उदयपुर. प्रदेश में महापौर की शक्तियों को कम कर नगर निगम आयुक्त की शक्तियों को बढ़ाने का एक पत्र इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. पत्र को लेकर उदयपुर के महापौर गोविंद सिंह टाक ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. टाक ने कहा है कि यह पत्र असंवैधानिक है, ऐसे में अगर इस पर लिखे आदेश को लागू किया जाता है तो सभी नगर निगम के चुनाव को भंग कर विधानसभा में अध्यादेश लाकर इसे पास किया जाए. उसके बाद एक बार फिर से नगर निगम चुनाव हो, तभी इसे लागू किया जाना संवैधानिक होगा.
राजस्थान में स्वायत्त शासन विभाग ने हाल ही में एक पत्र जारी कर सभी नगर निकाय और नगर पालिकाओं के आयुक्त की शक्तियों को बढ़ा दिया था. साथ ही महापौर की शक्तियों को कम कर दिया गया था. उसके बाद इस पूरे मामले पर प्रदेश भाजपा ने गहलोत सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की थी.
वहीं अब उदयपुर के महापौर गोविंद सिंह टाक ने भी इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है और इस आदेश को असंवैधानिक करार दिया है. टाक ने पत्र के माध्यम से कहा कि राजस्थान विधानसभा में साल 2017 में एक अध्यादेश पारित हुआ था, जिसमें महापौर की शक्तियों को बढ़ाया गया था. ऐसे में सिर्फ स्वास्थ्य शासन विभाग के एक पत्र से महापौर की शक्तियों को कम नहीं किया जा सकता. अगर राजस्थान की सरकार ऐसा चाहती है तो उसे सभी नगर निकाय और नगर पालिकाओं को भंग कर विधानसभा में इस प्रस्ताव को पारित करवाना चाहिए. उसके बाद एक बार फिर से नगर निकाय चुनाव करवाने चाहिए.
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बता दें कि इससे पहले राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी इस पूरे मामले को लेकर विरोध व्यक्त किया था. कटारिया ने कहा था कि राजस्थान की सरकार अफसरशाही लागू करना चाहती है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी, सरकार के नए आदेश का विरोध करती है. वहीं अब कटारिया के बाद उदयपुर के महापौर ने भी इस पूरे मामले को लेकर अपना विरोध व्यक्त किया है.