मीणा कुर्सी पर बैठे बैठे ही सभी को मुस्कुरा कर देखते रहे. वहीं, इस पूरी घटना के बाद अब बीजेपी में यही लगता है कि कुर्सी वक्त से भी ज्यादा भारी है आखिर जिसके पास कुर्सी पावर उसी के पास होता है.
बता दें कि वैसे वरिष्ठता के तौर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत और पूर्व मंत्री चुन्नीलाल गरासिया सांसद अर्जुन लाल मीणा से काफी ऊंचे ओहदे पर भी है और उम्र में भी काफी बड़े हैं. बावजूद इसके सांसद महोदय का कुर्सी प्रेम अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. उधर, पदभार ग्रहण समारोह में कई वरिष्ठ नेताओं को बुला लिया गया, लेकिन उनके बैठने के लिए सिर्फ एक कुर्सी की व्यवस्था थी. जिसमें यह घटना होना लाजमी है औऱ इस कारण यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है.