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बड़ा फैसला: 56 किलो सोने से लाल बहादुर शास्त्री को तोलने की थी तैयारी, अब राज्य के विकास में खर्च होगा पैसा - 11 जनवरी साल 1975

उदयपुर कोर्ट ने बुधवार को करीब 35 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 56 किलो सोने को राज्य के विकास में काम लेने का फैसला दिया है. दरअसल, मामला पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के समय का है. जब वे तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में साल 1975 में उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ में आने वाले थे.

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35 साल पुराने मामले में आया फैसला
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Published : Aug 5, 2020, 11:10 PM IST

उदयपुर. उदयपुर कोर्ट ने बुधवार (5 अगस्त) को करीब 35 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 56 किलो सोने को राज्य के विकास में काम लेने का फैसला दिया है. दरअसल, मामला पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के समय का है. जब वे तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में साल 1975 में उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ में आने वाले थे.

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उदयपुर कोर्ट ने सुनाया फैसला

मालूम हो कि 11 जनवरी साल 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ में दौरा प्रस्तावित था. ऐसे में चित्तौड़गढ़ के आंजना परिवार द्वारा लाल बहादुर शास्त्री को सोने से तोलने की तैयारी की गई थी. सोना जिला कलेक्टर की देखरेख में रखवाया गया था. लेकिन तब लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया और वे वहां नहीं पहुंच पाए थे. उसके बाद से यह सोना सरकारी खजाने में रखा गया था.

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56 किलो सोना राज्य के विकास में होगा खर्च

यह भी पढ़ें: भगवान राम को लेकर कांग्रेस नेता रघुवीर मीणा ने दिया विवादित बयान

वहीं तत्कालीन सोने के मालिक के पुत्र गोवर्धन सिंह आंजना ने इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई और सोना वापस लेने की मांग रखी. उसके बाद उदयपुर न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए इस सोने को राज्य हित में काम लेने का फैसला दिया है. बता दें कि यह मामला लंबे समय से कोर्ट में विचाराधीन था, जिसके बाद अब कोर्ट ने इस पूरे 56 किलो सोने को राज्य के विकास में काम लेने का आदेश जारी किया है.

उदयपुर. उदयपुर कोर्ट ने बुधवार (5 अगस्त) को करीब 35 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 56 किलो सोने को राज्य के विकास में काम लेने का फैसला दिया है. दरअसल, मामला पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के समय का है. जब वे तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में साल 1975 में उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ में आने वाले थे.

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उदयपुर कोर्ट ने सुनाया फैसला

मालूम हो कि 11 जनवरी साल 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ में दौरा प्रस्तावित था. ऐसे में चित्तौड़गढ़ के आंजना परिवार द्वारा लाल बहादुर शास्त्री को सोने से तोलने की तैयारी की गई थी. सोना जिला कलेक्टर की देखरेख में रखवाया गया था. लेकिन तब लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया और वे वहां नहीं पहुंच पाए थे. उसके बाद से यह सोना सरकारी खजाने में रखा गया था.

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56 किलो सोना राज्य के विकास में होगा खर्च

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वहीं तत्कालीन सोने के मालिक के पुत्र गोवर्धन सिंह आंजना ने इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई और सोना वापस लेने की मांग रखी. उसके बाद उदयपुर न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए इस सोने को राज्य हित में काम लेने का फैसला दिया है. बता दें कि यह मामला लंबे समय से कोर्ट में विचाराधीन था, जिसके बाद अब कोर्ट ने इस पूरे 56 किलो सोने को राज्य के विकास में काम लेने का आदेश जारी किया है.

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